ADVERTISEMENTREMOVE AD

संस्कृत सीखने का YouTube चैनल,कोलंबिया यूनिवर्सिटी के अभिनव की पहल

यूट्यूब चैनल के जरिए अभिनव सीतारमण कर रहे हैं संस्कृत का प्रसार.

story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा
Hindi Female

संस्कृत दुनिया की सबसे पुरानी भाषा मानी जाती है. इसे देववाणी भी कहा जाता है. इसी देववाणी संस्कृत के प्रचार-प्रसार और संरक्षण के लिए कोलंबिया यूनिवर्सिटी के छात्र अभिनव सीतारमण ने एक अनोखी पहल की है.

अभिनव ने अपनी यूनीवर्सिटी के कुछ साथियों के साथ मिलकर स्पोकन संस्कृत सीरीज नाम का एक यूट्यूब चैनल शुरू किया है, जहां संस्कृत भाषा के ट्यूटोरियल वीडियो डाले जाते हैं. इस पहल की खास बात ये है कि इसके जरिए लोगों को आसान और रचनात्मक तरीकों से संस्कृत सिखाई जाती है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

संस्कृत को पुनर्जीवित करना है मकसद

कई भाषाओं के जानकार अभिनव सीतरमण जब अपनी एमए की पढ़ाई कर रहे थे. तभी ये ख्याल उनके मन में आया कि उन्हें संस्कृत भाषा के लिए कुछ करना चाहिए.

अभिनव ने अपना आइडिया अपने एक चीनी दोस्त ‘यांग कू’ को बताया. तब दोनों ने विचार कर यूट्यूब चैनल शुरू करने का फैसला लिया. इस यूट्यूब चैनल के पीछे केवल एक ही मकसद था कि संस्कृत भाषा को पुनर्जीवित किया जाए और इसको लोगों तक पहुंचाया जाए.

अभिनव दुनियाभर में संस्कृत का प्रसार करना चाहते हैं. अभिनव अपने काम से संस्कृत भाषा के पुनर्उत्थान में बड़ी भूमिका निभाना चाहते हैं.

फरवरी, 2016 में अभिनव और यांग कू ने ये चैनल शुरू किया और 4 फरवरी को पहला वीडियो पोस्ट किया. पहला वीडियो अभिनव ने आम बातचीत में इस्तेमाल होनी वाली बातों से शुरू किया फिर धीरे-धीरे उनका यह सफर आगे बढ़ता गया.

ये रहा उनका पहला वीडियो:

0

कर्नाटक संगीत ने पैदा किया संस्कृत की तरफ रुझान

यूट्यूब चैनल के जरिए अभिनव सीतारमण कर रहे हैं संस्कृत का प्रसार.

अभिनव कर्नाटक संगीत सीख चुके हैं और वो मृदंगम् बजाते हैं. उनके मुताबिक संस्कृत की तरफ उनका रुझान कर्नाटक संगीत की वजह से पैदा हुआ क्योंकि कर्नाटक संगीत के ज्यादातर गीत संस्कृत भाषा में ही होते हैं.

अभिनव को संस्कृत नहीं आती थी मगर इन गीतों को समझने और गायक के साथ और अच्छे से ताल मिलाने के लिए उन्होंने संस्कृत भाषा की ओर अपना रुख किया.

अभिनव के मुताबिक, संस्कृत सीखने के बाद उनके अंदर संगीत के प्रति प्रशंसा का भाव और भारतीय संस्कृति की गहरी समझ बढ़ी है. यह भाषा सीखने के बाद वह अपने आप को भारतीय संस्कृति का एंबेसडर मानते हैं.

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें
×
×