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बप्पी लाहिड़ी 'गाइड': गिनीज बुक, सियासत, हॉलीवुड, 1 दिन में गानों का रिकॉर्ड

Bappi Lahiri 'रॉकिंग दर्द-ए-डिस्को' फिल्म में लीड एक्टर थे, उन्होंने कई और फिल्मों में भी एक्टिंग की

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मशहूर सिंगर और कंपोजर बप्पी लाहिड़ी (Bappi Lahiri) का 69 की उम्र में मुंबई के एक अस्पताल में निधन हो गया. डिस्को किंग और गोल्डन मैन के नाम अपनी पहचान बनाने वाले बप्पी दा ने भारतीयों को डिस्को का चस्का लगाया. मिथुन के कई गानों को आवाज देने वाले बप्पी दा की जोड़ी लता मंगेशकर की बहन आशा भोंसले के साथ भी खूब जमी. आइए बप्पी लाहिड़ी के जीवन से जुड़ी कुछ अनसुनी, अनकही और कम सुनी बातों पर नजर डालते हैं....

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कौन सी बातें बप्पी दा को खास बनाती हैं?

  • बप्पी लाहिड़ी का असली नाम आलोकेश लाहिड़ी था.

  • महज 4 साल की उम्र में लता मंगेशकर के एक गीत में तबला बजाकर मशहूर हुए आलोकेश लाहिड़ी को सब प्यार से बप्पी बुलाने लगे थे.

  • किशोर कुमार बप्पी दा के मामा था, किशोद दा ने म्यूजिक इंडस्ट्री में बप्पी लाहिड़ी को काफी सपोर्ट किया था.

  • 1983 से 1985 तक 12 सुपरहिट सिल्वर जुबली फिल्मों के लिए कंपोज करके बप्पी दा ने एक रिकॉर्ड बनाया था.

  • 1986 में बप्पी लाहिड़ी ने 33 फिल्मों के लिए 180 से अधिक गाने रिकॉर्ड करने के लिए गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया था.

  • 1989 में बप्पी लाहिड़ी एकमात्र भारतीय संगीत निर्देशक थे, जिन्हें बीबीसी लंदन पर लाइव प्रदर्शन के लिए जोनाथन रॉस द्वारा आमंत्रित किया गया था.

  • बप्पी लाहिड़ी के प्रसिद्ध गानों में से जिमी जिमी आजा आजा हॉलीवुड फिल्म यू डोंट मेस विद द जोहान्स में प्रदर्शित हुआ था.

  • 1996 में पहली बार माइकल जैक्सन का लाइव शो भारत में हुआ था. तब बप्पी दा एकमात्र ऐसे म्यूजिक डायरेक्टर थे, जिन्हें शो के लिए आमंत्रित किया गया था.

  • बप्पी लाहिड़ी ने एक दिन में सबसे ज्यादा गाने रिकॉर्ड करने का रिकॉर्ड बनाया था.

  • 80 का दशक बप्पी लहरी की डिस्को धुनों पर नाचा और उन्हें डिस्को किंग बना दिया. बॉलीवुड में संगीत को डिजिटल करने वाले संगीतकारों में बप्पी का बड़ा योगदान है.

  • 1981 में आई फिल्म ज्योति का गाना 'कलियों का चमन' अमेरिकन टॉप-40 का हिस्सा बना था.

  • बप्पी लाहिड़ी ने बढ़ती का नाम दाढ़ी, ओम शांति ओम, मैं और मिसेज खन्ना और नयन मोनी जैसी कई फिल्मों गेस्ट अपीरियंस किया था.

  • रॉकिंग दर्द-ए-डिस्को जो एकमात्र ऐसी फिल्म है जिसमें उन्होंने फुल फ्लैज्ड भूमिका निभाई थी, वे इसके लीड एक्टर थे.

  • ‘दर्द-ए-डिस्को’ के बाद ‘बप्पी दा तुसी ग्रेट हो’ उनकी दूसरी फिल्म थी.

  • 2011 में 'द डर्टी पिक्चर' का 'उह ला ला' गाना से उन्हें एक बार फिर लोकप्रियता के आसमान पर बिठा दिया था.

  • बप्पी दा ने 2014 लोकसभा चुनाव में बीजेपी के टिकट पर चुनाव भी लड़ा था, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा था.

  • बप्पी दा का आखिरी गाना 2020 में टाइगर श्रॉफ की फिल्म बागी 3 में भंकास नाम से आया था.

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इतना सोना क्यों पहनते थे?

एक इंटरव्यू में बप्पी लाहिड़ी से जब यह पूछा गया कि सोना पहनने की पीछे की कहानी क्या है? तब उन्होंने कहा था कि वह अमेरिकन स्टार एल्विस प्रेस्ली के बड़े फैन थे. एल्विस को उन्होंने हर परफॉरमेंस के दौरान सोने की चेन पहने देखा था. उस समय बप्पी दा अपने स्ट्रगलिंग के दौर में थे और उन्होंने ठान लिया था कि जब वह कामयाब होंगे तो वो भी खूब सारा सोना पहनेंगे.

उनकी स्टाइल का मजाक उड़ाने वालों को बप्पी दा जवाब क्या था?

एक बार बप्पी दा से पूछा गया कि कुछ लोग आपकी फैशन व स्टाइल का मजाक बनाते हैं. इस पर उन्होंने कहा था कि "मजाक करने वाले धीरे-धीरे चुप हो जाते हैं. जब मैं लंदन जाता हूं तब ठंडी में सोने की चेन अंदर होती है और मैं बड़े-बड़े चश्मा में होता हूं. तब फैंस मुझसे पूछते हैं क्या आप बप्पी लहरी हैं? मैं कहता हूं हां, तब वे फिर पूछते कि सोना कहां है. मैं कहता ठंडी में कपड़े में अंदर है. मेरे सोने को देखकर लोग मुझे पहचानते हैं." वे आगे कहते हैं कि मैं एल्विस प्रेस्ली का बचपन से फैन रहा हूं उनकी पूजा करता था. उन्हीं से मुझे सोना पहनने की प्रेरणा मिली.

आलोचकों को लेकर कैसे थे बप्पी दा?

बीबीसी के एक इंटरव्यू में बप्पी दा ने कहा था कि उन्हें पता है कि कई लोग उनकी आवाज की आलोचना करते हैं. जनता को मेरी आवाज़ पसंद हैं भले ही लोग मेरी आवाज की कितनी भी आलोचनाएं करें. आखिर में तो जनता ही जनार्दन है. चाहे आप कितने भी बड़े सिंगर हो, जनता को पसंद नहीं आएंगे तो आप घर में बैठेगें. लोगों को गाना पसंद आना चाहिए और उपरवाले का आशीर्वाद होना चाहिए.

उन्हें किस बात की कसक थी?

अपने जन्मदिन पर बीबीसी को एक बार दिए गए इंटरव्यू में उन्होंने कहा था कि "मैंने कई अवार्ड जीते, पर ग्रैमी आजतक नहीं जीत पाया. मैंने अबतक पांच बार ग्रैमी में एंट्री भेजी है. इस बार एक एल्बम 'इंडियन मेलोडी' - जिसमे सूफी, लोक गीत और भारतीय संगीत शैली के दूसरे गीत मैंने पेश किए हैं - वो ग्रैमी गई है, उम्मीद करता हूं इस बार ग्रैमी जीत जाऊं."

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म्यूजिक इंडस्ट्री में इंट्री करते समय क्या बप्पी दा को भी दिक्कत हुई थी? सीनियर्स उनके साथ कैसा बर्ताव करते थे?

एक इंटरव्यू में इस प्रश्न का जवाब देते हुए बप्पी दा ने कहा था कि “जब मैं अपनी पहली रिकॉर्डिंग के स्टूडियो जाता था तब बहुत नर्वस था. मुझे बहुत घबराहट होती थी, लेकिन माता-पिता जोकि बहुत बड़े सिंगर थे, वे बहुत संबल देते थे. मैंने क्लासिकल जो कुछ भी सीखा वो मां से सीखा. रिकॉर्डिंग स्टूडियो में मेरे माता-पिता रहते थे. सबसे बड़ी नर्वसनेस मुझे जख्मी फिल्म की रिकॉर्डिंग के दौरान हुई थी, यहीं से बप्पी लहरी का उदय हुआ.”

“सीनियर्स मेरे इतने पीछे लग गए थे कि मैं बता नहीं सकता. मैंने और मेरे पिताजी ने क्या झेला मैं बयां नहीं कर सकता. इस पर कैमरे के पीछे बात करूंगा तो अच्छा रहेगा. मुझे बहुत दु:ख हुआ.”

संघर्ष के दिनों में सपोर्ट किसने किया?

बप्पी दा ने पुराने दिनों को याद करते हुए एक बार कहा था कि लता जी और किशोर कुमार जी ने उन्हें काफी सपोर्ट किया था. ये दोनों पिलर अगर सपोर्ट नहीं करते तो ये बप्पी लहरी आज यहां नहीं होता.

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बप्पी दा को मंगलसूत्र पहनने के लिए किसने कहा था?

बप्पी दा बाद में ढेर सारा सोना पहनने लगे थे. उस दौर में जब फिल्म इंडस्ट्री के दिग्गज एक्टर राजकुमार से सितारों की महफिल में जब उनकी पहली मुलाकात हुई तब की घटना को याद करते हुए बप्पी दा ने कहा था कि जब राजकुमार ने उनको इतना सारा सोना पहना हुआ देखा तो उन्होंने मजाक में कहा "वाह, शानदार. एक से बढ़कर एक जेवर. बस मंगलसूत्र की कमी रह गई है."

किस दशक के गाना उन्हें पसंद थे?

अपने इंटरव्यू में खुद के पसंदीदा दौर की बात करते हुए बप्पी दा ने कहा था कि 80 के दशक की तो बात ही कुछ और थी और आज का संगीत उसकी बराबरी नहीं कर सकता, संगीत के नजरिए से 80 का दौर बहुत शानदार था, जो अभी नहीं हैं. अभी का गाना आता है जाता है. लेकिन आप 80 के दशक का गाना भूल नहीं सकते.

गुजरे जमाने के बारे में बप्पी लाहिड़ी ने कहा था कि चाहे वो मेरे गाने हो या लक्ष्मीकांत प्यारे लाल जी के हो 'हीरो', 'कर्ज' ऐसी फिल्में हैं जिनके गाने आप भूल नहीं सकते. कल्याण जी-आनंद जी की लावारिस. इस तरह के गानों को आप भूल नहीं सकते.”

आज के दौर के म्यूजिक पर वे क्या कहते थे?

आईएएनएस को दिए गए इंटरव्यू में बप्पी दा ने कहा था कि "आज का संगीत मेरे लिए नया नहीं है. मैंने शास्त्रीय संगीत भी बनाया है, लेकिन मेरे डिस्को गीतों को अधिक लोकप्रियता मिली है. मैं कभी नहीं सोचता कि मेरे गाने पुराने हो गए हैं. मेरे गानों को आज भी रीक्रिएट किया जा रहा है. इसलिए मैं खुद को धन्य मानता हूं कि हूं कि मेरे गीत हमेशा से 'गोल्ड' रहे हैं."

आज के सिंगर को लेकर क्या कहते थे?

एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था कि उन्हें लगता है कि समस्या गायकों की नहीं, गीतकारों की है "आज हमें जो संगीत सुनने को मिलता है - अरिजीत सिंह, अंकित तिवारी, केके या शान जैसे गायक - उन सभी की अपनी अनूठी शैली है और वे खूबसूरती से गा रहे हैं, लेकिन वे (गीत) शब्दों से चूक जाते हैं."

"आज के गीतों के शब्द अर्थपूर्ण हो सकते हैं, लेकिन उनमें कैचिंग पावर की कमी है. हमारे युग के कुछ प्रसिद्ध गीतकार बचे हैं - जावेद अख्तर, गुलजार और कुछ अन्य."
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एक नजर बप्पी दा के परिवार और शुरुआती जीवन पर 

  • बप्‍पी लाहिड़ी का जन्‍म 27 नवंबर 1952 को जलपैगुड़ी पश्चिम बंगाल में हुआ था.

  • उनके पिता का नाम अपरेश लाहिड़ी और मां का नाम बांसुरी लाहिड़ी है.

  • बप्पी दा ने महज 3 साल की उम्र में तबला सीखना और संगीत की शिक्षा लेनी शुरू कर दी थी. उन्होंने अपने माता-पिता से ही संगीत की शिक्षा ली थी.

  • बप्पी लाहिड़ी को 19 साल की उम्र में पहली बार बंगाली फिल्म में गाने का मौका मिला था. बॉलीवुड में उन्हें पहला ब्रेक 1973 में फिल्म नन्हा शिकारी में मिला.

  • बप्पी दा ने बॉलीवुड में बहुत लंबी पारी खेली है. उन्होंने 500 से ज्यादा गाने कंपोज किए.

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