उत्तर प्रदेश की राजनीति का 'दंगल' सामने आ गया है और मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ये लड़ाई साफ तौर पर हारते दिख रहे हैं. इस बार उन्हें मात देने का सेहरा उनके चाचा शिवपाल यादव पर नहीं, बल्कि उनके पिता और समाजवादी कुनबे के प्रमुख मुलायम सिंह यादव के सर बधा है.
मुख्यमंत्री बनाम प्रदेश अध्यक्ष अथवा चाचा-भतीजा संघर्ष यानी अखिलेश-शिवपाल गणित युद्ध में दोनों पक्षों ने विधानसभा चुनावों के लिए उम्मीदवारों की अपनी-अपनी लिस्ट पार्टी सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव को सौंपी थी.
अखिलेश यादव के तीन समर्थकों का पत्ता उस लिस्ट से साफ है. ये हैं रामनगर, बाराबंकी सीट से विधायक और प्रदेश के ग्राम्य विकास मंत्री अरविन्द सिंह गोप. इनकी जगह टिकट मिला है पार्टी के पुराने कद्दावर नेता बेनी प्रसाद वर्मा के बेटे राकेश वर्मा को. अयोध्या सीट से विधायक पवन पाण्डे, जिन्हें शिवपाल ने बाहर का रास्ता दिखा दिया था, लेकिन अखिलेश ने अपने मंत्रिमण्डल में बरकरार रखा, उनका टिकट भी कट गया है. उनके ममेरे भाई आशीष पाण्डे को इस बार मुलायम का आशीर्वाद मिला है.
प्रदेश के वरिष्ठ मंत्री और पूर्व प्रधानमंत्री चन्द्रशेखर के करीबी रहे राम गोविन्द चौधरी का पत्ता भी समाजवादी पार्टी के उम्मीदवारों की सूची से साफ है. इसके अलावा कई अखिलेश समर्थक विधायकों की सीटें बदल दी गई हैं.
अगर बात करें पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष चाचा शिवपाल की, तो नेताजी की लिस्ट उनके मन मुताबिक लगती है. चाहे ओमप्रकाश सिंह हों या फिर शादाब फातिमा, किसी भी शिवपाल समर्थक का नाम नहीं काटा गया है.
पहली लिस्ट में घोषित 325 उम्मीदवारों में 2012 में 176 जीती हुईं सीटों से हैं, तो 149 हारी हुई सीटों से. बताया जा रहा है कि 78 सीटों पर सर्वे का काम चल रहा है. 403 सीटों के लिए कुल 4200 नामों पर चर्चा हुई थी.
मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और उनका खेमा कांग्रेस और चौधरी अजित सिंह के राष्ट्रीय लोकदल के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ने की पैरोकारी कर रहा था. लेकिन मुलायम सिंह यादव 'एकला चलो रे' पर कायम रहे. उन्होंने किसी भी गठबन्धन की सम्भावना को सिरे से नकार दिया है.
मुख्यमंत्री अखिलेश को जब ये सूचना मिली, तो वे झांसी में थे. जाहिर तौर पर नाराज अखिलेश ने कहा कि वो लखनऊ लौटकर मुलायम सिंह से बात करेंगे और संघर्ष जारी रहेगा.
सूत्र बताते हैं कि पिता-पुत्र के बीच चल रही खींचतान का सिर्फ एक कारण है. वो हैं मुलायम सिंह के सगे भाई और प्रदेश पार्टी अध्यक्ष शिवपाल यादव. जब से शिवपाल को अखिलेश ने मंत्रिमंडल से बाहर किया है, तब से मुलायम नाखुश हैं. वो कई बार सार्वजनिक मंच से कह चुके हैं कि शिवपाल को वापस सम्मान के साथ मंत्री बनाना चाहिए पर, अखिलेश ने उनकी बात को अनसुना कर दिया.
अब 325 उम्मीदवारों की सूची आने के बाद मुलायम सिंह ने भी साफ कर दिया है कि वो इसमें कोई फेरबदल नहीं करेंगे. इतना ही नहीं, मुलायम सिंह यादव ने साफ शब्दों में कह दिया कि मुख्यमंत्री कौन होगा, इसका फैसला तो चुनाव के नतीजे आने के बाद ही होगा. यानी अखिलेश को वो अभी से अगला मुख्यमंत्री प्रोजेक्ट करने को तैयार नहीं है.
उधर लखनऊ में पार्टी मुख्यालय के बाहर नारेबाजी का सिलसिला फिर शुरू हो गया है. मुख्यालय के गेट बंद कर दिए गए हैं. केवल विधायकों और मंत्रियों को अन्दर जाने की इजाजत है. बाहर भारी संख्या में पार्टी के युवा कार्यकर्ता अखिलेश यादव का नाम मुख्यमंत्री पद के लिए घोषित करने के नारे लगा रहे हैं.
सपा में टिकट वितरण से नाराज अखिलेश ने अपने समर्थकों की मीटिंग बुलाई. सूत्रों की मानें, तो मीटिग में पहले सीएम ने लिस्ट पर चर्चा की और एक-एक नाम पर चर्चा करके ये पता लगाया कि कौन किसका करीबी है.
जारी लिस्ट में 108 नामों से अखिलेश बेहद नाराज हैं. लिस्ट में जो 149 नये चेहरे मैदान में उतारे जा रहे हैं, उनमें 85 शिवपाल, 40 मुलायम और 24 अखिलेश के नजदीकी लोगों को टिकट दिया गया है. वहीं जिन 176 विधायकों को टिकट दिया गया है, उनमें 79 शिवपाल, 48 मुलायम, 32 अखिलेश, 5 आजम खान, 6 धर्मेन्द्र यादव, 2 रामगोपाल और 4 बेनी प्रसाद वर्मा समर्थक हैं.
लिस्ट का विश्लेषण करने के बाद अखिलेश खेमे के कुल 56 लोगों को टिकट मिला है और शिवपाल ने अपने 164 समर्थकों को टिकट दिला दिया है.
सूत्रों की मानें, तो मीटिंग में अखिलेश ने अपनी कोर कमेटी के साथ अलग से भी बैठक की और सभी समर्थकों से कहा कि इस मामले को पार्टी फोरम पर नेताजी के सामने उठाएंगे और जो टिकट के हकदार हैं, उन्हें टिकिट मिले, ये उनका प्रयास होगा.
वहीं अखिलेश यादव ने मुलायम सिंह को 365 नामों की एक लिस्ट दोबारा दी है. इनकी मांग है कि इन्हीं नामों को फाइनल किया जाए. सूत्र बताते हैं कि पुत्र ने पिता को 24 घंटे का अल्टीमेटम दिया है. इस लिस्ट को नहीं माने जाने की सूरत में टीम अखिलेश फैसला लेगी कि उसका अगला कदम क्या होगा.
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