ADVERTISEMENTREMOVE AD

धोनी ने क्रिकेट जैसे एलीट खेल को लोकतांत्रिक बनाया है

एम एस धोनी ने छोटे शहरों और पिछड़े क्षेत्रों के लड़कों के लिए क्रिकेट के दरवाजे खोले हैं- डॉ. शशि थरूर

Updated
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा
Hindi Female

स्वाधीनता दिवस की शाम को देश के एक चहेते हीरो ने खुद की आजादी का ऐलान कर दिया. 39 साल के महेंद्र सिंह धोनी, ‘कैप्टन कूल’ के नाम से लोकप्रिय, भारत के महान विकेटकीपर-बल्लेबाज और यकीनन सबसे बेहतरीन और सफल कैप्टन ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से रिटायरमेंट ले लिया.

इसके लिए उन्होंने सोशल मीडिया का सहारा लिया. इंस्टाग्राम पर एक वीडियो शेयर किया जिसमें उनके 16 साल के करियर के शानदार पलों की यादें कैद हैं. पीछे मुकेश के गाए मशहूर गीत की स्वर लहरियां बज रही हैं- मैं पल दो पल का शायर हूं. नीचे लिखा है- ‘आपके प्यार और सहयोग के लिए बहुत बहुत शुक्रिया. 1929 से मुझे रिटायर मानिए.’

ADVERTISEMENTREMOVE AD

उन्होंने अपने चिरपरिचित अंदाज में यह घोषणा की- एकाएक, शालीनता से और बिना किसी चर्चा को छेड़े. ऐसा उन्होंने तब भी किया था, जब टेस्ट क्रिकेट से संन्यास लिया था. ऑस्ट्रेलिया के दौरे के बीच उन्होंने बीसीसीआई (भारतीय क्रिकेट नियंत्रण बोर्ड) को ईमेल के जरिए बताया था कि वह रिटायर हो रहे हैं. इसी शैली में वह वन डे क्रिकेट से भी रिटायर हुए थे- अपने तरीके से, और अपनी शर्तों पर.

एम एस धोनी ने छोटे शहरों और पिछड़े क्षेत्रों के लड़कों के लिए क्रिकेट के दरवाजे खोले हैं- डॉ. शशि थरूर
‘धोनी अपनी ही शैली में वनडे से भी रिटायर हुए थे’
(फोटो: ICC)

मैं जानता था कि मुझे हमेशा इस शख्स के खेल का इंतजार रहेगा

उनके दोस्त बताते हैं, धोनी को पूरी उम्मीद थी कि वह इस साल अक्टूबर में होने वाले टी20 वर्ल्ड कप में एक फाइनल टूर्नामेंट जरूर खेलेंगे. यह सीरिज ऑस्ट्रेलिया में खेली जानी थी लेकिन कोविड 19 के कारण स्थगित हो गई. 2007 में धोनी के नेतृत्व में भारतीय क्रिकेट टीम ने जिस तरह टी 20 वर्ल्ड कप को अपने नाम किया था, अगर 13 साल बाद उसी टूर्नामेंट से धोनी का रिटायरमेंट होता तो यह सोने पर सुहागे का काम करता. लेकिन ऐसा नहीं हुआ, और धोनी ने तय किया कि वह और देर नहीं कर सकते.

क्रिकेट की दुनिया में धोनी ने तब उभरना शुरू किया था, जब मैं युनाइटेड नेशंस में था और अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट बहुत अधिक नहीं देखता था. मैंने उन्हें तब खेलते देखा, जब उन्होंने 2005 में जयपुर में श्रीलंका के खिलाफ तीसरे एकदिवसीय मैच में नाबाद 183 रन बनाए थे.

यह चकित कर देने वाला प्रदर्शन था. श्रीलंका ने 5 विकेट पर 298 रनों की शानदार पारी खेली थी और सलामी बल्लेबाज संगकारा ने नाबाद 138 रन बनाए थे. जवाब में तेंदुलकर पहले ओवर में 2 रन बनाकर आउट हो गए थे. इसके बाद धोनी मैदान में उतरे थे. उन्होंने कोलिसियम में ग्लैडिएटर की तरह अपना दबदबा बनाया. उनका बल्ला मानो युद्ध के मैदान का हथियार बन गया. उनकी 183 रनों की नाबाद पारी के चलते भारत ने 46.1 ओवर में ही श्रीलंका के छक्के छुड़ा दिए. 15 चौक्के और दस छक्के तो सिर्फ 25 गेंदों में लगाए, यानी 120 रन सिर्फ चौके और छक्कों से ही बने. इसके बाद मैं युनाइटेड नेशंस लौट गया लेकिन मुझे इस बात का यकीन था कि मैं हमेशा इस शख्स का कायल रहूंगा. हमेशा उसके खेल का इंतजार करता रहूंगा.

0

धोनी के नेतृत्व में लगता था, भारत में कोई भी मैच जीत सकता है

धोनी ने भारतीय क्रिकेट में नई जान फूंकी- हमारी टीम ऐसे प्रतिभावान खिलाड़ियों का समूह है जो अच्छा तो खेलती है लेकिन विजेता नहीं बन पाती. धोनी ने इस टीम को एक विजेता टीम में तब्दील किया. खिलाड़ी और कैप्टन के तौर पर उनका रिकॉर्ड बेजोड़ है. उनकी अगुवाई में भारत ने हर आईसीसी ट्रॉफी को एक न एक बार अपने नाम किया- टी20 वर्ल्ड कप, 50 ओवर का क्रिकेट विश्व कप, दो एशियाई कप और एक चैंपियन्स ट्रॉफी.

2011 में धोनी ने नेतृत्व में भारतीय टीम ने दूसरी बार वर्ल्ड कप जीता. वानखेड़े स्टेडियम में जब धोनी ने शानदार छक्का जड़ा तो स्टेडियम खुशी से झूम उठा. ऐसा लगता था कि उनकी कप्तानी में भारत हर मैच जीत सकता है, भले ही उसकी प्रतिस्पर्धी टीम कोई भी हो. आईपीएल में वह सफल कप्तान रहे. उनकी टीम चेन्नई सुपर किंग्स ने तीन बार कप जीता. इस तरह वह चेन्नई वालों के दिलों में बस गए.

उनमें नेतृत्व का गुण है, साथ ही उनका बर्ताव स्थिर और प्रकृति शांत है- भले ही मैच के दौरान टीम किसी भी विकट स्थिति में हो, उनके चेहरे पर दुख, या चिंता की हल्की सी लकीर भी नजर नहीं आती. भारत के सर्वश्रेष्ठ विकेटकीपर- विकेट के पीछे उनकी चपलता सभी बल्लेबाजों को आशंकित करती थी, क्योंकि वह पलक झपकते ही उन्हें स्टंप कर देते थे.

उन्होंने सबसे यादगार रनआउट्स किए हैं, वह इतने फुर्तीले थे कि पल भर में किल्लियां उड़ा देते थे. अक्सर फील्डर की फेंकी गई गेंद को कैच करने और फिर उसे स्टंप पर फेंकने में समय बर्बाद नहीं करते थे- गेंद के हाथ में आते ही बिना एक भी सेकेंड गंवाए गेंद स्टंप पर मार देते थे. भले ही स्टंप उन्हें दिख भी न रही हो.

जैसे शुरुआत की, ठीक वैसे ही विदाई’’

धोनी एक ताकतवर और आतिशी बल्लेबाज रहे हैं. उनका हेलीकॉप्टर शॉट सबसे ज्यादा लोकप्रिय रहा. उनकी कलाई स्ट्रोक के बाद बैट को ऐसे घुमाती थी जैसे हेलीकॉप्टर का पंखा घूमता है. सीमित ओवर वाले क्रिकेट में कुछ ही अच्छे फिनिशर्स रहे हैं, धोनी आखिर तक जिम्मेदारी संभाले रहते थे. मैच के आखिरी ओवर की आखिरी गेंद में भी वह ऐसे शानदार छक्के जड़ देते थे कि हारा हुआ मैच जीत में बदल जाता था. उन्होंने अपनी बल्लेबाजी से टीम को अप्रत्याशित जीत दिलाई, बल्कि एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय मैचों में उनका औसत 50 से अधिक रहा है.

एम एस धोनी ने छोटे शहरों और पिछड़े क्षेत्रों के लड़कों के लिए क्रिकेट के दरवाजे खोले हैं- डॉ. शशि थरूर
15 अगस्त, 2020 को धोनी ने किया संन्यास का ऐलान
(फोटो: PTI)

यह उपलब्धि बहुत कम लोगों को हासिल हुई है और जितने मैच उन्होंने खेले, उतने मैच खेलकर किसी का भी औसत इतना नहीं था. दुखद यह रहा कि उन्होंने अपना करियर वैसे ही खत्म किया जैसे शुरू किया था. अपने पहले मैच की तरह आखिरी मैच में भी वह रनआउट हुए. 2019 में न्यूजीलैंड के खिलाफ विश्व कप के सेमीफाइनल में वह 50 रन बनाकर रनआउट हुए थे. यह उनका आखिरी मैच है.

मैदान पर एम एस धोनी अपने तेज बल्लेबाजी और फुर्तीली कीपिंग के लिए जाने जाते थे. उनका नेतृत्व का गुण और शांत स्वभाव दूसरों के लिए भी एक मिसाल है. मैदान से परे भी वह देश के सबसे लाडले खिलाड़ियों में से एक हैं. टेलीविजन और प्रिंट विज्ञापनों में उनकी मुस्कुराहट जब प्रॉडक्ट्स को एंडोर्स करती है तो कितने ही व्यवसायों को सफल बना देती है.

धोनी ने भारत में एलीट क्रिकेट का लोकतांत्रिकरण किया

लेकिन उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि उनका एम एस धोनी होना है. झारखंड जैसे पिछड़े राज्य का एक विनम्र लड़का, जिसने क्रिकेट के लिए रेलवे में टिकट कलेक्टर की नौकरी भी की. उनकी खासियत यह थी कि उन्होंने क्रिकेट जैसे एलीट खेल को लोकतांत्रिक बनाया.

आज अगर देश के छोटे शहरों और पिछड़े क्षेत्रों के लड़के राष्ट्रीय स्तर पर क्रिकेट में अपनी पहचान बना रहे हैं तो इसकी एक वजह यह है कि एम एस धोनी के उनके लिए दरवाजे खोले हैं और उन्हें रास्ता दिखाया है. उन्होंने भारत पर हमारा भरोसा जगाया है क्योंकि उन्हें हमेशा खुद पर भरोसा रहा है.

(युनाइटेड नेशंस के पूर्व अंडर सेक्रेटरी जनरल शशि थरूर कांग्रेस सांसद और लेखक हैं. वह @ShashiTharoor पर ट्विट करते हैं. यह लेखक के निजी विचार हैं. द क्विंट का उनसे सहमत होना जरूरी नहीं है)

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

Published: 
सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें
×
×