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बहुत ज्यादा नमक (salt) आपकी सेहत के लिए नुकसानदायक है. यह बात आपने कई बार सुनी होगी और आप संतुलन बनाने की कोशिश भी करते होंगे. लेकिन आज हम इस नमक के इतिहास के बारे में बताते हैं.
नहीं, महात्मा गांधी की दांडी नमक यात्रा पर बात नहीं करेंगे, बल्कि यह कि कैसे इंसानों ने नमक का इस्तेमाल शुरू किया, कैसे एक मुश्किल से मिलने वाली चीज बन गया, पेमेंट का एक बेशकीमती माध्यम बना और फिर पेमेंट का बुनियादी तरीका बन गया, और आखिर में आपकी डाइनिंग टेबल पर विराजमान हो गया.
पुरा-पाषाण काल (paleolithic age) में इंसान ज्यादातर फल और मीट खाते थे. करीब 16 लाख साल पहले, जब इंसान होमो इरेक्टस (Homo erectus) में विकसित हुआ तो उसने ज्यादा मीट खाना शुरू कर दिया.
वक्त बीतने के साथ, जैसे-जैसे इंसानों ने शिकार के तरीके सीखे और तेज, ज्यादा काबिल शिकारी बन गए उनके मीट की खपत भी बढ़ गई. जिंदगी का यह ढर्रा एक लाख से ज्यादा सालों तक जारी रहने वाला था जिसमें इंसान के खाने में फल, कंद, मीट, और जिस तरह के भी मेवे वह हासिल कर सकता था, शामिल थे.
2001 की एक स्टडी में कहा गया है कि इस समय के आसपास बहुत ज्यादा शिकार, आबादी बढ़ने और जलवायु परिवर्तन के चलते खेती बढ़ने से नमक की खपत में बढ़ोत्तरी हुई.
हम इसके बारे में कैसे जानते हैं? ग्रीक और संस्कृत, जो कुछ सबसे पुरानी दर्ज की गई इंडो-यूरोपीय भाषाओं में से हैं, दोनों में नमक के लिए शब्द हैं, जबकि इससे पहले किसी भी भाषा में नमक के लिए कोई शब्द नहीं था.
इस नमक का सेवन और इस्तेमाल कई रूपों में किया जाता था, लेकिन मीट को अच्छा बनाने और प्रिजर्व रखने की क्षमता की वजह से नमक की अहमियत एक संसाधन के रूप में बहुत ज्यादा बढ़ गई. मीट एक कीमती संसाधन था और कोई नहीं चाहता था कि यह बर्बाद हो.
आज जैसी आधुनिक रेफ्रिजरेशन सुविधा नहीं होने पर हमारे पूर्वजों ने अपने फूड्स को प्रिजर्व रखने के लिए नमक का इस्तेमाल किया था. नमक बैक्टीरिया और दूसरे माइक्रोब्स को मारता है, और एक बार मीट को भरपूर नमक, या नमक और सिरका के साथ मिलाकर ट्रीट कर दिया जाए, तो यह महीनों चल जाता है.
खेती में तरक्की का मतलब यह भी था कि इंसान अपने खेतों में ज्यादा समय फसलों की देखभाल पर देने लगे. यानी नियमित रूप से शिकार करने और जानवरों की तलाश के लिए उनके पास वक्त कम था. नमक ने इंसानों को मीट खराब होने के डर से आजादी दिलाई, और इसने उन्हें फूड स्टोर करने की फिक्र किए बिना अपने खेतों में जाने का मौका दिया.
2000 बीसी के रिकॉर्ड बताते हैं कि इजिप्ट के लोग मीट को प्रिजर्व करने के लिए नमक का इस्तेमाल करते थे.
वक्त बीतने के साथ नमक खाना पकाने की सामग्री से आगे बढ़कर एक ऐसी चीज बन गया जिसने इंसानों को कड़ाके की सर्दियों के लिए अपने फूड को प्रिजर्व करने का मौका दिया, और खाना बर्बाद होने और खाने व प्रोटीन के लिए अक्सर शिकार की भागदौड़ से राहत दी.
हकीकत तो यह है अभी भी धरती के सबसे ठंडे इलाकों, याकुत्स्क और अंटार्कटिका के निवासी फूड को महीनों प्रिजर्व रखने के लिए भारी मात्रा में नमक का इस्तेमाल करते हैं.
यह “मजेदार जानकारी” एक हकीकत बन गई जो 19वीं शताब्दी में इतिहास की दिशा को बदल देने वाली थी. 19वीं शताब्दी में नमक के कारोबार में अंग्रेजों का दबदबा था. संयुक्त राज्य अमेरिका को उसके दक्षिणी बंदरगाहों पर भारी मात्रा में नमक निर्यात किया जाता था.
जब अमेरिकी गृह युद्ध छिड़ा तो दक्षिण (द यूएस कन्फेडरेसी) के हर सैनिक के लिए मासिक नमक भत्ता 1.5 पाउंड (लगभग 600 ग्राम) नमक था.
इसे रोज की खपत में बदलकर देखें तो 23 ग्राम नमक बैठता है, जो 3-6 ग्राम खाने की आज की मौजूदा सीमा से बहुत ज्यादा है. तो आप बेहतर समझ सकते हैं कि ये सैनिक नमक और साल्टी फूड्स के काफी आदी थे.
गृहयुद्ध के दौरान उत्तर ने देश के दक्षिणी बंदरगाहों को बंद कर दिया, जिससे दक्षिण को इंग्लैंड से मिलने वाले नमक की उपलब्धता सीमित हो गई.
यह कदम जितना शातिराना था उतना ही असरदार था. क्यों? क्योंकि सैनिक नमक के बिना अपने मीट को प्रिजर्व नहीं कर सकते थे, जिसका मतलब था कि पहले ही खाने का संकट खड़ा हो गया.
सबसे खास बात यह कि नमक के इस्तेमाल में अचानक कमी ने सैनिकों के मनोबल को गहरी चोट पहुंचाई, क्योंकि जैसा हमने पहले जिक्र किया था, नमक आपकी टेस्ट बड्स को सुन्न कर देता है और बिना नमक के खाने को नीरस और फीका बना देता है.
ऐतिहासिक महत्व की बात करें तो भारत की नमक की अपनी अलग कहानी है. ब्रिटिश नमक एकाधिकार एक समय में भारतीय उपनिवेश तक फैला था.
जिन लोगों ने नमक पर नियंत्रित रखा, सत्ता, ताकत और धन को नियंत्रित किया. जिस तरह पैसा हमें खाना, घर और सुविधाएं खरीदने का मौका देता है, नमक ने इंसानों को अपनी मुश्किलों को कम करने, खाने को लंबे समय तक प्रिजर्व करने का मौका दिया, और इंसानों के लिए जिंदगी को कुल मिलाकर बहुत बेहतर बना दिया. उस दौर में नमक माफिया और नमक तस्कर अनोखी बात नहीं थी.
ग्राहम ए. मैकग्रेगर और ह्यूग ई. डी. वार्डनर की 1998 में प्रकाशित किताब साल्ट, डाइट एंड हेल्थ: नेप्च्यूंस पॉइजन चालिस: द ऑरिजिंस ऑफ हाई ब्लड प्रेशर(Salt, Diet and Health: Neptune's Poisoned Chalice: The Origins of High Blood Pressure) में नमक के इतिहास के बारे में विस्तार से बताया गया है.
इसमें, लेखक बताते हैं कि खाने वाले नमक को ब्लडप्रेशर से जोड़ने वाली सबसे पहले टिप्पणी 1700 बीसी में चीनियों ने दर्ज कराई थी. इसमें कहा गया है, “अगर ज्यादा मात्रा में नमक लिया जाए, तो पल्स अकड़ जाएगी या सख्त हो जाएगी.”
लेकिन इस बात को 3000 साल से ज्यादा बीत गए और आधुनिक मेडिकल साइंस ने 1836 में इसे लंदन में दोहराया.
और एक बार जब नमक का हाई ब्लड प्रेशर, हाइपर टेंशन, हार्ट डिजीज और स्ट्रोकसे रिश्ता मजबूती से साबित हो गया, तो यह इंसानों के नमक के इस्तेमाल के तरीके को हमेशा के लिए बदल देने वाला था.
पार्ट 2 का इंतजार करें, जिसमें हम इंसानी शरीर पर नमक के असर, इससे पैदा होने वाली समस्याओं और साइंस ने बहुत ज्यादा नमक के इस्तेमाल के खतरों का किस तरह टेस्ट किया और किस तरह नतीजे निकाले, इस पर गहराई से नजर डालेंगे.
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