ADVERTISEMENTREMOVE AD

Liz Truss की राह नहीं आसान, इन मुश्किलों से निपटने की होगी चुनौती?

लिज ट्रस ने ऋषि सुनक को कुर्सी तक नहीं पहुंचने दिया लेकिन पीएम का पद उनके लिए कांटों भरा ताज साबित होगा

छोटा
मध्यम
बड़ा

भारतीय मूल के ऋषि सुनक(Rishi Sunak) इंग्लैंड के पीएम नहीं बन पाए. उनकी अपनी पार्टी के लोगों ने उनसे ज्यादा लिज ट्रस(Liz Truss) को पसंद किया, लेकिन एक सर्वे बताता है कि अगर पब्लिक वोट देती तो विरोधी पार्टी को ऋषि सुनक हरा सकते थे न कि लिज ट्रस. जिस इंग्लैंड ने भारत पर दो सौ साल राज किया, उसी इंग्लैंड का पीएम भारतीय मूल का कोई शख्स बनेगा...इस खबर पर डेढ़ सौ करोड़ हिंदुस्तानी नजर गड़ाए हुए थे.

लेकिन आखिर में ऐसा नहीं हुआ. लिज ट्रस इंग्लैंड की पीएम बन गईं. तो क्या कारण रहे भारतीय मूल के ऋषि सुनक हार गए. लिज ट्रस ने ऋषि सुनक को कुर्सी तक नहीं पहुंचने दिया लेकिन पीएम का पद उनके लिए कांटों भरा ताज साबित होगा. लिज की चार चुनौतियां क्या हैं ये हम आपको बताएंगे पहले जान लीजिए सुनक की हार के चार कारण क्या हैं..

ADVERTISEMENTREMOVE AD

सुनक की हार की वजह नंबर 1- सुनक पर इंग्लैंड का जयचंद बनने के आरोप लगे. जिस बोरिस जॉनसन ने सुनक के करियर को चमकाया, उसी बोरिस के खिलाफ सुनक ने बगावत की. इसे कई लोगों ने गद्दारी करार दे दिया.

सुनक की हार की वजह नंबर 2 - कोविड क्राइसिस में सुनक की लोकप्रियता बढ़ी थी लेकिन कोविड के बाद सुनक की आर्थिक नीतियों को जनविरोधी माना गया. सुनक ने टैक्स घटाने से इंकार कर दिया. उनका मानना था कि इससे अमीरों को ही फायदा होगा.

सुनक की हार की वजह नंबर 3-सुनक के बारे में परसेप्शन बना कि वो एलिट क्लास के हैं, आम लोगों की समस्या नहीं समझते. द गार्डियन की एक रिपोर्ट में कहा गया कि सुनक बताएं कि क्या उनके पास 730 लाख पाउंड के एसेट्स हैं, अगर ये सही है तो वो ब्रिटेन के सबसे अमीर सांसद हैं.

सुनक की हार की वजह नंबर 4- विरोधियों ने कहा कि एक तरफ सुनक टैक्स बढ़ाना चाहते हैं दूसरी तरफ उनकी पत्नी अक्षता मूर्ती के पास इन्फोसिस जैसी कंपनी में 690 लाख पाउंड के 0.93% शेयर हैं. इंग्लैंड से बिजनेस तो ऑपरेट करती हैं, लेकिन नॉन डोमिसाइल स्टेटस का फायदा उठाकर टैक्स भरने से बचती हैं. इससे देश को हर साल लगभग 20 लाख पाउंड का नुकसान होता है.

चलिए लिज ट्रस ने सुनक को हरा तो दिया लेकिन आगे उनकी राह आसान नहीं है..

लिज ट्रस की पहली चुनौती अर्थव्यवस्था है. बैंक ऑफ इंग्लैंड के अनुसार, ब्रिटेन साल के अंत तक मंदी में चला जाएगा. लोग तकलीफ में हैं. जुलाई में महंगाई 40 साल में पहली बार 10% से ऊपर बढ़ी. इस साल बिजली 54% महंगा हो गया है. इसके और भी अधिक जाने का अनुमान है. लिज आम आदमी को राहत न दे पाईं तो उनके खिलाफ माहौल बनेगा.

लिज ट्रस की दूसरी चुनौती-विदेश नीति

लिज की सबसे बड़ी समस्या यूक्रेन है. यूके ने अब तक यूक्रेनी सेना को अरबों पाउंड दिए हैं और युद्ध के जल्द समाप्त होने के कोई संकेत नहीं हैं और जाहिर है, चीन को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है. इस मोर्चे पर लिज क्या करती हैं इसपर इंग्लैंड ही नहीं पूरी दुनिया की नजर रहेगी.

लिज ट्रस की तीसरी चुनौती-विदेश नीति

लिज की विरोधी पार्टी लेबर पार्टी की लोकप्रियता बढ़ रही है. पोलिटिको के अनुसार, लेबर पार्टी के पास 9-पॉइंट पोलिंग लीड है. कहा जा रहा है कि आज चुनाव होता तो लेबर पार्टी जीत जाती. दो साल बाद चुनाव होंगे तो लिज बची रहेंगी या नहीं, ये कह नहीं सकते. एक सर्वे के मुताबिक चुनाव में लेबर पार्टी को हराने की क्षमता लिज में नहीं सुनक में है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

लिज ट्रस की चौथी चुनौती-विदेश नीति

ट्रस को न केवल परिवहन कर्मचारियों, पत्रकारों और वकीलों की हड़तालों से निपटना है, बल्कि उन्हें एक बंटी हुई कंजर्वेटिव पार्टी के भीतर एक और विद्रोह को भी रोकना है. ट्रस ने अपनी पार्टी के लोगों का समर्थन हासिल नहीं किया तो उनका हाल भी बोरिस जॉनसन जैसा हो सकता है.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें
×
×