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Cataract Causes, Early Signs, Preventions: WHO के मुताबिक, दुनियाभर में करीब 220 करोड़ लोग आंखों की कमजोर रोशनी से परेशान हैं. मोतियाबिंद आंखों की एक समस्या है, जिसमें नैचुरल लेंस के सामने बादल जैसा जम जाता है. यह समस्या आमतौर पर बढ़ती उम्र के कारण होती है, लेकिन आजकल बुढ़ापे से पहले भी इसका खतरा बढ़ गया है.
फिट हिंदी ने एक्सपर्ट्स से जाना मोतियाबिंद क्या है? कौन से हैं मोतियाबिंद के वो लक्षण जो बीमारी शुरू होने के सालों पहले दिखाई देते हैं? मोतियाबिंद के कारण क्या हैं? क्या है इसका इलाज? क्या हैं लाइफस्टाइल के बदलाव जो मोतियाबिंद को रोकते हैं? आइए जानते हैं.
मोतियाबिंद आंख की वो स्थिति है, जहां पर आंखों में दूधिया प्रभाव के कारण आप की दृष्टि धुंधली हो जाती है. मोतियाबिंद से ग्रसित लोगों की आंखों पर धुंधला बिम्ब बनता है. जिसकी वजह से उन्हें रात में देखने में मुश्किल होती है और साथ ही तेज रोशनी में भी दिक्कत भी.
दिल्ली की डॉ. श्रॉफ चैरिटी आई हॉस्पिटल्स में कंसलटेंट, डॉ. ईशा चौधरी कहती हैं, "कैटरेक्ट को हम सरल भाषा में सफेद मोतियाबिंद कहते हैं. इसमें आंखों के लेंस पर सफेद परत पड़ जाती है".
WHO के अनुसार, दुनिया भर में करीब 220 करोड़ लोग आंखों की कमजोर रोशनी से परेशान हैं. यह समस्या आमतौर पर बढ़ती उम्र के कारण होती है, लेकिन आजकल बदलते लाइफस्टाइल के कारण बुढ़ापे से पहले भी इसका खतरा बढ़ गया है.
अधिकतर मोतियाबिंद धीरे-धीरे विकसित होते हैं और शुरुआत में दृष्टि प्रभावित नहीं होती है, लेकिन समय के साथ यह आपकी देखने की क्षमता को प्रभावित करता है. इसके कारण लोगों को अपनी रोजमर्रा की सामान्य गतिविधियों को करना भी मुश्किल हो जाता है. मोतियाबिंद के शुरुआती लक्षण हैं:
आंखों के सामने हल्का धुंधलापन आना
रंग हल्के लगना
रात में ठीक से नहीं देख पाना
कोई भी रोशनी तेज लगना
बल्ब, लाइट जैसी चीजों के आसपास एक गोलाकार दिखना
चीजों का डबल दिखना
चश्मा या कॉन्टेट लेंस को बार-बार बदलने की जरूरत होना
बुजुर्गों में नजदीक की दृष्टि दोष में लगातार बढ़ोतरी
रात में ड्राइविंग में दिक्कत होना
दिन के समय आंखें चौंधियाना
40 साल की उम्र के आसपास, मोतियाबिंद आमतौर पर लोगों में विकसित होने लगता है. इसका स्पष्ट मतलब है कि मोतियाबिंद का सबसे आम कारण उम्र बढ़ना है. इस पर आपका कोई नियंत्रण नहीं होता है. ट्रॉमा, जेनेटिक डिसऑर्डर, आंखों में संक्रमण जैसे कॉर्नियल अल्सर, आंखों की सर्जरी के बाद पुराने स्टेरॉयड का उपयोग और डायबिटीज जैसी बीमारियां भी इसके कारण हो सकते हैं. कुछ परिस्थिति में बर्थ एबनॉर्मेलिटी के कारण बच्चे इस स्थिति के साथ पैदा होते हैं.
ये सभी मोतियाबिंद के रिस्क बढ़ाते हैं:
उम्र का बढ़ना
डायबिटीज
ज्यादा शराब पीना
सूर्य की रौशनी में मौजूद अल्ट्रावायलेट किरणों के संपर्क में अधिक देर तक रहना
मोतियाबिंद का पारिवारिक इतिहास
हाई ब्लड प्रेशर
मोटापा
आंखों में चोट लगना या सूजन
पहले हुई आंखों की सर्जरी
कार्टिस्टेरॉइड मोडिकेशन का लंबे समय तक इस्तेमाल
डॉ. सिद्धार्थ सेन फिट हिंदी से कहते हैं, "मोतियाबिंद के इलाज के लिए ऑपरेशन ही एकमात्र विकल्प है. इस ऑपरेशन में डॉक्टर द्वारा अपारदर्शी लेंस को हटाकर मरीज की आंख में प्राकृतिक लेंस के स्थान पर नया कृत्रिम लेंस लगा दिए जाते हैं. कृत्रिम लेंसों को इंट्राऑकुलर लेंस कहते हैं, उसे उसी स्थान पर लगा दिया जाता है, जहां आपका प्राकृतिक लेंस लगा होता है".
वहीं डॉ. ईशा चौधरी कहती हैं कि मोतियाबिंद शुरू हो जाने के बाद उसे रोकना बहुत मुश्किल है. अगर किसी को सफेद मोतियाबिंद है, जिससे उसकी आंखों की रौशनी पर असर पड़ रहा है, तो उसका ऑपरेशन करना होगा और अगर सफेद मोतियाबिंद है मगर आंखों की रौशनी कम नहीं हुई है, तो ऑपरेशन उसी वक्त करना जरुरी नहीं है.
मोतियाबिंद से बचने या उसके असर को काम करने के लिए किसी निश्चित तरीके की अभी तक कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है, लेकिन कुछ उपायों से आप अपनी आंखों को स्वस्थ रख सकते हैं और सर्जरी से छुटकारा पा सकते हैं.
नियमित रूप से आंखों की जांच कराएं. नियमित जांच से मोतियाबिंद के बारे में शुरू में ही पता लगाया जा सकता है, जिससे तुरंत ही आवश्यक इलाज शुरू किए जा सकते हैं.
अपने ब्लड शुगर को नियंत्रित रखें. सिर्फ ब्लड शुगर ही नहीं और दूसरी शारीरिक बीमारियों को नियंत्रण में रखने की कोशिश करनी चाहिए.
धूम्रपान छोड़ दें.
डार्क ग्लासेस/धूप चश्मे का उपयोग करें. जो लोग आउटडोर काम करते हैं उन्हें अल्ट्रावायलेट किरणों के सम्पर्क में अधिक रहना पड़ता है. जिससे उन्हें मोतियाबिंद होने का खतरा बढ़ जाता है. सनग्लासेज सूर्य से आने वाली अल्ट्रावायलेट किरणों को रोक लेते हैं, जिससे उनके आंखों की रक्षा होती है.
एल्कोहल का सीमित मात्रा में सेवन करें. एल्कोहल का ज्यादा सेवन आपकी दृष्टि को प्रभावित करता है, जिससे मोतियाबिंद होने का खतरा बढ़ जाता है.
स्वस्थ और संतुलित आहार लें. अपने आहार में फलों और सब्जियों को शामिल करने से शरीर को महत्वपूर्ण पोषक तत्व और विटामिन प्राप्त होते हैं. फलों और सब्जियों से भरपूर आहार मोतियाबिंद के खतरे को कम कर आंखों को स्वस्थ रखने में मदद करता है.
लाइफस्टाइल में बदलाव कर आप मोतियाबिंद के साथ होने वाली परेशानियों को काफी हद तक कम कर सकते हैं. साथ ही मोतियाबिंद के बढ़ने की गति को धीमा भी. आपको बता दें कि डाइट में बदलाव करके भी आप मोतियाबिंद के बढ़ने की गति को कम कर सकते हैं. जानते हैं इसके लिए किए जाने वाले कुछ घरेलू उपाय.
बीज और नट्स का सेवन करें. नट्स और बीजों में विटामिन ई पाया जाता है. इसके साथ ही कई एंटीऑक्सीडेंट भी पाए जाते हैं, जो आंखों की झिल्लियों की कोशिकाओं को फ्री रेडिकल के डैमेज से बचाते हैं.
लहसुन का करें सेवन.
शहद को अपने आहार में शामिल करें. ऐसा देखा गया है कि शहद में एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं, जो आपकी आंखों के दोषों को ठीक करने में मदद करते हैं.
गाजर का जूस पिएं.
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