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King Charles Diagnosed With Cancer: यूनाइटेड किंगडम के किंग चार्ल्स को 75 वर्ष की आयु में कैंसर के एक रूप के होने का पता चला है. पिछले महीने, यह बताया गया था कि खराब हेल्थ के कारण उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था और उन्हें बढ़े हुए प्रोस्टेट (Prostate) के लिए करेक्टिव प्रक्रिया (corrective procedure) से गुजरना पड़ा था.
बढ़े हुए प्रोस्टेट को ट्रीट करने के लिए करेक्टिव प्रक्रिया कैसी होती है? प्रोस्टेट कैंसर (Prostate Cancer) होने का खतरा कब होता है? प्रोस्टेट कैंसर के रिस्क फैक्टर्स क्या हैं? प्रोस्टेट कैंसर डायग्नोसिस होने पर क्या करें? क्या है प्रोस्टेट कैंसर का इलाज? फिट हिंदी ने कैंसर एक्सपर्ट्स से बात की और जाना सवालों के जवाब.
डॉ. मनदीप सिंह मल्होत्रा फिट हिंदी से बात करते हुए बताते हैं कि बिना कैंसर वाले प्रोस्टेट का बढ़ना बेसिकली बिनाइन प्रोस्टेटिक हाइपरप्लासिया होता है. ये नॉन-कैंसर वाली कंडीशन होती है और ये बढ़ती उम्र से जुड़ा होता है.
डॉ. मनदीप सिंह मल्होत्रा प्रक्रिया बताते हुए कहते हैं, "बढ़े हुए प्रोस्टेट की करेक्टिव प्रक्रिया में प्रोस्टेट ग्लैंड का बढ़ा हुआ हिस्सा, जो पेशाब से जुड़ी समस्याएं पैदा कर रहा है, उस हिस्से को सर्जरी के जरिए निकाल दिया जाता है, जिससे लक्षण खत्म हो जाएं".
डॉ. पीयूष वार्ष्णेय आगे कहते हैं, "इसके अलावा जेनेटिक म्यूटेशंस जैसे अगर किसी परिवार में प्रोस्टेट कैंसर की हिस्ट्री है, तो 40 साल की उम्र के बाद परिवार के पुरुषों को हर साल स्क्रीनिंग कराना चाहिए".
वहीं डॉ. मनदीप सिंह मल्होत्रा मोटापा, खराब लाइफस्टाइल जिसमें फैटी फूड अधिक और फल-सब्जी कम खाई जाती है, पर्यावरणीय रिस्क फैक्टर जैसे कि बढ़ा हुआ प्रदूषण लेवल को भी प्रोस्टेट कैंसर के रिस्क को बढ़ाने वाले फैक्टर्स में शामिल करते हैं.
प्रोस्टेट कैंसर तब होता है, जब प्रोस्टेट ग्लैंड में मौजूद नार्मल सेल्स अचानक से ज्यादा बढ़ रहे होते हैं. ऐसा अक्सर रिस्क फैक्टर यानी कि जेनेटिक फैक्टर, बढ़ती उम्र, खराब लाइफस्टाइल और पर्यावरणीय कारणों की वजह से होता है.
भारतीयों में होने वाले प्रोस्टेट कैंसर पर नोएडा में फोर्टिस अस्पताल के यूरोलॉजी एंड रीनल ट्रांसप्लांट विभाग के एडिशनल डायरेक्टर- डॉ. पीयूष वार्ष्णेय कहते हैं,
एक्सपर्ट्स के अनुसार, प्रोस्टेट कैंसर का रिस्क अफ्रीकन-अमेरिकन, ऑस्ट्रेलियन और नॉर्थ अमेरिका के लोगों में अधिक देखने को मिलता है पर भारतीय में भी ये कैंसर मॉडरेट रूप में देखा जाता है.
जब एक बार प्रोस्टेट कैंसर का डायग्नोसिस हो जाता है, तो मरीज को डॉक्टर से अपना पूरा इवेल्यूएशन कराना चाहिए.
डॉ. पीयूष वार्ष्णेय बताते हैं कि प्रोस्टेट कैंसर के इवेल्यूएशन में 3 चीजें आती हैं बायोप्सी, एमआरआई और पैट स्कैन.
किसी भी कैंसर का पता चलने पर सबसे पहले कैंसर के स्टेज और ग्रेड के बारे में पता किया जाता है.
इसके इलाज में सर्जरी की जाती है, जो रोबोट के जरिए हो जाती है.
डॉ. पीयूष वार्ष्णेय कहते हैं,
डॉ. मनदीप सिंह मल्होत्रा इस कैंसर के इलाज के बारे में कहते हैं, "मरीज की उम्र क्या है, पेशाब कितना रुक रहा है, कितनी बार पेशाब करने जाना पड़ रहा है, पेशाब में खून तो नहीं आ रहा है, इन सब बातों को ध्यान में रख कर उसका इलाज किया जाता है".
एक्सपर्ट ने एक और बात पर ध्यान देने को कहा, वो है,
ऐसे तो प्रोस्टेट कैंसर के अधिकतर मामले जेनेटिक या बढ़ती उम्र संबंधी होते हैं पर कुछ मामलों में लाइफस्टाइल से जुड़े फैक्टर्स भी इसकी आशंका बढ़ा सकते हैं. ऐसे में प्रोस्टेट कैंसर से बचने के लिए यहां बताए गए उपाय अपनाए जा सकते हैं.
हेल्दी वजन बनाए रखें
रेगुलर एक्सरसाइज करें
धूम्रपान और शराब पीना कम करें
विटामिन डी के सही लेवल को बनाए रखें
हेल्दी फूड खाएं
सेक्सुअली ऐक्टिव रहें
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