मोदी कैबिनेट विस्तार का हाल देख तनु वेड्स मनु का वो डायलॉग याद आया-''आप तो बड़े मजबूर निकले शर्मा जी''.अच्छे दिन आने वाले हैं और विकास की झांकी दिखा कर लगता है बीजेपी वही करने लगी है जिसका विरोध करने का स्वांग रचा था.
जब 'सब चंगा सी' है तो 12 को क्यों घेरा?
हर मंच से इस सरकार के कामों के लिए भर-भर के तालियां बजवाई जाती हैं, फिर ऐसा क्या हो गया कि 12 मंत्रियों की कुर्सी खींच ली गई. आरएसपी प्रसाद-ट्विटर वार में जुटे थे. 'विदेशी शक्तियों' से भारत को बचाने के मिशन पर जुटे थे. सौगंध खाई थी कि विदेशियों से अपना ''कानून'' मनवा के रहेंगे. फिर क्या हुआ? बीच युद्ध में ऐसे कोई अपने सैनिक को विश्राम शिविर भेजता है?
सरकार ने देश के हर संभव मंच और मुंह से कहा कि कोरोना का हमने लाजवाब मुकाबला किया, विदेश में भी कह आए. फिर डॉक्टर साहब को इतनी कड़वी दवाई क्यों? हर्षवर्धन को हटाकर क्या मान लिया है कि सब मटियामेट कर दिया है. सच-सच बताइए कातिल सेकंड वेव का सारा ठीकरा हर्षवर्धन पर फोड़ना ज्यादती नहीं है?
मंत्रियों को रखने या हटाने का पैमाना क्या होना चाहिए? कितना काम किया, यही ना. तो क्या आपके 12 मंत्री काम नहीं कर रहे थे? देश पर सबसे बड़ी आपदा आई हुई थी तो आप काम नहीं कर पा रहे मंत्रियों को लेकर क्यों चलते रहे? मंत्रिमंडल में जंबो फेरबदल का इंतजार क्यों?
या फिर बात ये है कि इन बेचारों ने वही किया जो सत्ता के एक जगह सिमट जाने वाली सरकार में मंत्री कर सकते हैं और दरअसल इन्हें सजा देकर ये संदेश देने की कोशिश की है कि जो बुरा हुआ उसके लिए ये जिम्मेदार थे, इन्हें सजा मिली दे दी है, मुझे माफ करो? इतनी मजबूरी?
जातीय समीकरण, क्षेत्रीय तुष्टीकरण
आगे चुनाव हों तो मंत्रिमंडल में वहां के नेताओं को जगह देना कोई नई बात नहीं. लेकिन कुछ अलग करने के बजाय 'पार्टी विद ए डिफरेंस' ने हल्की सी परदेदारी भी नहीं रहने दी. जिस राज्य को विस्तार में सबसे बड़ी हिस्सेदारी मिली है वो है यूपी. सात मंत्री बनाए गए हैं यहां से. मत भूलिए कि 10 पहले से ही थे. अब कुल 17 हो गए हैं.
उसमें भी जातीय जुगाड़ साफ नजर आ रहा है. कोइरी, लोधी, दलित, कुर्मी, ओबीसी, ब्राह्मण, सब हैं. यूपी को लेकर इतनी ऐहतियात? केंद्र में काम बढ़िया हो इसके लिए पोर्टफोलियो बांट और ठीक कर रहे हैं या फिर कैबिनेट विस्तार के बहाने यूपी की गोटियां सेट कर रहे हैं? एक सांसद ने सरेआम कोरोना कुप्रबंधन के लिए योगी सरकार की खिंचाई की, अब वो केंद्र में मंत्री बन गया है. क्या संदेश है? आजमगढ़ में पासियों के साथ बड़ी ज्यादती हुई है. अब केंद्र में यूपी से एक पासी नेता को जगह दे गई है. क्या संयोग है?
इलाकों का भी पूरा खयाल रखा गया है. पूर्वांचल से पंकज चौधरी और अनुप्रिया पटेल तो बुंदेलखंड से भानु प्रताप वर्मा, ब्रज क्षेत्र से SP बघेल हैं तो अवध क्षेत्र से कौशल किशोर और अजय मिश्रा, रूहेलखंड से बीएल वर्मा.
हर अखबार और वेबसाइट पर योगी सरकार के ''शानदार काम'' पर विज्ञापनों की बौछार और यूपी के लिए एक्सक्लूसिव कैबिनेट विस्तार! क्या यूपी में बीजपी की इतनी बुरी गत के सुराग मिले हैं? क्या गंगा में बहती लाशें डरा रही हैं?
बंपर ऑफर-बीजेपी में आओ, बर्थ पाओ!
विश्वविजय को निकली जिस पार्टी ने 2019 में अनुप्रिया पटेल से लेकर नीतीश कुमार को अनसुना कर दिया था, वो आज उनके साथ एडजस्ट करने को तैयार है तो क्या मजबूरी है? पशुपति पारस तक को लेने की क्या वजह है? बिहार में कौन इतना परेशान कर रहा है?
जिस पार्टी में ग्राउंड वर्क करने के बाद इनाम देने की परंपरा रही है. अभी तक के इतिहास में जो पार्टी दूसरे दलों से आने वाले लोगों को जल्दी पद और प्रतिष्ठा नहीं देती वो क्यों थोक के भाव में ज्योदिरादित्य सिंधिया, नारायण राणे, निसिथ प्रमाणिक, कपिल पाटिल जैसों को सिर आंखों पर बिठा रही है? मुकुल रॉय इतना बड़ा झटका दे गए? कांग्रेस मुक्त भारत बनाते-बनाते बीजेपी खुद क्यों कांग्रेस युक्त होती जा रही है? प्योर कांग्रेस, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, तृणमूल कांग्रेस, सब आ जाओ, सब पा जाओ.
कैबिनेट विस्तार या जुगाड़ रहे जनाधार?
मंत्रिमंडल से हटाए गए ज्यादातर लोगों को देखकर समझ में नहीं आता कि क्यों हटाया. संतोष गंगवार को क्यों जाना पड़ा, पहेली है. राज्यवर्धन राठौर ने क्या गलत किया था? इसी तरह ज्यादातर के बारे में नहीं समझ आता कि वो जहां बिठाए गए हैं, वो किस स्पेशलाइजेशन के कारण? हिमाचल से लेकर कर्नाटक और गुजरात तक बर्थ का बंटवारा देख लगता है कि ये चुनावी विस्तार है.मोदी मंत्रिमंडल विस्तार का नाम, वोट विस्तार का काम- 5 प्वाइंट में समझिए
सवाल है ब्राह्मणों की पार्टी मानी जाने वाली भारतीय जनता पार्टी क्या बैकवर्ड जनता पार्टी (BJP) बन गई है. बनने में कोई बुराई नहीं है लेकिन दिक्कत बनने के अंदाज में है. कहां तो विकास के ख्वाब दिखाते थे. गजब का काम कर छा जाना था, लेकिन आप भी दलित, पिछड़ा, जातीवाद, क्षेत्रवाद की राजनीति करने लगे?
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