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शिव कुमार बटालवी: जिसकी नज्में नुसरत से दिलजीत तक धड़कती हैं 

बटालवी की कविता को पहली बार नुसरत फतेह अली खान ने आवाज दी

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साल 2016 में आई फिल्म 'उड़ता पंजाब' में एक गाना था - 'इक कुड़ी जिदा नाम मोहब्बत'. ये गाना सबकी जुबान पर चढ़ गया था, लेकिन इसे लिखने वाला कोई आज का गीतकार नहीं बल्कि पंजाबी के बड़े शायर और कवि शिव कुमार बटालवी थे.

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बटालवी की नज्मों को सबसे पहले नुसरत फतेह अली खान ने अपनी आवाज दी. नुसरत ने उनकी कविता 'मायें नी मायें मेरे गीतां दे नैणां विच' को गाया था. इसके बाद तो जगजीत सिंह - चित्रा सिंह, रबी शेरगिल, हंस राज हंस, दीदार सिंह परदेसी और सुरिंदर कौर जैसे कई गायकों ने बटालवी की कविताएं गाईं.

पाकिस्तान में जन्म और हिंदुस्तान की भाषा

शिव कुमार बटालवी का जन्म 23 जुलाई 1937 को सियालकोट के बारापिंड में हुआ. ये इलाका अब पाकिस्तान में हैं. हिंदुस्तान और पाकिस्तान का जब बंटवारा हुआ तो उनकी उम्र महज 11 साल की थी. वो पाकिस्तान छोड़ पंजाब के गुरदासपुर में बटाला आ गए.

उनकी एक से बढ़कर एक शायरिया हैं- यारिया रब करके, गमां दी रात, की पुछदे ओ... लेकिन उन्हें नेशनल और इंटरनेशनल लेवल पर 1965 में उनके काव्य नाटक ‘लूणा’ से काफी पहचान मिली. इसके लिए उन्हें 1967 में साहित्य अकादमी अवॉर्ड मिला. ये अवॉर्ड वाले पाने वाले वो सबसे कम उम्र के शख्स बने.

पंजाबी शायर बटालवी उन चंद उस्तादों में गिने जाते है जिनका नाम इंडो-पाक बार्डर पर काफी फेमस हैं जैसे मोहन सिंह और अमृता प्रीतम. अमृता प्रीतम के बाद शिव कुमार बटालवी ऐसे कवि हैं जिनका पूरा कलाम पाकिस्तान में भी छपा है.

बटालवी ने काफी कम समय में बहुत बड़ी प्रसिद्धि हासिल की. महज 36 साल की उम्र में उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया.

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