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अक्षय तृतीया इतना खास क्‍यों? इस दिन शुभ कामों की शुरुआत क्‍यों?

अक्षय तृतीया को स्‍वयंसिद्ध मुहूर्त है. इस पूरे दिन अच्‍छे काम की शुरुआत के लिए वक्‍त देखने की जरूरत नहीं होती. 

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ज्‍यादातर लोग किसी अच्‍छे काम की शुरुआत के लिए शुभ मुहूर्त का इंतजार करते हैं. अगर आपको भी किसी वैसे ही मुहूर्त का इंतजार है, तो वह समय आपके सामने है. 18 अप्रैल को अक्षय तृतीया है. इस पूरे दिन आप किसी भी वक्‍त अच्‍छे काम की शुरुआत कर सकते हैं.

वैशाख शुक्‍ल पक्ष की तृतीया तिथि‍ को अक्षय तृतीया मनाई जाती है. ऐसी मान्‍यता है कि इस दिन किए गए दान-पुण्‍य, जप-पूजन और अन्‍य शुभ कर्मों का अनंत फल मिलता है, इनका कभी क्षय नहीं होता है, इसलिए इसे अक्षय नाम दिया गया है.

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स्‍वयंसिद्ध मुहूर्त, मतलब घड़ी देखने की जरूरत नहीं

अक्षय तृतीया को स्‍वयंसिद्ध मुहूर्त माना जाता है, मतलब इस पूरे दिन किसी काम की शुरुआत के लिए पंचांग देखकर किसी खास वक्‍त का इंतजार करने की जरूरत नहीं रह जाती है. इसे पवित्र दिन माना गया है, इसलिए इस दिन नए कपड़े, नए आभूषण या अन्‍य चीजें घर लाने का चलन है.

हालांकि किसी भी चीज में पैसे लगाने से पहले जरूरत या उसकी उपयोगिता जरूर देख लेनी चाहिए, सिर्फ शुभ मुहूर्त या भावना के आधार पर निर्णय करना ठीक नहीं.

कई लोग इस दिन सोने के आभूषण खरीदते हैं या सोने में निवेश करते हैं. अगर आपका भी ऐसा प्‍लान हो, तो मार्केट के एक्‍सपर्ट की राय जरूर ले लें.

अक्षय तृतीया को किन-किन की जयंती, क्‍या खास

इस तिथि को नर-नारायण, परशुराम और हयग्रीव का अवतार हुआ था, इसलिए इनकी जयंती मनाई जाती है. ऐसी मान्‍यता है कि इसी दिन त्रेता युग की शुरुआत हुई थी.

अक्षय तृतीया को गौरी पूजा का भी विधान है. इस दिन पार्वती जी भी पूजा विधि-विधान से की जानी चाहिए. इस मौके पर बद्रीनाथ-केदारनाथ के कपाट भी खुलते हैं.

कुल मिलाकर, ये दिन हर तरह से शुभ ही शुभ है. अगर आप किसी अच्‍छे काम को लगातार टालते आ रहे हैं, तो अब उसकी शुरुआत करने में देर न करें.

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