कोलोराडो विश्वविद्यालय के एक अध्ययन से संकेत मिलता है कि कोविड-19 के ओमिक्रॉन वेरिएंट से बच्चों में UAI यानी अपर एर्वे इन्फेक्शन (ऊपरी वायु मार्ग में इन्फेक्शन) होने की अधिक संभावना होती है, जो कुछ छोटे बच्चों में हृदय संबंधी परेशानियां और अन्य गंभीर जटिलताओं का सामना करने की संभावना बढ़ा देती है.
अध्ययन में कहा गया है कि बच्चों में UAI का खतरा अधिक होता है, जिससे कुछ छोटे बच्चों में कार्डीऐक अरेस्ट का खतरा बढ़ जाता है.
अध्ययन यह पता लगाने के उद्देश्य से किया गया था कि ओमिक्रॉन वेव के दौरान बच्चों में ऊपरी वायु मार्ग में संक्रमण के मामले बढ़े हैं या नहीं.
फिट हिंदी ने इस विषय पर अनुभवी डॉक्टरों से बात कर जानने की कोशिश की, कि आखिर मामला क्या है?
क्या कहती है स्टडी?
अध्ययन ने SARS-CoV-2 से संक्रमित, अस्पताल में भर्ती 18,849 बच्चों के डेटा का विश्लेषण किया, जिनमें से 384 को UAI था. इनमें से 81 बच्चों में गंभीर बीमारी देखी गई.
ओमिक्रॉन के प्रसार में अधिक ट्रांसमिसिबिलिटी और कम गंभीरता देखा किया गया है.
जबकि डॉक्टरों का कहना है कि ओमिक्रॉन से पहले कॉम्प्लेक्स या क्रोनिक स्वास्थ्य स्थितियों से पीड़ित बच्चों की संख्या में कोई खास अंतर नहीं देखा गया है, लेकिन मामलों की गंभीरता अधिक रही है.
अध्ययन में आगे कहा गया है, "गंभीर UAI वाले बच्चों को रैपिड-ऑन्सेट अपर एर्वे ऑब्स्ट्रक्शन (ऊपरी वायु मार्ग में बाधा) से कार्डीऐक अरेस्ट का खतरा होता है. उन्हें आमतौर पर ICU की आवश्यकता पड़ती है, जहां उन्हें नेबुलाइज्ड रेसमिक एपिनेफ्रीन, हीलियम-ऑक्सीजन मिश्रण और इनट्यूबेशन दिया जाता है."
हीलियम-ऑक्सीजन मिश्रण, नेबुलाइज्ड रेसमिक एपिनेफ्रीन और अन्य इंटेन्सिव केयर उपाय आमतौर पर मध्यम से गंभीर श्वसन संकट से पीड़ित रोगियों के लिए होते हैं.
अध्ययन में यह भी कहा गया है, "जबकि SARS-CoV-2 पीडियाट्रिक UAI की दर बहुत अधिक नहीं है, इस नए क्लीनिकल फेनोटाइप और इसके कारण ऊपरी वायु मार्ग में रुकावट की संभावना को समझने से चिकित्सीय निर्णय लेने में मदद मिल सकती है."
नवंबर 2021 में ओमिक्रॉन का प्रसार शुरू हुआ और दिसंबर 2021 तक यह प्रमुख स्ट्रेन बन चुका था.
स्टडी का निष्कर्ष यह निकलता है कि "जबकि COVID-19 और पीडियाट्रिक UAI की दर बहुत अधिक नहीं है, इस नए नैदानिक फेनोटाइप और इससे होने वाले अक्यूट अपर एर्वे ऑब्स्ट्रक्शन की संभावना को समझने से चिकित्सीय निर्णय लेने में मदद मिल सकती है."
अध्ययन में कहा गया है कि छोटे बच्चों में विशेष रूप से UAI का खतरा होता है क्योंकि उनके वायु मार्ग छोटे होते हैं और वयस्कों के मुकाबले आसानी से कोलैप्स कर सकते हैं.
क्या OMICRON के दौरान भारतीय बच्चों में अपर एर्वे इन्फेक्शन देखा गया है?
फिट हिंदी ने इस विषय पर दिल्ली के सर गंगाराम हॉस्पिटल में पीडीऐट्रिक पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ धीरेन गुप्ता से बात की. डॉ गुप्ता ने बताया,
"मैंने Omicron वेव के दौरान, 1 साल से कम उम्र के बच्चों में अपर एर्वे इन्फेक्शन (ऊपरी वायु मार्ग में इन्फेक्शन) की समस्या देखी है और उसका इलाज भी किया है. यह जानलेवा भी हो सकता है. जैसे DELTA वेव में हमने MIS-C की समस्या देखी थी वैसे ही OMICRON में अपर एर्वे इन्फेक्शन की समस्या देखने को मिली."डॉ धीरेन गुप्ता, पीडीऐट्रिक पल्मोनोलॉजिस्ट, सर गंगाराम हॉस्पिटल, दिल्ली
डॉ गुप्ता आगे कहते हैं कि भारतीय बच्चों में Omicron के दौरान अपर एर्वे इन्फेक्शन देखे जाने की बात उन्होंने 22 मार्च को एक कार्यक्रम में WHO के अधिकारियों के सामने भी कही. जहां उन्हें भारत में Omicron की लहर पर अपने अनुभव साझा करने के लिए बुलाया गया था.
वहीं मेदांता गुरुग्राम में पीडियाट्रिक्स के एसोसिएट डायरेक्टर, डॉ. मनिंदर सिंह धालीवाल कहते हैं,
"ऐसी स्तिथि किसी भी वायरल इन्फेक्शन के कारण हो सकती है. COVID भी एक वायरल इन्फेक्शन है और हम जानते हैं कि यह ज्यादातर रेस्प्रिटॉरी ट्रैक को इन्फेक्ट करता है. जहां तक बच्चों की बात है, तो उनके विंड पाइप छोटे होते हैं, वॉइस बॉक्स छोटा होता है. अगर उसमें कोई भी वायरल इन्फेक्शन हो जाए, तो वो सूज जाता है. जिसकी वजह से विंड पाइप कोलैप्स हो जाता है. तब स्थिति जानलेवा हो सकती है."डॉ. मनिंदर सिंह धालीवाल, एसोसिएट डायरेक्टर, पीडियाट्रिक्स, मेदांता हॉस्पिटल, गुरुग्राम
दोनों डॉक्टरों ने बच्चों में COVID के ऐसे मामलों में कार्डीऐक अरेस्ट, अभी तक नहीं देखने की बात कही है.
बच्चे की सांस से अगर किसी तरह आवाज आ रही हो तो, उसे अनदेखा न करें. ऐसी परिस्थिति में माता-पिता को खुद से समस्या का समाधान नहीं निकालना चाहिए. समय पर इसका इलाज नहीं होने से बात बिगड़ सकती है. ऐसे में डॉक्टर से संपर्क करें. इसका इलाज है. डॉक्टरों को इस स्तिथि के बारे में अच्छी तरह से पता है और इसका इलाज भी सिर्फ उन्हें ही करना चाहिए.
दोनों विशेषज्ञों ने COVID दिशानिर्देशों का पालन करने और मास्क का उपयोग जरुर करने की सलाह दी.
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