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इस हफ्ते पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम को लेकर ये दावा किया गया कि उन्होंने कुरान और मदरसों को लेकर टिप्पणी की थी कि इनसे धार्मिक असहिष्णुता बढ़ रही है. तो वहीं दूसरी ओर Al jazeera के नाम पर फेक स्क्रीनशॉट वायरल कर ये झूठा दावा भी किया गया है Afghanistan में मुल्ला बरादर को मार दिया गया है.
मस्जिद में नंदी की मूर्ति निकलने से जैसे झूठे दावे भी किए गए. हमने ऐसे ही कई फेक दावों का सच आप तक पहुंचाया है. एक नजर डालते हैं इस हफ्ते किए गए ऐसे ही फेक दावों और उनकी पड़ताल पर..
न्यूज ऑर्गनाइजेशन Al Jazeera के नाम पर एक ''रिपोर्ट'' का स्क्रीनशॉट सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. जिसके मुताबिक, Taliban के प्रवक्ता ने पुष्टि की है कि Afghanistan के कार्यवाहक उपप्रधानमंत्री मुल्ला अब्दुल गनी बरादर की काबुल में मौत हो गई है.
कीवर्ड सर्च करने पर हमें Al Jazeera की वेबसाइट पर ऐसी कोई रिपोर्ट नहीं मिली. इसके अलावा हमें तालिबान के प्रवक्ता सुहैल शाहीन का 13 सितंबर को किया गया एक ट्वीट मिला, जिसमें कहा गया था कि बरादर ने लोगों को ये बताने के लिए एक ऑडियो संदेश जारी किया है कि वो जीवित और स्वस्थ है.
रिपोर्ट्स के मुताबिक, बरादर ने एक वीडियो इंटरव्यू के जरिए इन अफवाहों को गलत बताया. ये इंटरव्यू बुधवार को पोस्ट किया गया था.
मतलब साफ है कि Al Jazeera न्यूज के नाम पर एक मनगढ़ंत स्क्रीनशॉट को शेयर किया जा रहा है. साथ ही, इसके जरिए ये झूठा दावा किया जा रहा है कि काबुल में अफगान डिप्टी पीएम मुल्ला बरादर को मार दिया गया है.
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सोशल मीडिया पर एक न्यूजपेपर की कटिंग शेयर हो रही है. कटिंग में लिखा हुआ है कि मदरसों में कुरान का इस्तेमाल धार्मिक असहिष्णुता पढ़ाने के लिए किया जाता है. साथ ही, उन पर प्रतिबंध लगाने की बात की जा रही है.
फोटो में ऊपर लिखी बात के लिए दिवंगत पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम को कोट किया गया है.
हालांकि, हमें ऐसा कोई भी पब्लिक रिकॉर्ड या रिपोर्ट नहीं मिली, जिससे ये पुष्टि होती हो कि डॉ. कलाम ने ऐसा बोला था. हमने कलाम के पोते से संपर्क किया. उन्होंने हमें बताया कि ''कलाम ने कभी भी धर्म में हस्तक्षेप नहीं किया.'' और ये दावा गलत है.
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सोशल मीडिया पर भगवान शिव की सवारी नंदी की मूर्ति की एक फोटो इस दावे से शेयर की जा रही है कि ये मूर्ति एक मस्जिद की खुदाई में मिली है.
हमने गूगल पर 'Namakkal Nandi temple' कीवर्ड्स की मदद से सर्च करके देखा. हमें न्यूज आउटलेट Puthiyathalaimurai में 5 सितंबर को पब्लिश एक आर्टिकल मिला.
रिपोर्ट के मुताबिक, तमिलनाडु के नमक्कल में सेलैंडियाम्मन मंदिर में पुनर्निर्माण कार्य के दौरान नंदी की मूर्ति मिली थी. आर्टिकल में बताया गया है, ''मंदिर के बाहर वाली दीवार बनाने के लिए खुदाई करते समय नंदी की एक प्राचीन मूर्ति जमीन में दबी हुई मिली थी.''
मतलब साफ है कि ये मूर्ति मस्जिद की खुदाई के दौरान नहीं, बल्कि तमिलनाडु के नमक्कल जिले के सेलैंडियाम्मन मंदिर में हो रहे पुनर्निर्माण कार्य के दौरान मिली थी. जिसे गलत दावे से शेयर किया जा रहा है.
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हालांकि, पड़ताल में हमने पाया कि वीडियो में दिख रहा शख्स तालिबान का मुख्य सचिव नहीं, बल्कि पाकिस्तानी स्कॉलर है, जिनका नाम खालिद महमूद अब्बासी है. हमने अब्बासी से भी बात की उन्होंने वीडियो के तालिबान से किसी भी तरह के संबंध से इनकार करते हुए बताया कि ये वीडियो पुराना है और साल 2019 का है. उन्होंने कहा "यह पूरी तरह से झूठा बयान है, कि मैं तालिबान का मुख्य सचिव हूं.
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सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है. जिसमें गणेश पूजा कर रहे कुछ लोगों को पुलिस वाले घसीटकर ले जाते देखे जा सकते हैं. दावा किया जा रहा है कि ये वीडियो गणेश चतुर्थी का है और केरल का है.
मामले से जुड़े कीवर्ड्स गूगल पर रिवर्स सर्च करने से हमें एशियानेट का 12 सितंबर का एक आर्टिकल मिला. इस आर्टिकल में में बताया गया है कि घटना हैदराबाद में पुराने शहर की है.
इसके अलावा, हैदराबाद पुलिस ने बताया कि हैदराबाद में विवादित जमीन पर गणेश मूर्ति की स्थापना करते लोगों को रोकने का पुलिस ने प्रयास किया था, जिसके बाद कुछ लोग जबरन मूर्ति स्थापित करने लगे.
मतलब साफ है- हैदराबाद में विवादित जमीन पर गणेश मूर्ति की स्थापना करते लोगों को रोकती पुलिस का वीडियो सोशल मीडिया पर केरल का बताकर गलत दावे से शेयर किया जा रहा है.
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