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2000 रुपये तक का कैशलेस लेनदेन फ्री, सरकार चुकाएगी MDR चार्ज  

डिजिटल ट्रांजैक्शन को बढ़ावा देने के लिए सरकार चुकाएगी मर्चेंट डिस्काउंट रेट  

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अब डेबिट कार्ड से किसी दुकान पर 2000 रुपये तक की खरीदारी करने पर ग्राहकों को मर्चेंट डिस्काउंट रेट (एमडीआर) के तौर पर कोई एक्स्ट्रा चार्ज नहीं चुकाना पड़ेगा. केंद्र सरकार अगले 2 साल के लिए एमडीआर चार्ज खुद ही चुकाएगी.

डिजिटल ट्रांजैक्शन को बढ़ावा देने के लिए सरकार की तरफ से उठाया जा रहा ये कदम अगले साल 1 जनवरी से लागू होगा. शुक्रवार को केंद्रीय कैबिनेट की मीटिंग में इस फैसले पर मुहर लगा दी गई.

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केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने बताया कि सरकार बैंकों और कारोबारियों को MDR का भुगतान करेगी. डेबिट कार्ड, आधार के जरिए पेमेंट, यूपीआई (भीम ऐप) से पेमेंट करने पर सरकार ये राशि वापस करेगी.

उन्होंने जानकारी दी कि इस सिस्टम को ठीक से लागू करने के लिए एक कमेटी भी बनाई गई है. साथ ही बताया कि देश में डिजिटल ट्रांजैक्शन में लगातार बढ़ोतरी हुई है.

अप्रैल से सितंबर 2017 में सिर्फ डेबिट कार्ड से 2 लाख 18 हजार, 700 करोड़ का कैशलेस लेनदेन हुआ है. अगर यही रफ्तार रही तो इस फाइनेंशियल इयर के अंत तक कैशलेस लेनदेन 4 लाख 37 हजार करोड़ का हो जाएगा.
रविशंकर प्रसाद
2012 से भारतीय रिजर्व बैंक ने 2,000 रुपये के डेबिट कार्ड ट्रांजैक्शन पर 0.75% MDR तय कर रखा है, जबकि 2,000 से ऊपर के ट्रांजैक्शन पर 1% MDR लिया जाता है. पिछले दिनों ही रिजर्व बैंक ने MDR रेट में बदलाव किया है, जो 1 जनवरी 2018 से लागू होगा.

क्या है एमडीआर

एमडीआर यानी मर्चेंट डिस्काउंट रेट. ये वो रेट है, जो बैंक किसी भी दुकानदार से कार्ड पेमेंट सर्विस के लिए लेता है. ज्यादातर कारोबारी एमडीआर चार्जेज का भार कस्टमर्स पर डालते हैं. बैंकों को दी जाने वाली फीस का कुछ हिस्सा वो कस्टमर्स से वसूलते हैं.

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