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पाकिस्तान: बलूच प्रतिरोध के इतिहास में नया अध्याय है पहला महिला आत्मघाती हमला

बलूचिस्तान में ISI के लोग महिलाओं को गायब, उनका रेप और हत्या कर रहे हैं

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'मंगलवार को कराची में बलूच लिबरेशन आर्मी की मजीद ब्रिगेड ने फिदायीन हमला किया जिसमें चीन के अधिकारियों को निशाना बनाया गया था. इस हमले में तीन चीनी अधिकारी हुआंग गुइपिंग Huang Guiping, डिंग मुफांग Ding Mufang, और चेन साई Chen Sai की मौत हो गई. जबकि वांग युकिंग और उनके सुरक्षा गार्ड घायल हो गए. मिशन को मजीद ब्रिगेड के फिदायी शारी बलूच उर्फ ​​ब्रम्श ने अंजाम दिया. नियाजर अबाद तुर्बत की रहने वाली ब्रम्श दो बच्चों (आठ वर्षीय महरोश और चार वर्षीय मीर हसन) की मां है. पहली बलूच महिला फिदायी बनकर ब्रम्श ने बलूच प्रतिरोध के इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ा है.'

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कुछ इस तरह से बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (BLA बीएलए) के प्रवक्ता ने कराची यूनिवर्सिटी के कन्फ्यूशियस संस्थान पर हुए हमले की जिम्मेदारी ली है. प्रवक्ता ने कहा कि ''बलूच लिबरेशन आर्मी ने एक बार फिर चीन को आगाह किया है कि वह अपनी दोहन करने वाले प्रोजेक्ट्स पर तुरंत विराम लगा दे और कब्जा करने वाले पाकिस्तान की सहायता करने से दूर रहे. अगर वह ऐसा नहीं करेगा तो आगे हमले और भी ज्यादा बड़े होंगे. बलूच लिबरेशन आर्मी की मजीद ब्रिगेड के सैकड़ों उच्च प्रशिक्षित (highly trained) पुरुष और महिला सदस्य बलूचिस्तान और पाकिस्तान के किसी भी हिस्से में घातक हमले करने के लिए तैयार हैं. पाकिस्तान से हम कहना चाहते हैं कि वह बलूच नरसंहार को तुरंत रोके, शांतिपूर्वक बलूचिस्तान से पीछे हट जाए और बलूच मातृभूमि की स्वतंत्रता को मान्यता दे, अगर वे ऐसा नहीं करता है तो वह आगे भी हमलों के लिए तैयार रहे''

BLA ने चीनियों पर हमले का कारण बताया

बीएलए द्वारा कराची में किया गया यह तीसरा हमला है. पहला हमला 2018 में स्थानीय चीनी वाणिज्य दूतावास में और दूसरा हमला 2020 में पाकिस्तान स्टॉक एक्सचेंज में किया गया था, जहां चीनियों ने काफी इंवेस्टमेंट करके रखा है. ग्वादर के पर्ल कॉन्टिनेंटल होटल में 2019 में हुए हमले में चीनी नागरिक भी निशाने पर थे. वहीं 2021में ग्वादर में हुए एक अन्य हमले में वे मारे गए थे.

बीएलए प्रमुख बलूच जेब लगातार इन हमलों के पीछे का कारण बताते रहे हैं :

हमारे प्राकृतिक संसाधनों के दोहन में चीन बड़े पैमाने पर शामिल है. अपने आर्थिक और सैन्य विस्तारवादी मंसूबों को आगे बढ़ाने के लिए, चीन ने हमारे बंदरगाहों पर कब्जा कर लिया है और हमारी सहमति के बिना वह हमारी धरती पर मौजूद है. इसके अलावा हमारी स्वतंत्रता की लड़ाई को कुचलने के लिए यह पाकिस्तान को सक्रिय रूप से आर्थिक और सैन्य सहायता प्रदान कर रहा है... हाल ही में, चीन ने अपने प्रोजेक्ट्स को कई गुना बढ़ा दिया है और बलूच नरसंहार में पाकिस्तान के साथ सीधे तौर पर शामिल है, इसलिए चीन के बढ़ते कदम को रोकने के लिए हम हमलों को तेज करने के लिए अपनी जगह उचित हैं.”

जब लड़ाई में महिलाओं का शरीर इस्तेमाल किया जाता है

हालिया हमला बीएलए की रणनीति में स्पष्ट बदलाव को दर्शाता है और कुछ चिंताओं को उजागर करता है. यह पहला ऐसा मौका है जब किसी महिला को सुसाइड बम्बर यानी आत्मघाती हमलावर के तौर पर इस्तेमाल किया गया है. इसके साथ ही पहली बार बीएलए ने खुले तौर पर यह घोषणा की है कि मजीद ब्रिगेड में औरतें भी शामिल हैं. कई अन्य लड़ाईयों की तरह बलूचिस्तान युद्ध भी कई तरह से तेजी से महिलाओं के शरीर पर लड़ा जाने वाला युद्ध बनता जा रहा है. पाकिस्तानी आर्मी और इंटेलिजेंस द्वारा हर दिन बलूचिस्तान में ज्यादा से ज्यादा महिलाओं को गायब किया जा रहा है, उनका रेप किया जा रहा है, उन्हें प्रताड़ित किया जा रहा है और उनकी हत्या की जा रही है. यह केवल कुछ समय की बात थी जब तक कि महिलाएं अपने शरीर को केवल पीड़ितों के बजाय हथियारों के रूप में इस्तेमाल करने लगीं.

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इतिहास में ऐसा पहली बार नहीं हुआ है और निश्चित रूप से यह आखिरी भी नहीं होगा. लेकिन हालिया घटनाओं, विशेष रूप से तथाकथित 'सॉफ्ट टारगेट' की ओर सशस्त्र प्रतिरोध के तेजी से हुए स्पष्ट बदलाव, साथ ही साथ आत्मघाती हमलावरों के रूप में महिलाओं के उपयोग ने कई चिंताएं पैदा की हैं और कुछ मायनों में, बलूचिस्तान में जनता की राय विभाजित है.

निश्चित तौर पर, कराची अटैक या पिछले जनवरी में लाहौर में हुए हमले ऑपरेशन बलूच संघर्ष को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियों में ला सकते हैं. आखिरकार, जैसा कि अल्बर्ट कैमस ने कई साल पहले लिखा था, अखबारों में समाप्त होने के लिए और सेलिब्रिटी जैसा समय लाने के लिए आपको बस अपने चौकीदार या दरबान या केयरटेकर को मारने की जरूरत है.

लेकिन सभी बलूच गुरिल्ला आंदोलनों को एकजुट करने वाला आंदोलन बीआरएएस कुछ अन्य कारकों पर विचार करना चाह सकता है. बीएलए को पाकिस्तान द्वारा एक आतंकवादी संगठन के रूप में लेबल किया जा सकता है और चीनी दबाव के परिणामस्वरूप संयुक्त राष्ट्र की आतंकवादी सूची में शामिल किया गया है, लेकिन अधिकांश लोग सच्चाई से अवगत हैं: वे चल रहे नरसंहार और अपनी जमीन के शोषण का विरोध करते हुए लड़ रहे हैं.

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सिर्फ पाकिस्तान को हिंसा से फायदा

मुद्दे की बात यह है कि तमिल टाइगर्स या हाल ही में कुख्यात इस्लामी आतंकवादी समूहों द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली रणनीतियों को अपनाने से कोई दीर्घकालिक लाभ नहीं होगा.

सही मायने में देखा जाए तो पाकिस्तान एकमात्र ऐसा प्लेयर है, जिसे भविष्य में होने वाले नागरिकों पर हमलों और रणनीति के इस बदलाव से लाभ होगा. बलूच को सामान्य आतंकवादी के रूप में लेबल करने के लिए एक आधार मिलने पर इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (ISI) को बहुत खुशी होगी. इसकी वजह से जो प्रमुख समस्याएं हैं जैसे जबरन गायब करना, सामूहिक कब्र, न्यायेतर हत्याओं, महिलाओं और बच्चों से बलात्कार और उनकी हत्या से ध्यान भटकाया जा सकता है. इस प्रकार ISI के लिए 'राष्ट्रीय सुरक्षा खतरे' के बहाने मानव और नागरिक अधिकारों के उल्लंघन को छुपाना या उसे सही ठहराना आसान हो जाएगा.

इन समूहों के खिलाफ जवाबी कार्रवाई और सीधे हवाई हमले की धमकी चीनी पहले से ही दे रहे हैं. पाकिस्तान में ऑफिसियल नैरेटिव को सपोर्ट करने वाले समर्थक, जो कार्रवाई का अह्वान करते हैं और बलूच आंदोलन व बलूच नेताओं की दरार की ओर इशारा करते हैं, वे इस समय बलूच को सामान्य आतंकवादी के रूप में लेबल करने से सबसे ज्यादा खुश हैं.

नागरिकों पर हमलों को सही ठहराना मुश्किल है भले ही सही पक्ष के साथ खड़े हों. या जब आप कहते हैं कि जैसे कि इटली में रेड ब्रिगेड ने कई वर्षों पहले कहा था 'आप प्रतीकों को मारते हैं, आदमियों को नहीं.'

ब्रम्श ने बेहतर भविष्य के लिए अपना जीवन कुर्बान कर दिया, लेकिन दुनिया का ध्यान वास्तविक मुद्दे की ओर नहीं गया है- सभी बहस और सुर्खियां ब्रम्श, चीनी टारगेट और अलगाववादी समूहों के बारे में हैं. असली समस्या और उसकी जड़ पर बहुत कम या बिल्कुल भी ध्यान नहीं दिया गया है. जमीन पर अवैध कब्जे और चीनियों को बेचने के लिए पाकिस्तान को जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए; हर संभव तरीके से बलूच का शोषण करने के लिए पाकिस्तान को जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए; उन लोगों के खिलाफ किए गए अपराधों के लिए पाकिस्तान को जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए जिन्हें वे 'नागरिक' कहते हैं.

(फ्रांसेस्का मैरिनो एक पत्रकार हैं और साउथ एशिया एक्सपर्ट हैं, इन्होंने बी नताले के साथ 'एपोकैलिप्स पाकिस्तान' लिखी है. इनकी हालिया पुस्तक ‘Balochistan-Bruised, Battered and Bloodied’ है. ये ट्विटर पर @ francescam63 से ट्वीट करती हैं. इस लेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के अपने हैं. क्विंट न तो उनका समर्थन करता है और न ही उनके लिए जिम्मेदार है.)

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