ADVERTISEMENTREMOVE AD

“हम तो अपने ‘गाम’ को भी ‘ग्राम’ नहीं कहते”

एक्टर रणदीप हुड्डा ने गुडगांव का नाम बदले जाने को कल्चर और बोली पर वार बताया है

Updated
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा
Hindi Female

साल 2014. नई दिल्ली स्थित ऑस्ट्रेलियन हाई कमीशन में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस चल रही थी. लाइफस्टाइल और फैशन बेस्ड इवेंट था. रणदीप हुड्डा कार्यक्रम के शो-स्टॉपर थे. सवाल-जवाब हो रहे थे रणदीप की बॉलीवुड फिल्म ‘हाइवे’ पर.

कॉन्फ्रेंस में एक साथी पत्रकार ने रणदीप से हरियाणा को लेकर सवाल किया. रणदीप ने हमेशा की तरह सवाल का सधा हुआ जवाब दिया. बेहद कम शब्दों में. और आखिर में बोले, ‘चल गाम चल मेरे, तन्नै मैं दिखाऊं हरियाणा के रंग.’

अब तक के करियर में हुड्डा से 3 बार मुलाकात हुई. हर बार पहली मुलाकात में हुड्डा की कही बात मुझे याद आई.

हुड्डा ने कहा था, पहुंच कहीं भी जाऊं. हूं तो हरियाणे का. और यहीं का रहूंगा. मुझे लोग इसी देसीपन के लिए जानते हैं.

हुड्डा के फिल्मी किरदारों में हमेशा एक वैरायटी रही है. लेकिन हर मुलाकात में रणदीप का हरयाणवी देसीपन मुझे दिखा. उसी रणदीप ने आज बतौर एक ‘हरयाणवी‘, हरियाणा सरकार से सवाल किया है. ट्वीट के जरिए.

बदलाव को लेकर लोगों के सवाल

गौरतलब है कि मंगलवार को हरियाणा सरकार ने सूबे के 2 जिलों को नया नाम दिया. सरकारी आदेश आया कि गुडगांव का नाम बदलकर गुरुग्राम कर दिया जाए और मेवात का नूंह. बेशक दोनों जिलों का ऐतिहासिक महत्व है. लेकिन इनके नाम के कथित ‘पौराणिक’ बदलाव को हरियाणा के लोग स्वीकार नहीं करना चाहते. भले ही यह बदलाव ‘ऐतिहासिक महत्व’ बताकर किया गया हो.

सहज ढंग से कभी भी किसी हरियाणवी शख्स से आप ‘ग्राम’ शब्द नहीं बुलवा सकते. वो उसे ‘गाम’ ही बोलेगा. उसकी बोली इसी बात की गवाही देती है.

हुड्डा की बात में दम नजर आता है!

हरियाणा में मुख्यत: 2 बोलियां बोली जाती हैं. एक है बागरी और दूसरी है देसवाली. दिलचस्प बात यह है कि इन दोनों ही बोलियों में ‘ग्राम’ शब्द नहीं है. ऐसे में रणदीप हुड्डा का इस बदलाव को हरियाणा की बोली और संस्कृति पर वार कहना सही लगता है.

बहरहाल, खुद हरियाणा के नाम को लेकर भी सूबे में विवाद रहा है. हरियाणा के ज्यादा लोग इसे ‘हरयाणा’ पुकारते हैं, जिसका अर्थ होता है ‘वो जगह, जहां सबका वास हो’. लेकिन शाब्दिक नामांकन के वक्त इसे हरियाणा कर दिया गया.

मेवात को नूंह नाम दिया गया

हरियाणा में एक कहावत प्रचलित है. ‘ब्रज भूमि ना बाह्मन की ना देवन् की, कुछ जाटन् की कुछ मेवन् की‘. कहावत में ‘जाट‘ शब्द हरियाणा के किसानों की ओर संकेत करता है और ‘मेवन्’ शब्द है मेव मुसलमानों के लिए, जो मेवात के इलाके में बसे हुए हैं. ऐसे में मेवात का भी अपना ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व है, जिस पर हरियाणा सरकार ने शायद गौर नहीं किया.

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

0
Published: 
सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें
×
×