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कार्तिक पूर्णिमा आज, क्या है पूजा का विधि विधान यहां पढ़ें  

दिवाली के 15 दिनों बाद कार्तिक पूर्णिमा वाले दिन देव दीपावली मनाई जाती है

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कार्तिक पूर्णिमा आज यानी शुक्रवार को पूरे देश में धूमधाम से मनाई जा रही है. कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को कार्तिक पूर्णिमा कहते हैं. पुराणों के अनुसार इस दिन महादेव ने त्रिपुरासुर नाम के असुर का संहार किया था, इसी वजह से इसे त्रिपुरी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है.

ऐसा भी माना जाता है कि इस दिन भगवान नारायण ने मत्स्यावतार लिया था. इस अवसर पर पवित्र नदी का स्नान, दीपदान, आरती, हवन और दान का बहुत महत्व है. मान्यता है कि इस दिन गंगा में स्नान और दीप दान करने से कई यज्ञों के बराबर पुण्य मिलता है.

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क्या है कार्तिक पूर्णिमा पूजा-विधि

स्नैपशॉट
  • कार्तिक पूर्णिमा के दिन सुबह उठकर ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करें
  • इस दिन नदी में नहाने का विशेष महत्व है
  • सुबह के वक्त मिट्टी के दीपक में घी या तिल का तेल डालकर दान करें
  • भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करें
  • इस दिन श्री विष्णुसहस्त्रनाम का पाठ किया जाता है
  • घर में हवन या पूजन करें
  • खाने की वस्तु, धन, वस्त्र और घी दान करें
  • शाम के समय भी मंदिर में दीपदान करें
शास्त्रों में लिखा है कि कार्तिक पुर्णिमा के दिन पवित्र नदी और सरोवर, धर्म स्थान में जैसे, गंगा, यमुना, गोदावरी, नर्मदा, गंडक, कुरूक्षेत्र, अयोध्या, काशी में स्नान करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है. कार्तिक माह की पूर्णिमा तिथि पर व्यक्ति को बिना स्नान किए नहीं रहना चाहिए. 
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कार्तिक पूर्णिमा का त्‍योहार पांच दिनों तक मनाया जाता है. एकादशी के दिन इसकी शुरुआत की जाती है, ये महीने का 11वां दिन होता है.त्‍योहार कार्तिक पूर्णिमा के दिन खत्‍म होता है, जो इस महीने की शुक्‍ल पक्ष का 15वां दिन होता है.

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कार्तिक पूर्णिमा मुहूर्त

कार्तिक पूर्णिमा के दिन कई त्‍योहारों का अंत भी होता है. इस साल कार्तिक पूर्णिमा का मुहूर्त कुछ इस तरह हैं.

  1. 22 नवंबर को दिन में 12 बजकर 53 मिनट से शुरू होगा
  2. 23 नवंबर को 11 बजकर 9 मिनट पर समाप्‍त होगा
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देव दिवाली

दिवाली के 15 दिनों बाद कार्तिक पूर्णिमा वाले दिन देव दीपावली मनाई जाती है. पुराणों के अनुसार भगवान विष्णु के मत्स्य अवतार में जन्म लेने और भगवान शिव द्वारा राक्षस तारकासुर और उनके पुत्रों का वध के उपलक्ष देव दिवाली मनाई जाती है. इस दिन मंदिरों में ढेरों दीपक जला कर लोग ये पर्व मनाते हैं.

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