ट्रेंड कर रहे स्मोकी, कैटी और कट क्रीज आई मेकअप के इस दौर में कहीं आप अपनी आंखों की सेहत को तो नहीं खो रहीं? मेकअप आपकी आंखों को जितना खूबसूरत बनाता है उससे कहीं ज्यादा इसे नुकसान भी पहुंचा सकता है. अगर आप नियमित रूप से आई मेकअप कर रही हैं, तो यह आपके लिए नुकसानदेह हो सकता है.
आई मेकअप से आंखों में क्या-क्या समस्या हो सकती है? आई मेकअप से आंखों को नुकसान क्यों पहुंचता है? आंखों को नुकसान पहुंचने से कैसे बचाया जा सकता है? ऐसे ही जरुरी सवालों के जवाब जानें फिट हिंदी के इस आर्टिकल में.
आई मेकअप से आंखों में क्या-क्या समस्या हो सकती है?
आखों पर ज्यादा मेकअप से इन दिनों आंखों में पानी सूखने, जलन, लाल निशान जैसी कई परेशानियां आ रही हैं.
कंजंक्टिवाइटिस- आंखों के मेकअप से जुड़ी सबसे आम आंख की समस्या है. आजकल ज्यादातर कास्मेटिक्स में प्रिजर्वेटिव्स होते हैं, जो बैक्टीरिया को बढ़ने से रोकते हैं, फिर भी आपके मेकअप पर बैक्टीरिया का पनपना नामुमकिन नहीं है.
सबकोन्जंक्टिवल डिपोजिशन- मेकअप के कारण एक और गंभीर समस्या पलकों के नीचे मस्कारा का जमाव हो सकता है. मस्कारा को आंखों से ठीक से और पूरी तरह से नहीं हटाने के कारण ये समस्या बन कर सामने आ सकती है. इसमें होता ये है कि मस्कारा के छोटे-छोटे टुकड़े पलक के अंदर फंस सकते हैं और फिर समय के साथ वो ठोस बन जाते हैं, जो कॉर्निया को खरोंच लगा सकते हैं. ऐसा होने पर आंखों में जलन और परेशानी होती है. कभी-कभी इस समस्या का इलाज सर्जरी से करना पड़ता है.
कॉर्निया में खरोंच- कॉर्निया को नुकसान सबसे गंभीर चोटों में से एक है, जो आंखों के मेकअप की वजह से हो सकता है. काजल ऐप्लिकेटर या आईलाइनर से आंखों का मेकअप करते समय आपके कॉर्निया को खरोंच लगना संभव है.
आंखों में एलर्जी- कभी-कभी किसी खास तरह के मेकअप से आंखों में एलर्जी हो जाती है. जिसके कारण लाली, जलन, एडिमा या आंखों का इन्फेक्शन हो सकता है.
आंखों के नीचे काले दाग- कई बार आंखों के नीचे के थोड़े बहुत डार्क सर्कल्स (dark circles) छुपाने के लिए हम मेकअप का इस्तेमाल करते हैं. ऐसा भी होता है कि वो मेकअप प्रोडक्ट्स आपके डार्क सर्कल्स को बढ़ा देते हैं. आंखों के मेकअप में अकसर हानिकारक कैमिकल्स का भी इस्तेमाल किया जाता है, जो इन संवेदनशील हिस्सों के चारों ओर काले घेरे पैदा कर सकते हैं, अगर उन्हें ठीक से हटाया नहीं जाए या लंबे समय तक लगाए रखा जाए.
"मेकअप में मौजूद पिगमेंट और दूसरे कण बैक्टीरिया और प्रदूषित हवा के साथ मिल जाते हैं. ये आपकी त्वचा के कोलेजन को नुकसान पहुंचाते हैं. नई स्किन कोशिकाओं को विकसित होने से रोकते हैं. जिस वजह से आपके चेहरे पर झुर्रियां पड़ सकती हैं. कभी-कभी तो आंखों की इन परेशानियों के कारण आंखों में पस और भी कई तरह के इंफेक्शन के मामले सामने आ रहे हैं. इससे आंखों की रोशनी भी जा सकती है."डॉ. मधु, सीनियर कंसल्टेंट, शार्प साईट आई हॉस्पिटल्स
मेकअप से आंखों को क्यों नुकसान पहुंचता है?
मेकअप प्रोडक्ट्स में मौजूद केमिकल आंखों के लिए नुकसानदेह होते हैं. मेकअप करते वक्त बरती गई लापरवाही आपकी आंखों के इनर एरिया में होने वाले बैक्टीरियल इन्फेक्शन का कारण बन सकती है. मस्कारा, आई लाइनर, आईशैडो जैसे प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल आंखों को बैक्टीरिया और जर्म्स का घर बना सकता है.
"आजकल आंखों में मेकअप और लेंस दोनों को एक साथ लगाने से आंखों को नुकसान पहुंचने की आशंका काफी ज्यादा बढ़ जाती है. जब आप मेकअप करती हैं और फिर लेंस लगाती हैं, तो मेकअप के महीन कण आपकी आंखों के अंदर चले जाते हैं. लैंस के पीछे इनके लंबे समय तक दबे रहने के कारण आंखों में इरिटेशन और इन्फेक्शन होने का जोखिम बढ़ जाता है."डॉ. मधु, सीनियर कंसल्टेंट, शार्प साईट आई हॉस्पिटल्स
डॉ. मधु आगे कहती हैं, "कभी-कभी बहुत ज्यादा मेकअप की वजह से माइबोमियन ग्लैंड ब्लॉक हो जाती हैं. माइबोमियन ग्लैंड आईलिड के बिल्कुल किनारे पर होती है. आईलैशेस के नीचे की लाइनिंग काफी सेंसिटिव होती है. लेकिन आई लाइनर और आर्टिफिशियल आई लेंस का प्रयोग भी सबसे ज्यादा इन्हीं पर किया जाता है".
माइबोमियन ग्लैंड एक प्रकार का ऑइली सब्सटेंस रिलीज करता है, जिसकी वजह से आपकी आंखों में आंसू आते हैं. लेकिन जरूरत से ज्यादा और लंबे समय तक मेकअप का इस्तेमाल ग्लैंड के अंदर जाकर इन्हें ब्लॉक कर देता है और ऑयली सब्सटेंस बाहर नहीं आ पाते. जिस वजह से आंखों के किनारे में सूजन की समस्या हो सकती है. ड्राई आई, इरिटेशन, धुंधलापन और आंखों के लाल होने जैसी समस्याएं भी इससे पैदा हो सकती हैं.
आंखों को नुकसान पहुंचने से कैसे बचाया जाए?
"आंखों को नुकसान पहुंचने से बचाने के लिए आई मेकअप हमेशा आई लिड और आई लैश से 1 एमएम (mm) की दूरी पर लगाएं.डॉ अरुण सेठी, डायरेक्टर- नेत्र रोग, अरुणोदय डेसेरेट आई हॉस्पिटल, गुरुग्राम
हमारी एक्सपर्ट डॉ. मधु के अनुसार, आजकल लोग बिना समझें किसी भी लोकल ब्रांड का मेकअप प्रोडक्ट्स मार्केट से कम दाम पर खरीद लेते हैं. इसके कारण कई बार हमारी आंखों को बहुत नुकसान पहुंचता है.
अच्छे प्रोडक्ट का इस्तेमाल करें- लोकल और खराब ब्रांड का मेकअप प्रोडक्ट्स इस्तेमाल करने से बचें और सिर्फ अच्छे ब्रांड का समान ही खरीदें. आई ग्लैंड का ध्यान रखते हुए ऑयल फ्री प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करें.
पैच टेस्ट करें- आंखों पर कोई भी मेकअप प्रोडक्ट्स इस्तेमाल करने से पहले पैच टेस्ट जरूर करें. इससे आपको पता चल जाएगा कि कहीं आपकी स्किन और आंखों को उस प्रोडक्ट से एलर्जी तो नहीं हो रही है.
पुराने और एक्सपायर प्रोडक्ट का इस्तेमाल नहीं करें - कई बार लोग बहुत पुराने मेकअप का इस्तेमाल करते रहते हैं. बता दें कि पुराने मेकअप के सामान पर बैक्टीरिया और फंगस ग्रो करने लगता है और यह आंखों को बहुत नुकसान पहुंचा सकता है. इसके अलावा हमेशा मेकअप की एक्सपायरी डेट देखकर ही सामान का प्रयोग करें.
ब्यूटी प्रोडक्ट को ठंडे या सामान्य तापमान में रखें- अगर आप मेकअप प्रोडक्ट को बहुत गर्म तापमान में रखती हैं, तो इसमें कई बैक्टीरिया पनप सकते हैं. हमेशा इस बात का ध्यान रखें कि आपका ब्यूटी प्रोडक्ट ठंडे या सामान्य तापमान में रहे, जिससे इसमें किसी तरह का बैक्टीरिया ना ग्रो करें और यह सुरक्षित रहें.
आई मेकअप किट शेयर ना करें- इसके अलावा भूलकर भी अपनी आई मेकअप किट किसी के साथ भी शेयर ना करें. इसके कारण एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में संक्रमण फैल सकता है. इसलिए इसे शेयर करने से बचें. आई मेकअप ब्रश को हर बार मेकअप करने के बाद साफ करें.
मेकअप लंबे समय तक नहीं लगाए रखें- कई बार पार्टी से आकर बहुत थके होने पर मेकअप हटाने का मन नहीं करता है और आप बिना इसे हटाए ही सो जाती हैं. आपको बता दें कि मेकअप लगाकर सोने से आपकी स्किन तो खराब होगी ही साथ ही इसका असर आपकी आंखों पर भी पड़ता दिख सकता है. जिसके कारण आपकी आंखों में एलर्जी और दूसरी समस्या भी हो सकती है.
"आंखों के मेकअप को लिड क्लींजर लोशन से साफ करें, फिर सोने से पहले आंखों को साफ नल के पानी से अच्छी तरह से धोएं. सूथिंग इफेक्ट के लिए आंखों में अच्छी कंपनी का लब्रिकेंट आई ड्रॉप डालें."डॉ अरुण सेठी, डायरेक्टर- नेत्र रोग, अरुणोदय डेसेरेट आई हॉस्पिटल, गुरुग्राम
डॉक्टर को कब दिखाना चाहिए?
अधिकतर मामलों में डॉक्टर को दिखाने की जरूरत नहीं पड़ती है, लेकिन अगर नीचे बताए लक्षण दिखाई दें, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें क्योंकि कभी-कभी समस्या गंभीर होने पर आंखों की रोशनी जाने का खतरा भी हो सकता है.
आंखों में लाली की समस्या एक सप्ताह से अधिक समय तक रहे.
रोशनी के प्रति अति-संवेदनशीलता (sensitivity) विकसित हो जाए.
एक या दोनों आंखों से डिस्चार्ज निकलने लगे.
धुंधला दिखाई दे.
आंखों में तेज दर्द हो.
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