कहते हैं- 'रक्तदान जीवनदान है'. अपना खून देकर किसी की जिंदगी बचाने से बड़ा पुण्य का काम कोई दूसरा नहीं. इंसान ने कई तरह के कृत्रिम अंग तो बना लिए, लेकिन खून को लैब में आज तक नहीं बनाया जा सका. इसकी जरूरत के लिए इंसान आज भी स्वैच्छिक डोनर पर ही निर्भर है. ब्लड डोनेशन के इसी महत्व को लोगों तक पहुंचाने के लिए हर साल 14 जून को दुनिया भर में 'वर्ल्ड ब्लड डोनर डे' मनाया जाता है. इस मौके पर आइए आपको बताते हैं भारत के कुछ 'रियल लाइफ हीरो' से, जिन्होंने रक्तदान कर अनजान लोगों की जान बचाने को ही अपने जीने मकसद बना लिया.
- दिल्ली के रहने वाले डॉ. नरेश कुमार भाटिया एक ऐसे व्यक्ति हैं, जिन्होंने 65 वर्ष की उम्र तक 238 बार रक्त और प्लेटलेट दान किया है. आखिरी बार साल 2014 में उन्होंने अपने जन्मदिन पर रक्तदान किया था. साल 2008 से वे दिल्ली में 3 चैरिटेबल ब्लड बैंक चला रहे हैं.
- गुजरात के भावनगर के रहने वाले राजेश मेहता ने 168 बार रक्तदान किया है. वह पिछले 47 सालों से नियमित तौर पर रक्तदान करते आ रहे हैं. 5 दिसंबर, 2017 को अपने जन्मदिन के मौके पर उन्होंने 168वीं बार रक्तदान किया. जाहिर है, अब तक ये आंकड़ा बढ़ चुका होगा. गुजरात में ही अहमदाबाद के एस के गाेयल 150 बार रक्तदान कर चुके हैं.
- मुंबई के ज्योतिंद्र सी मिथानी नियमित तौर पर ब्लड डोनेट करते है. उन्होंने साल 1977 से 2017 के बीच 150 बार रक्तदान किया है. वे हर साल 4 बार रक्तदान करते हैं, और अप्रैल 2017 तक वे लगभग 60 लीटर रक्तदान कर चुके है.
- झारखंड के जमशेदपुर में टाटा स्टील में अधिकारी रहे 66 वर्षीय गणपति चंद्रशेखर राजू ने 143 बार रक्तदान किया है. यहीं के रहने वाले 76 साल के एसपी त्रिवेदी 132 बार रक्तदान कर चुके हैं. जमशेदपुर के बारे में खास बात ये है कि इस शहर में 39 ऐसे लोग हैं, जिन्होंने 100 से ज्यादा बार रक्तदान किया है. महिलाएं खून नहीं दे सकती हैं, इस भ्रांति को तोड़ते हुए शहर की 19 महिलाएं 50 से ज्यादा बार रक्तदान कर चुकी हैं. इनमें 75 से ज्यादा बार रक्तदान करने वाली ऐसी 13 महिलाएं शामिल हैं.
- मध्यप्रदेश के सतना जिले के रहने वाले 55 साल के ज्ञानचंद आसवानी अब तक 100 बार ब्लड डोनेट कर चुके हैं, जबकि इसी जिले के नंदलाल रोहणा ने 93 बार रक्तदान किया है.
ये उन सैकड़ों गुमनाम लोगों में से महज चंद लोग हैं, जिनके नाम हम ढूंढ पाए. भारत के सभी राज्य में ऐसे तमाम लोग मौजूद हैं, जो अपना खून देकर लोगों की जान बचाने का काम नियमित तौर पर करते रहते हैं. लेकिन उनका नाम या चेहरा दुनिया के सामने नहीं आ पाता. अमूमन हर साल भारत में 90 लाख यूनिट खून की जरूरत होती है, पर जमा सिर्फ 60 लाख यूनिट ही हो पाता है. लिहाजा खून के आभाव में हर साल सैकड़ों मरीज दम तोड़ देते हैं.
ब्लड डोनेशन के हैं कई फायदे
एक आम भ्रांति है कि बार-बार रक्तदान करने से शरीर को नुकसान होता है. लेकिन असल में रक्तदान करना शरीर के लिए कई तरह से फायदेमंद है. इंसानी शरीर में लगभग 5-6 लीटर खून होता है. इनमें से रक्तदान के दौरान लगभग 300 से 450 मिलीलीटर खून ही लिया जाता है. प्रत्येक रक्तदान के बाद शरीर ज्यादा तेजी से नए ब्लड सेल्स का निर्माण करता है. इससे दान किये हुए खून की मात्रा की भरपाई 24 से 48 घंटों के अंदर शरीर में हो जाती है.
कहा जाता है कि नियमित रक्तदान से हार्ट अटैक और स्ट्रोक के खतरे को कम किया जा सकता है. इतना ही नहीं, यह कैंसर के खतरे को भी कम कर देता है. इसके अलावा यह भी कैलोरी बर्न करने में भी मददगार है. अगर आप स्वस्थ हैं और नियमित रूप से रक्तदान करते हैं तो शरीर में आयरन की मात्रा संतुलित रहती है. यह कोलेस्ट्रॉल को कम करता है और ब्लड प्रेशर को भी नियंत्रित करता है. रक्दातन करने के बाद कोई विशेष आराम, आहार या दवा की जरूरत नहीं होती है और कोई भी व्यक्ति इसके बाद किसी भी गतिविधि में भाग ले सकता है.
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