साल 2023- 24 (जो अभी तक खत्म नहीं हुआ है) के लिए बीती 29 फरवरी को राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय की तरफ से द्वितीय अग्रिम अनुमान घोषित किए गए. सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के आंकड़ों के प्रथम अग्रिम अनुमान 5 जनवरी को घोषित किए गए थे.
पिछले दिनों अक्टूबर से दिसंबर की तीसरी तिमाही में वास्तविक जीडीपी में 8.4% की शानदार वृद्धि खबरों में काफी चर्चा का विषय रही थी. अर्थव्यवस्था की इस उत्साहजनक प्रदर्शन ने साल 2023- 24 की वास्तविक जीडीपी वृद्धि को 7.3% के प्रथम अग्रिम अनुमान से द्वितीय अग्रिम अनुमान में 7.6% के उच्च स्तर पर पहुंचा दिया है.
हालांकि, इस बीच नॉमिनल जीडीपी के आंकड़ों में कुछ अजीब प्रकार की हलचल रही.
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय ने साल 2023- 24 के लिये नॉमिनल जीडीपी की वृद्धि को प्रथम अग्रिम अनुमान में 8.9% से संशोधित करके 0.2% बढ़ाते हुए द्वितीय अग्रिम अनुमान में 9.1% किया है. लेकिन एवसेल्यूट नॉमिनल जीडीपी के आंकड़ों को 296.58 खरब रुपये से 0.9% घटाकर 293.90 खरब रुपये कर दिया गया है.
नॉमिनल जीडीपी महत्वपूर्ण होती है क्योंकि जीडीपी की अमेरिकी डॉलर के संदर्भ में गणना नॉमिनल जीडीपी को रुपये-डालर विनिमय दर से भाग देकर की जाती है. भारत जो 5 खरब की अर्थव्यवस्था बनने का सपना देखता रहा है, वो 5 खरब का आंकड़ा भी अमेरिकी डॉलर के संदर्भ में ही व्यक्त किया जाता रहा है.
आखिर ये पूरा मामला क्या है? जीडीपी के द्वितीय अग्रिम अनुमान के आंकड़ों का वास्तविक संदेश क्या है ? क्या द्वितीय अग्रिम अनुमान के ये विलक्षित आंकड़े कुछ और ही कहानी बयां करते है?
तीसरी तिमाही के चमकीले आंकड़े हमें चौथी तिमाही के बारे में क्या बताते हैं?
पहली तिमाही में जीडीपी की 8.2% की वृद्धि और दूसरी तिमाही में जीडीपी की 8.1% वृद्धि के तर्ज पर चलते हुए वर्ष 2023-24 की तीसरी तिमाही में भी जीडीपी की 8.4% की वृद्धि काफी प्रभावी जान पड़ती है. वर्ष 2023- 24 में अप्रैल से लेकर दिसंबर तक नौ महीनों में भारत की 126.48 खरब की वास्तविक जीडीपी में 8.2% की शानदार वृद्धि दर्ज की गई.
हालांकि, 2023-24 के पूरे वर्ष के लिये राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय ने 172.90 खरब जीडीपी का और 7.6% की जीडीपी वृद्धि का द्वितीय अग्रिम अनुमान लगाया है.
इसका मतलब ये है कि राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय ये अपेक्षा कर रहा है कि चौथी तिमाही में देश की जीडीपी 46.42 खरब (172.90 - 126.48) पहुंचेगी. वर्ष 2022-2023 की चौथी तिमाही में जीडीपी 43.83 खरब (160.71 -116.88) थी.
इसीलिए राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय का ये अनुमान है कि चौथी तिमाही में जीडीपी में मात्र 2.59 खरब (46.42 - 43.83) की ही वृद्धि होगी, जो मात्र 5.9% की वृद्धि है.
पहली तीन तिमाहियों में 8.2%, 8.1% और 8.4% की वृद्धि की तुलना में चौथी तिमाही में राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय 5.9% वृद्धि की निराशाजनक तस्वीर क्यों पेश कर रहा है?
संभावना ये है कि वर्ष 2023-24 में चौथी तिमाही की वृद्धि के आंकड़ें 31 मई 2024 तक आएंगे और तब तक लोकसभा चुनावों के नतीजे आ चुके होंगे और अनुमान है कि तब तक नई सत्ता भी सरकार में आ जाएगी.
क्या तीसरी तिमाही के जीडीपी के आंकड़ों को कुछ ज्यादा ही चमकदार बताने की कोशिश की जा रही है?
GDP तो बढ़ गई लेकिन ग्रॉस वैल्यू एडेड (GVA) तो वैसा का वैसा है
जीडीपी की माप इस बात से की जाती है कि अर्थव्यवस्था में मांग कितनी है. वही अर्थव्यवस्था की आपूर्ति (अर्थव्यवस्था में वस्तुओं और सेवाओं का उत्पादन) को ग्रास वैल्यू एडेड (GVA) से मापा जाता है.
2023- 24 की तीसरी तिमाही में जीडीपी की वृद्धि तो 8.4% है लेकिन GVA में वृद्धि मात्र 6.5% है. जीडीपी और GVA में ये अंतर काफी ज्यादा है.
पूरे 2023-24 के साल में प्रथम अग्रिम अनुमान में जीडीपी वृद्धि 7.3% से द्वितीय अग्रिम अनुमान में 7.6% तक गई है. लेकिन GVA में 6.9% से आगे कोई वृद्धि नहीं हुई है.
ऐसा क्या हुआ कि जीडीपी आगे निकल गई और GVA, जो जीडीपी की वृद्धि का मूल होता है, पर उसका कोई प्रभाव ही नहीं पड़ा?
राष्ट्रीय स्तर पर जीडीपी, GVA और जमा किये गए कुल टैक्स के बराबर होती है और परोक्ष करो जैसे कि GST में से सरकार के द्वारा उर्वरकों जैसी चीजों पर दी गई छूट को हटाकर जो बचता है, वो कुल जमा किया गया टैक्स होता है.
अब राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय ने किया ये है की परोक्ष टैक्सों में स्वास्थ्यवर्धक वृद्धि का अनुमान लगाते हुए दी जाने वाली सब्सिडी को अनुमानतः कम कर दिया है. परिणामस्वरूप कुल टैक्सों में 15.5% की वृद्धि दर्ज की गई है. इससे जीडीपी में तो 7.6% की बढ़त दर्ज हो गई है लेकिन GVA में कोई बढ़त नहीं हुई है और GVA वैसे का वैसा 6.9% बना हुआ है.
कुल टैक्सों की बढ़त जब तक सरकार की उधारी को कम ना करे, तब तक इससे ना अर्थव्यवस्था को फायदा होता है और ना लोगों को. सरकार ने वर्ष 2023- 24 में अभी तक अपने राजकोष में किसी भी प्रकार का घाटा होने के संकेत नहीं दिए हैं.
नॉमिनल GDP में वृद्धि दर्ज पर एवसेल्यूट नॉमिनल जीडीपी कम हो गई है
प्रथम अग्रिम अनुमान में वर्ष 2023- 24 के लिये नॉमिनल जीडीपी का 295.58 खरब रहने का अनुमान था. वर्ष 2022- 23 में नॉमिनल जीडीपी 272.41 खरब (एक कच्चे अनुमान के मुताबिक) थी. और वर्ष 2023- 24 में 8.9% वार्षिक वृद्धि का अनुमान है.
प्रथम अग्रिम अनुमान में वर्ष 2023- 24 के लिये नॉमिनल जीडीपी को घटाकर 293.90 खरब कर दिया गया था. वही वर्ष 2022- 23 के लिये भी नॉमिनल जीडीपी कम करके 269.50 खरब कर दी गयी जिसके परिणामस्वरूप जीडीपी मे 9.1% की वृद्धि दर्ज की गई.
एवसेल्यूट वृद्धि के नजरिये से वर्ष 2023- 24 की नॉमिनल वृद्धि कम करके 268 खरब कर दी गई है (296.58- 293.90). और वर्ष 2022- 23 की नॉमिनल GDP को भी संशोधित करके 2.91 खरब (272.41 - 269.50) कर दिया गया है.
इस प्रकार वर्ष 2022- 23 की नॉमिनल जीडीपी में वर्ष 2023- 24 की नॉमिनल जीडीपी से ज्यादा कम किया गया है इसीलिए एवसेल्यूट नॉमिनल जीडीपी के 2.68 खरब रुपये तक गिर जाने के बावजूद जीडीपी में 8.9% से 9.1% की बढ़त दर्ज कर दी गई है.
डॉलर जीडीपी और वृद्धि में भी कमी
2023- 24 के प्रथम अग्रिम अनुमान में एक अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 83 रुपये वाले भारतीय रुपये की जीडीपी 296.58 खरब थी जो 3.57 खरब अमेरिकी डॉलर के समतुल्य है. और इसी समान विनिमय दर पर प्रथम अग्रिम अनुमान में 296.58 ट्रिलियन वाली भारतीय रुपये की जीडीपी 3.54 खरब अमेरिकी डॉलर के समतुल्य है.
प्रथम और द्वितीय अग्रिम अनुमानो के बीच के मात्र दो महीने में अमेरिकी डॉलर के संदर्भ में जीडीपी में 0.03 खरब की कमी दर्ज की गयी है.
प्रथम और द्वितीय अग्रिम अनुमानों के बीच के मात्र दो महीने में अमेरिकी डॉलर के संदर्भ में जीडीपी में 0.03 खरब की कमी दर्ज की गयी है.
2019 में जब ये सरकार दुबारा बनी थी तो जुलाई 2019 में 2024- 25 तक यूनाइटेड स्टेट डॉलर के संदर्भ में 5 खरब की अर्थव्यवस्था बनने का लक्ष्य तय किया गया था.
5 खरब का लक्ष्य निर्धारित करने के ठीक एक साल पहले 2018-19 में भारत की अमेरिकी डॉलर के संदर्भ में जीडीपी 2.8 खरब की थी. लक्ष्य के अनुसार 6 सालो में भारतीय अर्थव्यवस्था को अपने आकार में 2.2 खरब अमेरिकी डॉलर की बढ़ोतरी करनी थी.
लेकिन पिछले पांच सालों में अपने दूसरे कार्यकाल के दौरान मोदी सरकार मात्र 2.8 खरब अमेरिकी डॉलर से 3.54 खरब अमेरिकी डॉलर का ही सफर तय कर पाई. ये 0.74 खरब अमेरिकी डालर अर्जित करने का सफर बड़ा रहा है, जो पूरे सफर का महज एक तिहाई है. भारत अभी भी अपने 5 खरब वाली अर्थव्यवस्था से 1.46 खरब अमेरिकी डालर दूर है.
2024- 25 में भारत को अपना 5 खरब अमेरिकी डॉलर का लक्ष्य पूरा करने के लिये डॉलर के संदर्भ में 41 प्रतिशत की वृद्धि की जरूरत है, जो कि असंभव है.
इस बात पर भी हमें कोई ताज्जुब नहीं होना चाहिए कि सरकार 5 खरब अमेरिकी डॉलर जीडीपी बनने की बात ही बंद कर दे और 2030 तक 7 खरब अमेरिकी डॉलर जीडीपी या 2047 तक 35 खरब अमेरिकी डॉलर वाली अर्थव्यवस्था बनने का जुमला छेड़ दिया जाए.
(लेखक शुभांजलि के आर्थिक एवं वित्तीय सलाहकार है. लेखक पूर्व में भारत सरकार में वित्त एवं आर्थिक मामलों के सचिव भी रह चुके है. लेखक ने दस ट्रिलियन ड्रीम के नाम से पुस्तक भी लिखी है. यह एक ओपिनियन लेख है और लेख के विचार लेखक के खुद के व्यक्तिगत है. क्विंट ना तो इन विचारों का समर्थन करता है ना तो इनके लिए जिम्मेदार है.)
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