बी कैटेगरी के बिजनेस स्कूलों में पढ़ने वाले सिर्फ 20 फीसदी स्टूडेंट्स को ही नौकरियों के ऑफर मिल रहे हैं. एसोचैम के मुतिबक इस साल इन बिजनेस स्कूलों के स्टूडेंट्स को प्लेसमेंट मिलने में काफी दिक्कतें उठानी पड़ीं.
एसोचैम ने कहा है कि नोटबंदी, सुस्त बिजनेस माहौल और नए प्रोजेक्ट के लटकने से बी कैटेगरी के बिजनेस स्कूलों के स्टूडेंट्स के पास रोजगार के अवसर कम हो गए हैं. इस साल इन स्कूलों के कैंपस प्लेसमेंट में काफी गिरावट देखेने को मिली. इस साल प्लेसमेंट दर सिर्फ 30 फीसदी रही.
एसोचैम ने कहा है कि इन बिजनेस स्कूलों और इंजीनियरिंग कॉलेजों में जो सैलरी पैकेज ऑफर किया जा रहा है वह पिछले साल के मुकाबले 40 से 45 फीसदी कम है. एसोचैम एजुकेशन काउंसिल ने कहा कि नौकरियों के ऑफर में कमी को देखते हुए कुछ पैरेंट्स और स्टूडेंट्स सोच रहे हैं उनके कई साल और कई लाख रुपये बर्बाद हो गए. अब तक 400 ऐसी संस्थाएं बंद हो चुकी हैं क्योंकि इन्हें पर्याप्त स्टूडेंट्स नहीं मिल रहे हैं.
वर्ष 2015 से लेकर अब तक बड़े शहरो मे 250 से ज्यादा बिजनेस स्कूल बंद हो गए हैं. इनमें दिल्ली-एनसीआर, मुंबई, बेंगलुरू, अहमदाबाद, कोलकाता, लखनऊ और देहरादून के बिजनेस स्कूल शामिल हैं. लगभग 99 बिजनेस स्कूल वजूद की लड़ाई लड़ रहे हैं और कभी भी बंद हो सकते हैं.
दरअसल, टियर-टू और टियर-3 मैनेजमेंट स्कूलों में एजुकेशन क्वालिटी अच्छी नहीं है. इसकी असली वजह स्कूलों की ओर से सिर्फ सीट भरने पर दिया जाने वाला जोर है. वो स्टूडेंट्स को एडमिशन देते वक्त उनकी काबिलियत पर ध्यान नहीं देते.
एसोचैम के मुताबिक इन्फ्रास्ट्रक्चर में सुधार, फैकल्टी की ट्रेनिंग, इंडस्ट्री में काम करने के अनुभव, रिसर्च पर जोर और नॉलेज क्रिएशन से स्टूडेंट्स रोजगार के काबिल बन सकते हैं.
इनपुट : पीटीआई
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)