पिछले दो साल के दौरान नोटबंदी, जीएसटी की वजह से जिन कारोबारों को सबसे ज्यादा झटका लगा है, उनमें से लेदर इंडस्ट्री भी एक है. मवेशियों की बिक्री रोकने और गोरक्षकों के आतंक की वजह से भी चमड़ा कारोबारियों को नुकसान उठाना पड़ा है. यह इंडस्ट्री दोबारा पटरी पर लौटे और चमड़ा कारोबारियों के कारोबार को रफ्तार मिले इसके लिए वे निर्यात की बेहतर सुविधा चाहते हैं.
लेदर इंडस्ट्री को बूस्टर डोज मिला तो बढ़ेगा रोजगार
लेदर एक्सपोर्ट काउंसिल का कहना है कि चमड़ा कारोबारियों को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के इस बजट से काफी उम्मीदें हैं. इसलिए सरकार से लेदर प्रोडक्ट के एक्सपोर्ट को बढ़ावा देने के कदम उठाए जाने चाहिए. चूंकि लेदर इंडस्ट्री लेबर इंटेंसिव यानी ज्यादा रोजगार देने वाला सेक्टर है इसलिए सरकार को इसे और ज्यादा सहूलियत देने की कोशिश करनी होगी.
लेदर एक्सपोर्ट काउंसिल से जुड़े कारोबारियों का कहना कि इस बार वर्ल्ड मार्केट का सेंटिमेंट अच्छा है और एक्सपोर्ट में अच्छी संभावना दिख रही है. इसलिए सरकार की ओर से टैक्स छूट और निर्यात को बढ़ावा देने वाले कदमों का बजट में ऐलान होना चाहिए.
दरअसल मौजूदा वित्त वर्ष 2019-20 में अप्रैल से दिसंबर के दौरान लेदर और लेदर प्रॉडक्ट्स का निर्यात 7.55 फीसदी घटकर 3.6 अरब डॉलर का रह गया, जबकि 2018-19 में 5.7 अरब डॉलर का निर्यात हुआ था.
आयात ड्यूटी में छूट की मांग
गैर लेदर जूते-चप्पल के निर्यात में वृद्धि की काफी संभावना है. इसलिए लेदर एक्सपोर्ट काउंसिल ने सरकार से कच्चे माल के आयात ड्यूटी में छूट देने की मांग की है. अगर वैल्यू के हिसाब से देखें तो दुनिया भर में लेदर के जूते-चप्पल की सप्लाई में भारतीय एक्सपोर्ट की हिस्सेदारी 39 फीसदी है. वहीं क्वांटिटी के लिहाज से यह हिस्सेदारी 14 फीसदी है.
जहां तक घरेलू बाजार का सवाल है तो देश में लेदर प्रोडक्ट का बाजार बढ़ा है. लेकिन नोटबंदी, जीएसटी और मवेशियों की बिक्री जैसे कदमों से चमड़ा कारोबार को नुकसान पहुंचा है. इसका सबसे बड़ा असर रोजगार पर पड़ा है क्योंकि लेदर इंडस्ट्री में लोग बड़े पैमाने पर काम करते हैं. चमड़ा कारोबारियों को उम्मीद है कि इस बार सरकार इस इंडस्ट्री के लिए बड़े कदम उठाएगी.
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