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लैपटॉप-मोबाइल पर घंटों काम करने के बाद भी अपनी आंखों का कैसे रखें ख्याल?

Tips to protect eyes from screen: आंखों को नुकसान से बचाने के लिए 20-20-20 नियम को आजमाएं.

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Tips to protect eyes from screen: इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के लगातार संपर्क में रहना फिर वो चाहे टीवी हो, स्मार्टफोन हो या कंप्यूटर आंखों के लिए हानिकारक है. आजकल लोग दिन में 8-10 घंटे कंप्यूटर/ लैपटॉप पर काम करते रहते हैं. अब चाहे कुछ भी कर लें, स्क्रीन को देखे बिना डिजिटल दुनिया में काम करना असंभव है. उसके अलावा मनोरंजन के लिए स्मार्टफोन का ज्यादा इस्तेमाल करना भी स्क्रीन टाइम बढ़ता चला जा रहा है.

लैपटॉप और मोबाइल फोन के ज्यादा इस्तेमाल से आंखों को क्या नुकसान होता है? क्या अधिक स्क्रीन टाइम आंखों की रोशनी को स्थायी रूप से प्रभावित करता है? क्या नाइट मोड आंखों के लिए अच्छा है? स्क्रीन पर ज्यादा समय बिताने के बाद भी अपनी आंखों को कैसे स्वस्थ रखें? स्क्रीन के हानिकारक प्रभावों से बचने के लिए क्या करें? एक्सपर्ट्स से जानते हैं इन सारे सवालों के जवाब.

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लैपटॉप और मोबाइल फोन के ज्यादा इस्तेमाल से आंखों को क्या नुकसान होता है?

लैपटॉप और मोबाइल फोन के ज्यादा इस्तेमाल से आंखों को बहुत नुकसान पहुंचता है. ऐसा इसलिए है क्योंकि इससे ब्लू रेज निकलती हैं, जो स्किन और आंख दोनों के लिए नुकसानदायक होती हैं. इससे आंखें थकी हुई लगने लगती हैं और स्किन पर पिंपल्स, उम्र से पहले झुर्रियां जैसी तमाम परेशानी हो सकती हैं.

एक स्टडी के मुताबिक अगर आप दिन में 8 घंटे से अधिक समय स्क्रीन पर बिताते हैं, तो इससे आंखों का स्ट्रक्चर बदलने लगता है. ड्राई आंखों में खिंचाव महसूस होना, धुंधली दृष्टि, आंखों की थकान, सिरदर्द का कारण, सिर दर्द, और मतली होने का खतरा रहता है.

आई एक्सपर्ट्स के अनुसार, ज्यादा लैपटॉप और मोबाइल फोन का इस्तेमाल करने वालों में सर्वाइकल पेन की परेशानी पैदा हो जाती है.

"मोबाइल का ज्यादा इस्तेमाल करना कभी-कभी नींद न आने का कारण भी बन सकता है. हाल ही में एक स्टडी से पता चला है कि फोन के ज्यादा इस्तेमाल से अटेंशन डेफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसॉर्डर (एडीएचडी) के लक्षण उत्पन्न हो सकते हैं."
डॉ. अनुराग वाही, वरिष्ठ नेत्र चिकित्सक, शार्प साईट आई हॉस्पिटल्स

इसके अलावा WHO की बीते साल आई एक रिपोर्ट के मुताबिक मोबाइल रेडिएशन की वजह से कैंसर का खतरा भी बढ़ रहा है. रिपोर्ट के मुताबिक मानव शरीर के लिए 0.60 वाट/किलोग्राम से ज्यादा रेडिएशन खतरनाक होता है, लेकिन हम जो स्मार्टफोन इस्तेमाल कर रहे हैं, उनसे निकल रहा रेडिएशन इसका दोगुना या इससे भी ज्यादा है.

"WHO का शोध कहता है कि मोबाइल फोन का अत्यधि‍क इस्तेमाल मस्तिष्क के कैंसर के लिए जिम्मेदार होता है."
डॉ. अनुराग वाही, वरिष्ठ नेत्र चिकित्सक, शार्प साईट आई हॉस्पिटल्स

क्या ज्यादा स्क्रीन टाइम आंखों की रोशनी को स्थायी रूप से प्रभावित करता है?

कई बार लोग लैपटॉप और मोबाइल फोन का इस्तेमाल करते समय पलक नहीं झपकाते हैं, जो आंखों के स्वास्थ्य को प्रभावित करता है और ड्राई आई का कारण बनता है. यह जलन और धुंधली दृष्टि का कारण बन सकता है. बहुत अधिक देर तक स्क्रीन पर देखते रहने से दृष्टि प्रभावित होती है और प्रकाश के प्रति संवेदनशीलता बढ़ जाती है.

एक स्टडी के मुताबिक स्मार्टफोन दृष्टि हानि का कारण बन सकता है, जिसे लोग अस्थायी दृष्टिहीनता समझ लेते हैं. स्मार्टफोन के ज्यादा इस्तेमाल से स्मार्टफोन विजन सिंड्रोम की समस्या हो सकती है, जिसमें आंखों में दर्द, जलन, भारीपन और रूखापन शामिल है. साथ ही कभी-कभी चीजों पर ध्यान केंद्रित करना भी मुश्किल हो जाता है.

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"बीच-बीच में आंखों को लगातार झपकना भी जरूरी है. हर एक मिनट करीब 10-20 बार आंखों को झपकना भी जरूरी है. जब हम लगातार किसी स्क्रीन को देखते हैं, तो हमारी आंखों का झपकना अपने आप कम हो जाता है."
डॉ. शायना भुंबला, असिस्टेंट कंसलटेंट, ग्लूकोमा सर्विस, आई साइंस, डॉ. श्रॉफ चैरिटी आई हॉस्पिटल, दिल्ली

क्या फोन/लैपटॉप का नाइट मोड आंखों के लिए अच्छा है?

डॉ. अनुराग वाही फिट हिंदी से कहते हैं, "स्मार्टफोन के अलग-अलग एप्स के लिए डार्क मोड काफी पॉप्युलर फीचर बन गया है और ट्विटर से लेकर फेसबुक मेसेंजर और वॉट्सऐप तक डार्क मोड दे रहे हैं. इतना ही नहीं, ऐंड्रॉयड 10 में गूगल ने सिस्टम-वाइड डार्क मोड का ऑप्शन भी दे दिया है. दरअसल, डार्क मोड की मदद से न सिर्फ बैटरी की बचत होती है बल्कि आंखों के लिए भी यह आरामदायक होता है और ज्यादा देर तक स्क्रीन देखने से थकान भी नहीं होती. इसके बावजूद डार्क मोड का इस्तेमाल करना आपके लिए खतरनाक हो सकता है".

"अगर आप लंबे समय से अपने स्मार्टफोन पर डार्क मोड इस्तेमाल करते हैं, तो बाद में आपकी आंखें उसे ही अडॉप्ट कर लेती हैं और वाइट कलर का टेक्स्ट पढ़ना बेहतर लगता है. लेकिन जब आप लाइट मोड पर जाते हैं, तो इसका असर आपकी आंखो पर पड़ता है और विजन कमजोर होने लगता है. डार्क मोड का ज्यादा इस्तेमाल आंखों की बीमारी का कारण बन सकता है."
डॉ. अनुराग वाही, वरिष्ठ नेत्र चिकित्सक, शार्प साईट आई हॉस्पिटल्स

स्क्रीन पर ज्यादा समय बिताने के बाद भी अपनी आंखों को कैसे स्वस्थ रखें?

"इससे बचने के लिए जितना हो सके उतना स्मार्टफोन टेबलेट स्क्रीन का समय कम करना पड़ेगा. जब भी हम कंप्यूटर/लैपटॉप या किसी भी डेस्कटॉप पर लगातार काम कर रहे हैं, तो हमें एक 20-20-20 नियम का पालन करना चाहिए. हर 20 मिनट के लिए 20 सेकंड के लिए 20 फीट दूर देखिए या तो फिर 20 सेकंड के लिए आंख बंद कर लीजिए."
डॉ. शायना भुंबला, असिस्टेंट कंसलटेंट, ग्लूकोमा सर्विस, आई साइंस, डॉ. श्रॉफ चैरिटी आई हॉस्पिटल, दिल्ली
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लंबे समय तक मोबाइल या लैपटॉप पर काम करते समय कई बार हम पलक नहीं झपकाते, जिससे आंखें ड्राई होने लगती हैं. ऐसे में आंखों का ऐसे रखें ख्याल:

  • कंप्यूटर की स्क्रीन और आंखों के बीच कम से कम 65 सेमी की दूरी होनी चाहिए.

  • बीच-बीच में स्क्रीन से ब्रेक लें.

  • पूरे दिन अपने फोन/मॉनिटर से दूर देखते हुए अपनी आंखों को विराम दें.

  • 20-20-20 नियम को आजमाएं. हर 20 मिनट में कम से कम 20 सेकंड के लिए 20 फीट दूर किसी चीज को देखें.

  • आई-ड्रॉप्स का इस्तेमाल कर सकते हैं.

  • फोन/मॉनीटर की लाइटिंग का ध्यान भी रखें ताकि आंखों पर स्ट्रेन कम पड़े.

  • हर आधे घंटे पर 5 मिनट का ब्रेक लेने से थकावट और स्ट्रेन दोनों से बचा जा सकता है.

  • एंटी ग्लेयर ग्लास या ब्लू कट लैंस स्क्रीन पर लगा लें. इससे आंखों पर सीधी रोशनी पड़ने के बजाए कट होकर निकल जाती है.

  • आंखों और टियर फिल्म को स्वस्थ रखने के लिए विटामिन से भरपूर आहार लें.

  • चश्मा लगा हुआ है, तो स्क्रीन का इस्तेमाल करते समय चश्मा जरुर पहनें. स्क्रीनिंग की ज्यादा चमक से आंखों पर अधिक जोर भी पड़ता है, इसके लिए चश्मे पर एंटी-रिफ्लेक्टिव कोटिंग भी लगवा लें.

  • आंखों की रोशनी सही है तो भी जीरो नंबर का चश्मा बनवाकर उस पर एंटी-रिफ्लेक्टिव या एंटी-ग्लेर कोटिंग लगवा सकते हैं.

अगर यह आसान से टिप्स फॉलो करने के बावजूद आपको आराम नहीं मिलता है, तो हो सकता है कि आप आंख से जुड़ी किसी और तरह की दिक्कत से जूझ रहो हों. इसके लिए डॉक्टर से जरूर सलाह लें.

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