आपकी जेब को एक और झटका लग सकता है. ATM से अपना ही पैसा निकालना महंगा हो सकता है. लाइव मिंट की रिपोर्ट के मुताबिक, प्राइवेट बैंक के ATM ऑपरेटर्स ने इंटर-बैंक ATM ट्रांजेक्शन पर चार्ज बढ़ाने की मांग की है. बताया जा रहा है कि नोटबंदी के बाद से ATM को ऑपरेट करना महंगा हो गया है वहीं उससे पैसे निकालने की संख्या में कमी आई है. ऐसे में प्राइवेट और पब्लिक सेक्टर के ऑपरेटर्स से बातचीत के बाद नेशनल पेमेंट कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) ने ये मांग रखी है.
क्या है इंटर-बैंक चार्ज?
इंटर बैंक फीस उस वक्त किसी बैंक से वसूला जाता है जब किसी एक बैंक का कस्टमर किसी दूसरे बैंक के एटीएम का इस्तेमाल कर रहा होता है. जैसे, अगर आपके पास एचडीएफसी बैंक का कार्ड है और आप कैनरा बैंक के एटीएम से पैसे निकाल रहे हैं तो वहां कैनरा बैंक, एचडीएफसी बैंक से इंटर-बैंक फीस वसूलता है. इस फीस के कारण किसी छोटे ATM नेटवर्क वाले बैंक पर ज्यादा बोझ बढ़ जाता है.
ऐसे में अगर बैंक इस लागत का कुछ हिस्सा कंज्यूमर पर डालता है, तो साफ है कि एटीएम ट्रांजेक्शन की लिमिट में फेरबदल हो सकती है. रिपोर्ट के मुताबिक, ये डिमांड को ज्यादातर प्राइवेट सेक्टर के बैंक ने रखी है. कुछ बड़े पब्लिक सेक्टर के बैंक इसके विरोध में भी हैं.
इस मांग के कारण क्या हैं?
नोटबंदी के बाद नए 500 और 2000 के नोटों के लिए एटीएम को रिकैलिब्रेट करना पड़ा. वहीं 2 हजार की कीमत के नोट आ जाने और डिजिटल ट्रांजेक्शन में इजाफा होने के बाद एटीएम इस्तेमाल में कमी आई है. साफ है कि ज्यादा खर्च के बावजूद, लोगों का एटीएम पर आना कम हुआ है. इससे ऑपरेटर्स का बोझ बढ़ा है.
दूसरा कारण ये बताय जा रहा है कि एटीएम की सुरक्षा और मॉनिटरिंग में खर्च तो बढ़ा है, लेकिन एटीएम के इस्तेमाल में इजाफा देखने को नहीं मिला है. अब एटीएम ऑपरेटर्स का मानना है कि इंटर-बैंक चार्ज के बाद कुछ हद तक बोझ को घटाया जा सकता है.
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