ADVERTISEMENTREMOVE AD

COVID 19: 10 अप्रैल से 18+ को बूस्टर डोज, जानें एक्स्पर्ट्स की राय

Covid 19 बूस्टर डोस से हमारी इम्यूनिटी पर क्या असर पड़ेगा? जानें बूस्टर डोस के बारे में सब कुछ.

Updated
फिट
4 min read
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा
Hindi Female

रविवार, 10 अप्रैल से 18 साल से अधिक उम्र के वयस्कों के लिए कोविड-19 की प्रीकॉशन डोज/ बूस्टर डोज (Covid-19 Booster Dose/ Precaution dose) प्राइवेट वैक्सीनेशन केंद्रों पर उपलब्ध होंगी.

देश में बड़ी संख्या में कोरोना वैक्सीन की दोनों डोस लगने के बाद केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने यह जानकारी दी है. केंद्र की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि जिनकी उम्र 18 साल से अधिक है, वे प्राइवेट टीकाकरण केंद्रों पर एहतियाती खुराक ले सकेंगे.

18 वर्ष से ऊपर की आयु वालों के लिए यह कोरोना वैक्सीन की तीसरी खुराक होगी.

जिन लोगों ने COWIN ऐप पर पहले रेजिस्टर कर रखा है, उन्हें बूस्टर खुराक के लिए अलग से रेजिस्ट्रेशन की आवश्यकता नहीं है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

2 शर्तों के साथ है बूस्टर डोज 

कोरोना वैक्सीन का ये बूस्टर डोज उन्हें लगेगा जो इसकी 2 शर्तों को पूरा करेंगे. पहली शर्त यह है कि बूस्टर खुराक लेने वाले की उम्र 18 वर्ष से ऊपर हो और दूसरी शर्त है कि यह बूस्टर खुराक उन्हें ही मिलेगी जिनको वैक्सीन की दूसरी डोज लिए 9 महीने पूरे हो गए हैं.

  • उम्र 18 साल से अधिक

  • दूसरी डोस लिए 9 महीने पूरे हो चुके हों

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने यह भी कहा कि स्वास्थ्य कर्मियों, फ्रंट लाइन वर्कर्स और 60 वर्ष से अधिक उम्र की आबादी के लिए सरकारी टीकाकरण केंद्रों के माध्यम से पहले, दूसरे और प्रीकॉशन डोज का फ्री वैक्सीनेशन कार्यक्रम जारी रहेगा और इसकी गति तेज की जाएगी.

सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के अदार पूनावाला का कहना है कि कोविशील्ड वैक्सीन की बूस्टर डोस प्राइवट सेंटर पर 225 रुपये प्रति शॉट होगी.
0

क्या कहते हैं एक्स्पर्ट्स 

"किस आधार पर बूस्टर डोस प्रोग्राम शुरू होने वाला है? मेरी समझ से अभी तक हमारे पास ऐसा कोई डेटा उपलब्ध नहीं है, जिससे ये पता चल सके कि हम भारतीयों को बूस्टर खुराक की जरुरत है. दूसरी बात, क्या पहली और दूसरी कोविड वैक्सीन डोस लेने के बाद हमें पता है कि हमारे शरीर में कोरोनावायरस के खिलाफ कितनी इम्यूनिटी बनी है? इसका जवाब भी नहीं है किसी के पास. आधार क्या है बूस्टर डोस का?" ये कहना है जेएनयू में मौलेक्युलर मेडिसिन के हेड, प्रो.गोवर्धन दास का फिट हिंदी से.

प्रो.गोवर्धन दास आगे कहते हैं, "हमें ध्यान रखना चाहिए कि जहां भी बूस्टर डोस लग रहे हैं, वहां के हालात, लोग और उनकी वैक्सीन तीनों हमारे यहां से अलग हैं. क्यों बिना किसी ठोस डेटा के बूस्टर वैक्सीन की रेस में शामिल होना चाहता है भारत?"

"दुनिया में अभी तक ऐसी कोई दवा नहीं है, जिसका साइड इफेक्ट न हो. नियम यही है कि दवा से होने वाला फायदा, उससे पहुंचने वाले नुकसान से कही ज्यादा होना चाहिए. कोविड वैक्सीन के मामले में अभी तक ऐसा कोई डेटा सामने नहीं आया है. ऐसे में तीसरी खुराक लेना?
प्रो.गोवर्धन दास, हेड मौलेक्युलर मेडिसिन, जेएनयू, दिल्ली

गुरुग्राम, मेदांता में इंटर्नल मेडिसिन की सीनियर डायरेक्टर डॉ. सुशीला कटारिया कहती हैं, "ये एक बढ़िया कदम है. जैसा कि हम देख रहे हैं, यूरोप, चीन, यूएस और दुनिया में कई जगह कोविड के केस बढ़ रहे हैं. Omicron वेरिएंट का नया सब वेरिएंट XE भी मिला है. मामले बढ़ रहे हैं. बूस्टर डोस अगर सभी के लिए पर्याप्त रूप से उपलब्ध है, तो जरुर लगवाना चाहिए.

अपनी बात को आगे बढ़ते हुए फिट हिंदी से डॉ. सुशीला कटारिया कहती हैं, "बूस्टर डोस समय रहते लगवा लेना चाहिए. शॉट लेने के बाद उसका असर होने में 15 दिन लग जाएंगे. मुझे लगता है धीरे-धीरे ये वायरस एंडेमिक जोन में जाएगा, जैसे फ्लू का इन्फेक्शन होता है. हमें बार-बार बूस्टर की जरुरत पड़ेगी. हम तैयार रहेंगे तो हमारी इकॉनमी पर असर नहीं पड़ेगा. हमें लॉकडाउन की मार नहीं सहनी पड़ेगी.

“पिछले ही दिनों मेरे पास 40- 45 वर्ष के कुछ लोग आए थे जिन्हें यूरोप जाना था पर उनको दिक्कत ये हो रही थी कि बिना बूस्टर खुराक सर्टिफिकेट के वहां बाहर निकलना मुश्किल है. इम्यूनिटी बढ़ने के साथ-साथ लोगों को अब ऐसी दिक्कतें भी नहीं झेलनी पड़ेगी. बूस्टर डोस से हमारी इम्यूनिटी में मदद मिलेगी”.
डॉ सुशीला कटारिया, सीनियर डायरेक्टर, इंटर्नल मेडिसिन, मेदांता गुरुग्राम
ADVERTISEMENTREMOVE AD

यहां बूस्टर डोस और प्रिकॉशनेरी डोस में क्या अंतर है?

"ऐसे तो कोई अंतर नहीं होता है. बूस्टर डोस समय निर्धारित होता है यानी कि कितने अंतराल पर खुराक लगेगी ये बूस्टर डोस में तय होता है. मुझे लगता है पहले हमारे पास वैक्सीन की कमी थी, तो प्रिकॉशनेरी डोस एक वर्ग समूह के लिए दिया जा रहा था, जैसे स्वास्थ्य कर्मी, फ्रंट लाइन वर्कर्स और 60 वर्ष से अधिक उम्र की आबादी वाले लोग. प्रैक्टिकली कोई अंतर नहीं" के कहा डॉ. सुशीला कटारिया ने.

दुनिया में बढ़ते कोविड मामलों पर डॉ. सुशीला कटारिया ने कहा कि हमें एक बीच का रास्ता खोजना चाहिए अभी के हालात में. सावधानी बरतनी जरुर है. मास्क का उपयोग करें, भीड़भाड़ से बचें और सफाई का ध्यान रखें पर साथ ही धीर-धीरे नोर्मल दिनचर्या पर लौट जाएं. टीकाकरण जरुर कराएं.

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार बूस्टर खुराक के लिए उसी वैक्सीन का प्रयोग होना चाहिए, जो पहली और दूसरी डोस में दिया गया था.

देश में 12 साल से बड़े बच्चों के लिए भी चल रहा टीकाकरण 

16 मार्च 2022 से 12-14 साल के बच्चों के लिए कोरोना वायरस से बचाव के लिए वैक्सीनेशन शुरू की गयी है. उससे पहले इसी साल 3 जनवरी को 15 से 18 वर्ष की आयु के बच्चों के लिए कोविड-19 टीकाकरण शुरू किया गया था.

जहां 12 से 14 वर्ष के आयु वर्ग को बायोलॉजिक ईएस कोर्बोवैक्स का टीका लगाया जा रहा है, जिसे हैदराबाद की कंपनी जैविक इवांस ने तैयार किया है, वहीं 15 साल से 18 साल के बच्चों के लिए कोवैक्सिन का टीका दिया जा रहा है. ये वही टीका है, जो वयस्कों को दिया जा रहा है.

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

Published: 
सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें