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हार जीत से भी बड़ी ‘वो’ फिक्र जो बढ़ा रही है विराट का सिरदर्द

विराट की इस फिक्र की चर्चा पूर्व कप्तान सौरव गांगुली ने तीसरे मैच की कॉमेंट्री के दौरान की.

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तीसरे वनडे में हार के साथ ही टीम इंडिया को वनडे सीरीज गंवानी पड़ी. पहले वनडे में भारतीय टीम जिस ‘दबंगई’ से जीती थी उससे लगा नहीं था कि सीरीज का नतीजा इंग्लैंड के पक्ष में इतनी आसानी से चला जाएगा. इस हार से अलग कप्तान विराट कोहली का सिरदर्द एक दूसरी फिक्र से बढ़ गया है.

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उनकी इस फिक्र की चर्चा पूर्व कप्तान सौरव गांगुली ने तीसरे मैच की कमेंट्री के दौरान किया. दादा अपनी कमेंट्री में कह रहे थे कि भारतीय बल्लेबाजों के दिमाग में हमेशा से ये बात रहती थी कि इंग्लैंड की पिचों पर बाकि चाहे जो हो जाए, लेकिन स्पिन गेंदबाजों को विकेट नहीं देना है. इसके बाद उन्होंने विराट कोहली का नाम लेकर कहा कि कप्तान को ‘टेंशन’ हो रही होगी.

दरअसल ये बात सच है. विराट कोहली का सिरदर्द इन दिनों इसलिए बढ़ा हुआ है कि क्योंकि वनडे सीरीज के तीनों मैच में वो स्पिन गेंदबाजों का शिकार हुए. तीसरे वनडे में तो आदिल रशीद ने उन्हें जिस गेंद पर बोल्ड किया वो उन्हें समझ ही नहीं आई. विराट कोहली गेंद की लाइन में ही नहीं थे.

उनके जैसे बड़े बल्लेबाज की ये भूल बताती है कि स्पिन गेंदबाजी ने उन्हें जबरदस्त तरीके से परेशान किया है. परेशानी का ये भाव उनके चेहरे पर भी था. जो आउट होने के बाद साफ दिखाई दिया. विराट कोहली के करियर में हाल फिलहाल में ऐसा और भी मैचों में हुआ है. आइए आपको बताते हैं कि इस सीरीज के तीनों मैच में विराट कोहली कैसे आउट हुए.

विराट की इस फिक्र की चर्चा पूर्व कप्तान सौरव गांगुली ने तीसरे मैच की कॉमेंट्री के दौरान की.

विराट कोहली का स्पिनर्स के खिलाफ इस तरह चूक करना चिंता का विषय इसलिए भी है क्योंकि तीनों ही मैच में विराट कोहली क्रीज पर टिक चुके थे. दूसरे वनडे में उन्होंने 45 रन बनाए. पहले और तीसरे वनडे में उन्होंने अर्धशतक लगाया था. यानी स्पिनर्स के खिलाफ चकमा खाने से पहले विराट कोहली क्रीज पर अच्छा खासा वक्त बीता चुके थे.

इतना वक्त बिताने के बाद बल्लेबाजों का बल्ला अपने आप सही चलने लगता है. किसी बल्लेबाज के क्रीज पर आते ही अगर स्पिनर उसे इस तरह से आउट कर दे तो भी बात समझ आती है, लेकिन विराट कोहली इस वक्त दुनिया के सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाजों में गिने जाते हैं. उनकी निगाहें क्रीज और गेंद पर जमने के बाद अगर धोखा खा जाएं तो बात साफ है कि उनके दिमाग में स्पिनर्स के खिलाफ ‘कुछ’ बैठ गया है.

विराट कोहली के करियर में ऐसा पहली बार नहीं हुआ है. इससे पहले भी एक ‘पैच’ ऐसा आया था जब वो स्पिन गेंदबाजों के खिलाफ लगातार चूक रहे थे. बात ज्यादा पुरानी नहीं है. इसी आईपीएल में कोलकाता नाइट राइडर्स के खिलाफ पार्टटाइम स्पिनर नीतिश राना ने विराट कोहली को अपनी फिरकी पर आउट किया था. तब भी विराट कोहली बोल्ड हो गए थे. अगले मैच में किंग्स इलेवन पंजाब के स्पिनर मुजीब-उर-रहमान ने उन्हें क्लीन बोल्ड किया था.

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कहीं ऐसा तो नहीं कि आईपीएल के बाद से ही विराट कोहली स्पिन गेंदबाजों के खिलाफ थोड़ा ज्यादा सतर्क रहने लगे हैं. स्पिनर्स के खिलाफ रक्षात्मक होने लगे हैं. यही रक्षात्मक रवैया उन्हें परेशान कर रहा है.

दुनिया के हर बड़े बल्लेबाज को सबसे ज्यादा चिढ़ ‘बोल्ड’ होने से होती है. बोल्ड होने का मतलब है कि बल्लेबाज गेंद की लाइन को, गेंद को समझ ही नहीं पाया. जिसे क्रिकेट की भाषा में ‘बॉल सेंस’ कहा जाता है. अगर ये ‘बॉल सेंस’ चला जाए तो दिग्गज से दिग्गज बल्लेबाज क्रीज पर ‘स्ट्रगल’ करता दिखता है.

लीड्स में क्लीन बोल्ड होने के बाद यही सारी बातें विराट कोहली के चेहर पर पढ़ी जा सकती थीं. ऐसा लग रहा था जैसे वो खुद से ही सवाल पूछ रहे हों कि उनसे इतनी बड़ी चूक कैसे हो गई. टी-20 और वनडे सीरीज बीत चुकी है. अब इंग्लैंड में असली इम्तिहान शुरू होना है. भारत को इंग्लैंड के खिलाफ 5 टेस्ट मैचों की सीरीज खेलनी है. विराट कोहली को अपनी ये कमजोरी टेस्ट सीरीज के पहले पहले ठीक करनी होगी. इलाज सिर्फ एक है- नेट्स में पसीना बहाना और दिमाग से स्पिनर्स के प्रति रक्षात्मक सोच को बाहर करना.

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