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World Arthritis Day 2022: कम उम्र में क्यों हो रहा जोड़ों में दर्द, कैसे बचें?

आर्थराइटिस यानी गठिया जोड़ों में दर्द और सूजन की स्थिति है, जिसके कारण लोगों का उठना-बैठना भी मुश्किल हो जाता है.

अश्लेषा ठाकुर
फिट
Updated:
<div class="paragraphs"><p>World Arthritis Day:&nbsp;युवाओं में आर्थराइटिस की समस्या बढ़ रही है. ऐसे करें पहचान और इलाज.&nbsp;</p></div>
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World Arthritis Day: युवाओं में आर्थराइटिस की समस्या बढ़ रही है. ऐसे करें पहचान और इलाज. 

(फोटो: फिट हिंदी/iStock)

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World Arthritis Day 2022: दुनिया भर में विश्व गठिया दिवस मनाने के पीछे का उद्देश्य इस समस्या से जूझते लोगों की बढ़ती संख्या की ओर ध्यान खींचना और साथ ही कैसे इस बीमारी की चपेट में आने से लोगों को बचाया जा सके भी है. यह दुनिया भर में तेजी से बढ़ती गंभीर समस्याओं में से एक है. 

देश में लाखों लोग किसी न किसी प्रकार की गठिया की समस्या से परेशान हैं. युवाओं में भी तेजी से आर्थराइटिस के बढ़ते मामले सामने आ रहे हैं.

आर्थराइटिस, जोड़ों में दर्द और सूजन की स्थिति है, जिसके कारण लोगों के लिए दिनचर्या के सामान्य कार्यों को करना तक मुश्किल हो जाता है.

युवाओं में अर्थराइटिस यानी गठिया 

एक जमाने में ये सिर्फ बुजुर्गों की बीमारी मानी जाती थी लेकिन अब कम उम्र के लोग भी इसकी चपेट में आ रहे हैं. आखिर ऐसा क्यों हो रहा है?

एड़ियों में जलन, फिर भी घुटनों में दर्द, जोड़ों में दर्द यही चीज आगे बढ़ते-बढ़ते अर्थराइटिस का रूप ले लेती है. इसे वक्त रहते पहचानना बेहद जरूरी है और इससे बचाव भी जरूरी है क्योंकि एक बार अर्थराइटिस हो गया तो जीवन भर रहेगा.

अर्थराइटिस यानी गठिया से आज दुनिया भर में लाखों लोग परेशान हैं.

जेनेटिक कारण, ट्रॉमा और ऑटो इम्यून डिजीज के अलवा बदलती जीवनशैली, मोटापा, गलत खानपान जैसी वजहों से ये बीमारी अब केवल बुजुर्गों तक ही सीमित नहीं रह गई है. युवा भी तेजी से इसका शिकार हो रहे हैं.

क्या है अर्थराइटिस यानी गठिया?

अर्थराइटिस शब्द का मतलब है ज्वाइंट इंफ्लेमेशन, यानी जोड़ों में सूजन. इसे गठिया या जोड़ों की बीमारी भी कहते हैं. यह शरीर के किसी एक जोड़ या एक से अधिक जोड़ को प्रभावित कर सकता है. जब बिना चोट लगे चलने में तकलीफ हो, जोड़ों में दर्द रहे और जोड़ों को काम करने में दिक्कत हो रही हो, तो हो सकता है आप अर्थराइिटस के शिकार हो रहे हों.

अर्थराइटिस का सबसे अधिक प्रभाव घुटनों में और उसके बाद कुल्हे की हड्डियों में दिखाई देता है. घुटने पर शरीर का पूरा वजन पड़ता है और जब चलने में तकलीफ होती है, तो लोगों को वहां अर्थराइटिस की समस्या का पता तुरंत चल जाता है.

अर्थराइटिस या गठिया के सबसे आम प्रकार ऑस्टियोअर्थराइटिस, गाउट और रुमेटाइड अर्थराइटिस हैं.

युवाओं में अर्थराइटिस के लक्षण

युवाओं में अर्थराइटिस की समस्या का समय पर इलाज ना करने से धीरे-धीरे और गंभीर होती जाती है. इसलिए लक्षणों को पहचानते ही सही समय पर अपना चेकअप और इलाज शुरू कर लेना चाहिए ताकि ये समस्या गंभीर न हो जाए.

ये हैं उसके कुछ लक्षण:

  • चलने फिरने में दिक्कत महसूस होना

  • बार-बार उठने बैठने में भी दर्द होना

  • जोड़ों में सूजन का लगातार बने रहना

  • हाथ-पैर की उंगलियों में जलन-दर्द महसूस करना

  • सुबह सवेरे जोड़ों में दर्द होना

युवाओं में अर्थराइटिस के कारण

युवाओं में अर्थराइटिस का दर्द 30 से 40 वर्ष की उम्र में शुरू हो जाता है.

हमारे एक्स्पर्ट डॉ प्रणव शाह ने बताया, "अर्थराइटिस यानी हड्डी के जोड़ खराब होने की समस्या हम युवाओं में भी देख रहे हैं. इसकी वजह से काफी नौजवानों को कम उम्र में हिप ज्वाइंट बदलने या ज्वाइंट की मेजर सर्जरी कराने की जरुरत पड़ रही है". इसके पीछे उन्होंने 3 प्रमुख कारण बताए.  

  • आहार- हमारा आहार जो विटामिन, कैल्शियम और मिनरल्स से भरपूर होना चाहिए वो बढ़ते जंक फूड कल्चर की वजह से नहीं हो रहा है.

  • एक्सरसाइज की कमी- हम आज के जमाने में जितनी करनी चाहिए उतनी एक्सरसाइज नहीं कर पा रहे, जिस वजह से हमारी हड्डियां कमजोर हो रही हैं. 

  • शरीर में टॉक्सिंस की मात्रा-  हमारे शरीर में जो टॉक्सिंस जा रहे हैं. फूड के माध्यम से, केमिकल्स के माध्यम से, कई बार टाक्सिक गैसेस या प्रदूषण के माध्यम से. ये सभी हमारे शरीर और हमारे ज्वाइंट में फ्री रेडिकल्स पैदा करके ज्वाइंटस को खराब कर रहे हैं.

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अर्थराइटिस से बचाव

फिजिकल ऐक्टिविटी बहुत महत्वपूर्ण है. जितना चलेंगे या एक्टिव रहेंगे अर्थराइटिस की समस्या उतनी कम होगी. अर्थराइटिस जोड़ों में होने वाली ऐसी बीमारी है, जो होने के बाद आजीवन रहती है.

  • सबसे पहले आपने खाने पीने की आदत पर ध्यान देना चाहिए. पौष्टिक आहार लें जिसमें विटामिन, कैल्शियम और मिनरल्स से भरपूर हों. 

  • रोजाना 30-35 मिनट एक्सरसाइज करें, खास कर हाथ और पैर मजबूत करने की एक्सरसाइज जरुर करें.

  • प्रिजर्वेटिव वाला खाना कम से कम खाएं.

कोरोना के मरीजों में अवस्कुलर नेक्रोसिस या एवीएन की समस्या और उसकी वजह से  अर्थराइटिस की समस्या बहुत से लोगों में देखी जा रही है.

“जिन्हें कोरोना हो चुका हो और उन्हें हिप पेन रहता हो तो अपने ऑर्थोपेडिक डॉक्टर से जरुर संपर्क करें. ये अवस्कुलर नेक्रोसिस की शुरुआत भी हो सकती है”.
डॉ प्रणव शाह, डायरेक्टर, हड्डी रोग, मारेंगो सिम्स अस्पताल, गुजरात

अर्थराइटिस का इलाज

एक बार अर्थराइटिस हो जाने पर उसे बदला नहीं जा सकता.

अर्थराइटिस के शुरुआती इलाज में एंटी इन्फ्लेमेटरी दवाइयों और इंजेक्शन का इस्तेमाल किया जाता है. अगर जोड़ों की सतह एकदम खराब हो गयी हो यानी कि जब दोनों हड्डियां आपस में घिस रही हों, तो सर्जरी की जरूरत पड़ती है.

अगर अर्थराइटिस है, तो डॉक्टर से संपर्क करें और जल्द से जल्द इलाज शुरू करें.

वजन कम रखें, क्योंकि ऐसे लोगों को अर्थराइटिस का दर्द कम होता है और उनके शरीर पर इसका बुरा प्रभाव भी कम पड़ता है.

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Published: 12 Oct 2022,01:57 PM IST

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