ADVERTISEMENTREMOVE AD

Rajasthan Election: बीजेपी और कांग्रेस के बीच क्यों झूल रही सत्ता? समझें गणित

Rajasthan Elections 2023: हमने 2008, 2013 और 2018 के चुनावों में मतदान नतीजों के आधार पर निर्वाचन क्षेत्रों को 3 श्रेणियों में बांटा है.

story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा

राजस्थान में 25 नवंबर को विधानसभा चुनाव (Rajasthan Elections) के लिए वोट डाले गए, जिसमें कुल 74.5% वोट पड़े. 1998 से एक पैटर्न रहा है कि राज्य में एक बार बीजेपी और एक बार कांग्रेस सत्ता में आती है.

अब ये देखना होगा कि क्या कांग्रेस इस ट्रेंड को तोड़ पाने में कामयाब होगी. सारी निगाहें 3 दिसंबर को आने वाले नतीजों पर हैं.

इस पैटर्न को समझने के लिए हमने इस बात पर गौर किया कि 2008 से विधानसभाओं ने अपना वोटिंग पैटर्न किस तरह बदला है?

Rajasthan Elections 2023: हमने 2008, 2013 और 2018 के चुनावों में मतदान नतीजों के आधार पर निर्वाचन क्षेत्रों को 3 श्रेणियों में बांटा है.
ADVERTISEMENTREMOVE AD

हमने 2008, 2013 और 2018 के चुनावों में नतीजों के आधार पर निर्वाचन क्षेत्रों को 3 श्रेणियों में बांटा है.

1. सत्ता विरोधी लहर: राजस्थान की 200 विधानसभाओं में से 44 सीटें (22%) ऐसी हैं, जिसने पिछले 3 चुनावों में हर बार सत्ताधारी दल को बाहर किया है.

2. गढ़ मानी जाने वाली सीटें: राजस्थान की 200 विधानसभाओं में से 33 सीटें (16.5%) ऐसी हैं, जिसे बीजेपी या कांग्रेस का गढ़ माना जा रहा है. मतलब इन सीटों पर पिछले 3 चुनावों में हर बार या तो बीजेपी या कांग्रेस ने जीत हासिल की हैं. इसमें बीजेपी काफी आगे है. 33 में से 28 सीटों पर तीनों बार बीजेपी ने जीत हासिल की है, जबकि कांग्रेस केवल 5 सीटों पर हैट्रिक लगा पाई.

3. स्विंग: राजस्थान चुनावों की सटीक भविष्यवाणी में 123 'स्विंग' सीटें ही (61.5 प्रतिशत) मुश्किल खड़ी कर रही हैं, जहां कोई स्पष्ट पार्टी के वोटर या रुझान नहीं है. उदाहरण के लिए, दो निर्वाचन क्षेत्रों, झाड़ोल और जहाजपुर, ने पिछले तीन चुनावों में रुझान के उलट जाकर मतदान किया है. जब कांग्रेस सत्ता में आई तो बीजेपी का विधायक चुना गया और जब बीजेपी सत्ता में आई तो कांग्रेस का.

राजस्थान में कांग्रेस और बीजेपी के बीच मुख्य रूप से द्विध्रुवीय मुकाबला है, जिसमें कोई बड़ी क्षेत्रीय चुनौती नहीं है. इन 123 में से, कांग्रेस और बीजेपी ने 63 सीटों पर जीत हासिल की है, जबकि पिछले तीन चुनावों में से केवल 58 निर्वाचन क्षेत्रों में निर्दलीय और तीसरे दलों ने जीत हासिल की है.

Rajasthan Elections 2023: हमने 2008, 2013 और 2018 के चुनावों में मतदान नतीजों के आधार पर निर्वाचन क्षेत्रों को 3 श्रेणियों में बांटा है.

कांग्रेस से 5 गुना ज्यादा बीजेपी के पास मजबूत सीटें 

बीजेपी के लिए 28 मजबूत सीटों के साथ-साथ 44 सत्ता-विरोधी लहर वाली सीटों का प्रभाव उन्हें बड़ी जीत की तरफ ले जा सकता है. उनके वफादार निर्वाचन क्षेत्रों के बड़े आधार का मतलब है कि वे सिर्फ जीतते ही नहीं हैं, वे अक्सर बड़े अंतर से जीतते हैं.

लेकिन बड़ी संख्या में स्विंग सीटों और द्विध्रुवीय मुकाबले के साथ, केवल पांच मजबूत सीटों के बावजूद, कांग्रेस अभी भी एक अच्छी स्थिति में है. लगभग 142 सीटों पर, किसी तीसरे दल ने 2008 से 2018 के बीच कोई चुनाव नहीं जीता है, जो राज्य में दो ही पार्टियों के बीच टक्कर को दर्शाता है.

किसी मजबूत तीसरे मोर्चे का न होना, किसी बड़े सत्ता विरोधी लहर के न होनो का एक कारण हो सकता है, क्योंकि मतदाता सत्ताधारी पार्टी से असंतुष्ट हैं, लेकिन उनके पास दूसरे विकल्प के अलावा कोई विकल्प नहीं है.

हरियाणा और उत्तर प्रदेश के करीब की सीटों पर तीसरे पक्ष की चुनौती ज्यादा देखी जाती है, जबकि गुजरात के करीब के क्षेत्रों में बीजेपी का गढ़ और द्विध्रुवीयता हावी है.

Rajasthan Elections 2023: हमने 2008, 2013 और 2018 के चुनावों में मतदान नतीजों के आधार पर निर्वाचन क्षेत्रों को 3 श्रेणियों में बांटा है.

इस मैप से हमें पता चलता है कि जहां तीसरे पक्ष से चुनौती मिल रही हैं. वो ज्यादातर सीटें राज्य के उत्तर-पूर्वी हिस्से में हैं.

हरियाणा और उत्तर प्रदेश की सीमा से लगे ज्यादा आबादी वाले इलाकों में स्वतंत्र उम्मीदवार और तीसरे दल ज्यादा मजबूत हैं. इसके उलट, गुजरात और मध्य प्रदेश की सीमा से लगे राज्य के दक्षिण पश्चिम इलाकों में कांग्रेस और बीजेपी के बीच ही मुकाबला देखने को मिलता है.

बीजेपी की ज्यादातर मजबूत सीटें भी यहीं हैं. ये दर्शाता है कि क्षेत्रीय प्रभाव राज्य की सीमाओं के पार भी देखने को मिलता है. गुजरात भी काफी हद तक द्विध्रुवीय राज्य है, जबकि हरियाणा और उत्तर प्रदेश में क्षेत्रीय दलों का महत्वपूर्ण प्रभाव देखा जाता है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

जब बीजेपी जीतती है तो वोट शेयर कांग्रेस से ज्यादा होता है

चुनावों में अपनी-अपनी मजबूत सीटों पर बीजेपी और कांग्रेस दोनों के वोट शेयर में एक सा अंतर देखने को मिलता है. इन सीटों पर चुनाव में सत्ता विरोधी लहर का प्रभाव वोट शेयर पर देखा जा सकता है.

जीतने और हारने वाली पार्टियों के बीच वोट शेयर का अंतर 19-22% के आसपास रहता है. यहां तक कि जब पार्टी सत्ता में नहीं आ पाती, तब भी उसी पार्टी को इन सीटों पर 10 प्रतिशत ज्यादा वोट शेयर मिलता है. इससे साफ है कि इन सीटों पर वोटर्स अपनी पार्टी के लिए वफादार हैं.

Rajasthan Elections 2023: हमने 2008, 2013 और 2018 के चुनावों में मतदान नतीजों के आधार पर निर्वाचन क्षेत्रों को 3 श्रेणियों में बांटा है.
सत्ता-विरोधी लहर के दौरान जीतने वाली पार्टी के पास 10-12 प्रतिशत ज्यादा वोट होते हैं, जो मतदाताओं के बीच लगातार बदलाव की इच्छा को दर्शाता है.

स्विंग सीटों पर वोटर्स के व्यवहार में बड़ा अंतर दिखता है. बीजेपी ने जब जीत हासिल की तो पार्टी ने 12 प्रतिशत वोट शेयर के साथ कांग्रेस से बेहतर प्रदर्शन किया. ये गारंटी देता है कि बीजेपी स्विंग सीटों पर स्वीप करती है. इसके मुकाबले कांग्रेस का वोट शेयर थोड़ा ही ज्यादा होता है. इससे इस बार कांग्रेस और बीजेपी के बीच कड़े मुकाबले का संकेत मिल रहा है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

स्विंग सीटों पर तीसरी पार्टी भी कड़े मुकाबले में देखी जाती है. ये इशारा है कि स्विंग सीटों पर बीजेपी का प्रभाव ज्यादा होता है.

सत्ता-विरोधी लहर वाली सीटों के साथ, इन स्विंग सीटों का बीजेपी की तरफ बड़े वोट-शेयर के साथ शिफ्ट होना राजस्थान में सत्ता-विरोधी लहर के पैटर्न को स्पष्ट करता है. यही कारण है कि बीजेपी जीतते समय कांग्रेस से बड़े मार्जन से जीतती है.

इस प्रकार, ये आंकड़े बताते हैं कि बीजेपी 3 दिसंबर को आने वाले नतीजों में जीत हासिल करने के लिए अच्छी स्थिति में है. हालांकि, ये देखना बाकी है कि क्या कांग्रेस राजस्थान के सत्ता-विरोधी प्रवृत्ति को बदलने के लिए तमाम मुश्किलों से पार पा सकती है या नहीं.

(सुरभि और ईशान ग्रेजुएशन के छात्र हैं, जो हार्वर्ड केनेडी स्कूल ऑफ गवर्नमेंट में अर्थशास्त्र और पब्लिक पॉलिसी की पढ़ाई कर रहे हैं. ये एक ओपिनियन है और ऊपर व्यक्त विचार लेखक के अपने हैं. क्विंट न तो इसका समर्थन करता है और न ही इसके लिए जिम्मेदार है.)

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें
×
×