Bitcoin की कीमत में फिर बड़ी वॉलिटेलिटी देखी जा रही है. 14 अप्रैल को नया शिखर बनाने के बाद अब यह क्रिप्टोकरेंसी अपने उच्चतम स्तर से काफी नीचे व्यापार कर रही है. इससे पहले फरवरी में भी शिखर प्राप्त करने के बाद बिटकॉइन केवल एक हफ्ते में 26% टूटा था. आइए समझते हैं इस बार इसकी कीमत में कमजोरी की क्या वजह है?
गिरावट के बावजूद Bitcoin का भाव वर्ष के शुरुआत की तुलना में 84% ज्यादा है.
केवल 8 दिनों में 11,000 डॉलर से ज्यादा गिरा बिटकॉइन:
Bitcoin की कीमत 14 अप्रैल को 64,863.10 US डॉलर के सर्वकालिक उच्चतम स्तर पर पहुंच गई थी. वर्तमान में यह करीब 53,520 डॉलर है. इस तरह केवल 8 दिनों में ही विश्व की सर्वाधिक प्रचलित क्रिप्टो करेंसी में 11,333 डॉलर या 17.5% की गिरावट दिखी है. बुधवार को नई ऊंचाई छूने के बाद रविवार को बिटकॉइन एक ही दिन में 14% के करीब गिरा. यह फरवरी के बाद एक दिन में इस करेंसी में सबसे बड़ी इंट्रा-डे गिरावट थी. गिरावट से बिटकॉइन अपने 3 हफ्तों के न्यूनतम स्तरों पर भी पहुंच गया.
क्या है कीमत में गिरावट की वजह?
रिकॉर्ड स्तर को छूने के बाद बिटकॉइन कीमत में गिरावट की कई वजहें रही. निवेशकों की इन चिंताओं की वजह से क्रिप्टो मार्केट प्रेशर में दिख रहा है.
चीन के शिनजियांग क्षेत्र में पावर कट की वजह से क्रिप्टो माइनिंग की रफ्तार पर बड़ा असर पड़ा. विश्व की 20% से ज्यादा क्रिप्टो माइनिंग केवल इस क्षेत्र में होती है. निवेशकों को इसकी खबर के बाद सेल-ऑफ में तेजी देखी गई. हालांकि जानकार कहते हैं कि बिटकॉइन नेटवर्क की क्षमता पर इन पावर कट का कोई बड़ा असर नहीं है.
तुर्की सेंट्रल बैंक द्वारा देश में क्रिप्टोकरेंसी के भुगतान के माध्यम के तौर पर बैन की खबर ने भी इन्वेस्टर्स को चिंतित किया. कयास लगाए जा रहे हैं कि अन्य देशों द्वारा भी ऐसे कदम उठाए जा सकते हैं.
रविवार की बड़ी इंट्रा-डे गिरावट के पीछे US ट्रेजरी द्वारा क्रिप्टोकरेंसी व्यापार में संलग्न फाइनेंशियल कंपनियों के लिए मनी लौंडरिंग की संभावित कारवाई की खबर रही. इस खबर की पुष्टि नहीं है, लेकिन एक्सपर्ट्स के मुताबिक बाजार पर इसका बड़ा असर हुआ.
भारत में क्रिप्टो करेंसी बैन को लेकर CNBC ने एक महीने पुराने आर्टिकल को फिर से प्रकाशित किया. इस आर्टिकल को अपडेट के तौर पर लिया गया और इन्वेस्टर्स ने सावधानी बरती.
बिटकॉइन के निवेशकों और इंस्टिट्यूशनल इन्वेस्टर्स के बीच लगातार बढ़ती स्वीकार्यता के बावजूद काफी जानकार इसे ओवरवैल्यूड मानते हैं. ऐसे में उच्च स्तरों पर मुनाफे के लिए निवेशकों द्वारा बड़ी प्रॉफिट बुकिंग देखी गई.
कॉइनबेस की लिस्टिंग ने पहुंचाया था रिकॉर्ड स्तर पर:
क्रिप्टो एक्सचेंज 'कॉइनबेस' के अच्छे लिस्टिंग की खबर ने बिटकॉइन को अपने नए रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचने में मदद दी थी. नैस्डैक पर लिस्टिंग के साथ ही कॉइनबेस का वैल्यूएशन पहली बार 100 बिलियन डॉलर के ऊपर पहुंच गया. जानकार मानते हैं कि Coinbase की अच्छी लिस्टिंग से निवेशकों के बीच क्रिप्टोकरेंसी की स्वीकार्यता को और दम मिला है और इससे क्रिप्टोकरेंसी के पक्ष में माहौल बनेगा.
इथेरियम, बाइनेंस कॉइन, इत्यादि भी वॉलिटेलिटी का शिकार:
केवल बिटकॉइन ही नहीं, अन्य क्रिप्टोकरेंसी ने भी बीते दिनों में लगातार बुलिश सेंटीमेंट की सवारी की है. बिटकॉइन के बाद सबसे ज्यादा प्रचलित क्रिप्टोकरेंसी इथेरियम ने केवल 6 दिन पहले यानी 16 अप्रैल को ही अपना किसी भी समय का शिखर स्तर हासिल किया था. इसी तरह तीसरे नंबर पर आने वाले बाइनेंस कॉइन ने भी 10 दिनों पहले ही अपना उच्चतम स्तर हासिल किया. हालांकि आखिरी हफ्ते में बिटकॉइन की तरह ही इन क्रिप्टो करेंसी के भाव में भी बड़ी गिरावट दिखी है. 22 अप्रैल की सुबह अपने शिखर से इथेरियम 6.43% जबकि बाइनेंस कॉइन 15.14% नीचे व्यापार कर रहा है.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)