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ब्रिटेन (Britain) के पूर्व प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन (Boris Johnson) ने हाउस ऑफ कॉमंस (संसद) यानी सांसद पद से इस्तीफा दे दिया है. उन्होंने इसका ऐलान भारतीय समयानुसार शनिवार, 10 जून को किया. उन्होंने इस फैसले के जरिए ब्रिटेन के साथ ही पूरी दुनिया को चौंका दिया है. बोरिस जॉनसन Uxbridge और South Ruislip से सांसद के रूप में काम कर चुके हैं. आइए जानते हैं कि यह पूरा मामला क्या है और बोरिस जॉनसन ने इस्तीफा क्यों दिया?
बॉरिस जॉनसन को इस हफ्ते की शुरुआत में विशेषाधिकार समिति की जांच के नतीजे भेजे गए थे, जिसमें कहा गया था कि जांच में पाया गया है कि उन्होंने प्रधानमंत्री रहते हुए जानबूझकर संसद को गुमराह किया था. इसमें कहा गया था कि समिति एक मंजूरी की सिफारिश करेगी, जो एक रिकॉल (सांसद के पद के हटाना) याचिका को ट्रिगर करने के लिए पर्याप्त होगा और संभावित रूप से उप-चुनाव भी करवाना पड़ सकता है.
रिपोर्ट के मुताबिक अगर नजर डाली जाए तो जॉनसन पर इस तरह की चीजें और घोटाले करने के आरोप पहले भी लगते रहे हैं. 2019 में कंजर्वेटिव सदस्यों को भारी जीत दिलाने के बाद तीन साल बाद उनकी पार्टी द्वारा बेअदबी के आरोपों के बाद बाहर कर दिया गया था.
मेट्रोपॉलिटन पुलिस सर्विस ने जांच के बाद इस तरह की घटनाओं के सिलसिले में कुल 126 फाइन जारी किये, जिसमें एक नाम बोरिस जॉनसन का भी है.
पार्टीगेट स्कैंडल के बारे में बात करने के लिए हमें 2021 के दौर में चलना पड़ेगा. 30 नवंबर 2021 के The Daily Mirror अखबार में एक रिपोर्ट पब्लिश हुई थी. इसमें दावा किया गया था कि दिसंबर 2020 में 10 डाउनिंग स्ट्रीट सहित सरकारी कार्यालयों में क्रिसमस पार्टियां हुईं. यह वो दौर था, जब कोरोना वायरस की वजह से लंदन में लॉकडाउन लगाया गया था और इस तरह के किसी भी गैदरिंग पर बैन लगा दिया गया था.
शुरुआत में कहा जा रहा था कि कथित तौर पर लॉडाउन के दौरान दो या तीन पार्टियां हुई हैं लेकिन एक बार जब मीडिया ने खंगालना शुरू किया, तो यह सामने आया कि इस तरह के लगभग 15 अवैध कार्यक्रम आयोजित किए गए थे. इसके बाद लंदन की पुलिस हरकत में आई और उसने अपनी जांच के बाद जॉनसन समेत 83 लोगों पर जुर्माना लगाया.
The Guardian की एक रिपोर्ट के मुताबिक इन पार्टियों के बारे में चीजें सामने आने के बाद बवाल शुरू हुआ.
जॉनसन ने पहले स्वीकार किया था कि उन्होंने पार्टियों के बारे में संसद को गुमराह किया था, लेकिन उन्होंने जोर देकर कहा कि उन्होंने जानबूझकर ऐसा नहीं किया.
बोरिस जॉनसन ने अपने बयान में कहा कि जिस समिति की रिपोर्ट की डीटेल्स के बारे में अभी तक कुछ पता नहीं है, वह एक "कंगारू अदालत" थी, जो उनको "तथ्यों की परवाह किए बिना दोषी" सिद्ध करने पर तुली हुई थी. समिति की अध्यक्ष लेबर पार्टी की एमपी हैरियट हरमन उनके खिलाफ पूर्वाग्रह से भरी थीं.
बोरिस जॉनसन ने विशेषाधिकार समिति के बारे में कहा कि उन्होंने अभी भी सबूत का एक टुकड़ा पेश नहीं किया है कि मैंने जानबूझकर या लापरवाही से संसद को गुमराह किया है.
पार्टीगेट स्कैंडल के सुर्खियों में आ जाने के बाद खुद पर लगे आरोपों का बचाव करते हुए जॉनसन ने जोर देकर कहा कि मैंने झूठ नहीं बोला और मुझे विश्वास है कि समिति यह जानती है कि मेरे दिल में क्या है. लेकिन उन्होंने जान-बूझकर सच्चाई को अनदेखा किया है क्योंकि शुरू से ही उनका मकसद सच्चाई की तलाश करना नहीं था.
यह कॉमन्स (संसद) विशेषाधिकार समिति है, जो भारतीय संसद में लोकसभा की विशेषाधिकार समिति के जैसी ही है. यह समिति सात सदस्यों की एक क्रॉस-पार्टी कमेटी है. सदस्यों में से चार जॉनसन की कंजर्वेटिव पार्टी से हैं, दो विपक्षी लेबर से हैं, जिनमें चेयरवुमन हरमन शामिल हैं और एक सदस्य स्कॉटिश नेशनल पार्टी (SNP) से है.
पिछले साल 21 अप्रैल को हाउस ऑफ कॉमन्स (संसद) ने तथाकथित 'पार्टीगेट' घोटाले के बारे में अपने बयानों में सदन को गुमराह करने के लिए समिति द्वारा जॉनसन की जांच के लिए एक प्रस्ताव पारित किया था. इस प्रस्ताव में कोरोना के दौरान लॉकडाउन नियमों के उल्लंघन के आरोप शामिल थे.
The Guardian की रिपोर्ट के मुताबिक शुक्रवार, 9 जून को समिति के एक प्रवक्ता ने कहा कि पैनल "सोमवार (12 जून) को जांच पूरी करने और अपनी रिपोर्ट को तुरंत पब्लिश करने के लिए मीटिंग करेगा.
ब्रिटिश मीडिया की रिपोर्ट के मुताबिक समिति ने 10 दिनों से ज्यादा के वक्त के लिए बोरिस जॉनसन के संसद से निलंबन की सिफारिश की है, जिसका मतलब होगा कि वह अपनी सीट खो देंगे और इसके बाद उपचुनाव की नौबत आ जाती लेकिन जॉनसन ने इस्तीफा देकर पहले ही मामला बिल्कुल साफ कर दिया है.
जॉनसन के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए, समिति के प्रवक्ता ने कहा
बोरिस जॉनसन के इस्तीफा देने के बाद अब उनकी सीट Uxbridge और South Ruislip में उपचुनाव होगा.
इसके अलावा एक और सीट- Mid Bedfordshire के लिए भी उपचुनाव होने जा रहा है. इस सीट पर पूर्व संस्कृति सचिव नादिन डोरिस सांसद थीं, जो जॉनसन की सहयोगी हैं. बोरिस जॉनसन के इस्तीफा देने के कुछ ही घंटों बाद नादिन ने भी अपना पद छोड़ने का ऐलान कर दिया था.
बोरिस जॉनसन के सीट की बात करें तो 2019 के आम चुनाव में जॉनसन ने Uxbridge और South Ruislip में 50% से ज्यादा वोट हासिल किए थे. उन्हें 25,351 वोट मिले जबकि लेबर पार्टी के उम्मीदवार अली मिलानी को 18,441 वोट मिले थे.
दूसरी ओर अगर नादिन डोरिस के सीट मिड बेडफोर्डशायर की बात करें तो यहां पिछले आम चुनाव में, डोरिस ने 59.8% वोट हासिल किया था. लेबर पार्टी के रियानॉन मीड्स को 38,692 वोटों से हराया था.
बॉरिस जॉनसन ने अपने इस्तीफे के बयान में साफ किया है कि वह अब भी वापसी करने की उम्मीद करते हैं. उन्होंने कहा कि संसद छोड़ना बहुत दुखद है, कम से कम अभी के लिए. दूसरी ओर पर्यवेक्षकों का सुझाव है कि अगर जॉनसन एक सांसद के रूप में लौटते हैं, तो यह उम्मीद नहीं है कि वह फिर से अपने पार्टी के नेता चुने जाएंगे.
The Guardian की एक अन्य रिपोर्ट में कहा गया कि पूर्व पीएम बोरिस वफादार टोरी वोटरों के बीच काफी लोकप्रिय हैं. एक सर्वे के मुताबिक उनमें से 64 फीसदी वोटर्स उनका समर्थन करते हैं.
कई अन्य सर्वेक्षणों में पाया गया है कि वोटर्स अब जॉनसन पर भरोसा नहीं करते हैं क्योंकि उन्होंने कोरोना महामारी के दौरान डाउनिंग स्ट्रीट में सामाजिक समारोहों को स्वीकार करने से इनकार कर दिया था.
इस तरह से यह कहा जा सकता है कि अगर बोरिस जॉनसन फिर से वापसी भी करते हैं तो इस बात की बहुत हद तक आशंका है कि वो पहले जैसी राजनीतिक स्थिति में नहीं जा सकते हैं.
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