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कठुआ-उन्‍नाव पर PM मोदी की चुप्‍पी आज की सबसे बड़ी खबर क्‍यों रही?

कहां चुप रहना उचित है, कहां बोलना न्‍यायसंगत है, ये तय करने का विवेक ही हमें इंसान बनाता है. पर पीएम चुप क्‍यों हैं?

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अगर कोई आपसे ये पूछे कि आज दिन की सबसे बड़ी खबर क्‍या है, तो आप क्‍या कहेंगे?

दिमाग पर ज्‍यादा जोर डालने की जरूरत नहीं है. आज की सबसे बड़ी खबर वो है, जो वेब जर्नलिज्‍म की शुरुआत से लेकर आज तक आकार के हिसाब से सबसे छोटी खबर है.

खबर में हेडलाइन के अलावा और कुछ नहीं लिखा है, फिर भी पाठक वर्ग इसे पढ़कर जाहिर गम और गुस्‍से का इजहार कर रहा है. ये है खबर :

कठुआ और उन्नाव रेप केस पर ये है प्रधानमंत्री मोदी का बयान
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कहां चुप रहना उचित है, कहां बोलना न्‍यायसंगत है, ये तय करने का विवेक ही हमें इंसान बनाता है. पर पीएम चुप क्‍यों हैं?

ये खबर क्‍विंट पर 8 लाख से ज्‍यादा पाठकों ने पढ़ी. हजारों लोगों ने इसे शेयर किया. अब जरा इस सन्‍नाटे वाली खबर के पीछे का दर्द समझने की कोशिश करते हैं.

बीते दिनों देश में दो ऐसी वारदात हुई, जिसके बारे में जानकर किसी की रूह कांप जाए. एक जम्‍मू-कश्‍मीर के कठुआ का गैंगरेप-मर्डर, दूसरा यूपी का उन्‍नाव गैंगरेप और इससे जुड़ा हत्‍याकांड. हर ओर इन वीभत्‍स कांड की निंदा हो रही है.

हर कोई प्रधानमंत्री से ये उम्‍मीद लगाए बैठा है कि वे चुप्‍पी तोड़ेंगे, कड़े शब्‍दों में निंदा करेंगे, पीड़ितों के आंसू पोछने वाले कुछ ऐलान करेंगे और कानून-व्‍यवस्‍था में ढिलाई के लिए राज्‍य से जवाब-तलब करेंगे.

शायद निराशा और हताश पब्‍ल‍िक के बीच पीएम की बातों से सरकार के प्रति कुछ सकारात्‍मक नजरिया पैदा होता. थोड़ी उम्‍मीद जगती, न्‍याय मिलने की आस बंधती. लेकिन वे अब तक चुप हैं.

मौन रहने के क्‍या-क्‍या फायदे हैं, ये बात देश के लोग सदियों से जानते हैं. संस्‍कृत में मौनं सर्वार्थ साधनम् की बात कहकर चुप्‍पी का महत्‍व महत्‍व समझाया गया है. इसका अर्थ यह है कि मौन से सभी चीजों को साधा जा सकता है.

इस पर एक देसी कहावत भी है, एक चुप्‍पी हजार बला टाले. मतलब विवाद की स्‍थ‍िति में अगर कोई सिर्फ चुप्‍पी भी लगा जाए, तो बात और नहीं बिगड़ती है और विवाद थमने की संभावना बनती है.

लेकिन कहां चुप रहना उचित है, कहां बोलना न्‍यायसंगत है, ये तय करने का विवेक ही हमें इंसान बनाता है.

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काव्‍य में कहीं-कहीं चुप रहने को अपराध तक बताया गया है. रामधारी सिंह 'दिनकर' की लाइनें देखिए:

समर शेष है, नहीं पाप का भागी केवल व्याध

जो तटस्थ हैं, समय लिखेगा उनके भी अपराध

यहां कम से कम उस पार्टी और उसके अगुवा के तटस्‍थ रहने का कोई मतलब है क्‍या, जिनकी उन दोनों राज्‍यों में सरकार है, जहां वीभत्‍स घटनाएं हुई हैं?

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