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बजट: क्रिप्टो में निवेश को किया उदास, जानिए पर्सनल फाइनेंस को लेकर क्या बदला

हमें लगा सरकार क्रिप्टो को भी म्यूचुअल फंड या स्टॉक की तरह ही ट्रीट करेगी- अनमोल गुप्ता

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बजट: क्रिप्टो में निवेश को किया उदास, जानिए पर्सनल फाइनेंस को लेकर क्या बदला
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वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (FM Nirmala Sitharaman) ने 1 फरवरी को बजट 2022 (Budget 2022) पेश किया. जिसमें इनकम टैक्स और पर्सनल फाइनेंस (Personal Finance) को लेकर कई घोषणाएं की गई हैं. बजट में इससे जुड़े एलानों में घर खरीदारों के लिए राहत से लेकर डिजिटल संपत्तियों पर टैक्स लगाने तक को शामिल किया गया है.

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वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पर्सनल फाइनेंस के संबंध में कई अपडेट किए हैं जिसका उद्देश्य इनकम टैक्स देने वालों के लिए चीजों को आसान बनाना है. लेकिन 2022 के इस आम बजट में कोई बड़ी घोषणा नहीं की गई है, कहीं कुछ फायदे हैं लेकिन कुछ जगह इस बजट ने निराश भी किया है.

बजट भाषण में घोषणा की गई कि अब आयकर रिटर्न में गलती सुधारने के लिए दो साल तक का वक्त मिलेगा इससे होगा ये कि संशोधित रिटर्न में अगर टैक्स की देनदारी आएगी तो टैक्सपेयर सामान्य दर से टैक्स चुका कर अपने आयकर का विवरण ठीक कर लेगा और उसे किसी भी तरह की पेनाल्टी नहीं लगेगी.

LTCG यानी लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स पर जो सरचार्ज लगता है वो इक्विटी के अलावा बाकी एसेट पर 37% लगता था जिसे घटाकर 15% कर दिया गया है. 10 फीसदी ईपीएफ योगदान राज्य सरकार द्वारा जो मिलता है उसे बढ़ाकर 14 फीसदी कर दिया है.

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वहीं डिजिटल असेट पर जो इनकम होगी उस पर 30 फीसदी टैक्स देना होगा, इन असेट को ट्रांसफर करने के लिए 1% टीडीएस भी देना होगा. सेबी (SEBI) रजिस्टर्ड इंवेस्टमेंट एडवाइजर जितेंद्र सोलंकी ने क्विंट हिंदी से कहा कि "इस तरह से डिजिटल असेट पर टैक्स लगाना खासकर क्रिप्टोकरंसी में निवेश करने वालों को डिसकरेज यानी उदास करेगा."

7 प्रॉस्पर के फाउंडर अनमोल गुप्ता ने क्विंट हिंदी से कहा, "हमें लगा कि सरकार क्रिप्टो को भी म्यूचुअल फंड या स्टॉक की तरह की ट्रीट करेगी लेकिन इस पर बहुत ज्यादा टैक्स लगा दिया है".

अनमोल गुप्ता ने कहा, "प्राइवेट सेक्टर में काम कर रहे लोगों के लिए कोई फायदा नहीं दिया गया है. इस बजट में कोई बड़ा बदलाव नहीं है. हमें लगा था कि स्टैंडर्ड सीमा को बढ़ा कर एक लाख किया जाएगा या 80C की लिमिट को भी बढ़ा कर दो या 2.5 लाख किया जाएगा जो पिछले 7-8 साल से नहीं बदला गया. "

बजट को लेकर जितेंद्र सोलंकी ने कहा कि "टैक्स स्लैब में बदलाव न कर अच्छा किया गया इससे पता चलता है कि हम 'रेशनल टैक्स रिफॉर्म' की ओर बढ़ रहे हैं जहां टैक्स में बार बार बदलाव न कर स्थिरता लाई जाती है ताकि लोग अगले 5-10 साल की प्लानिंग बिना टैक्स में बदलाव की चिंता किए कर सकते हैं."

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