वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण इस हफ्ते पेश किए जाने वाले बजट में मिडिल क्लास को आयकर में छूट के साथ प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना की तरह स्वास्थ्य बीमा की सौगात भी दे सकती हैं. आर्थिक मामलों के जानकारों की मानें तो आगामी बजट में मांग और खपत बढ़ाने के लिए सरकार पांच लाख रुपये तक की आय को करमुक्त कर सकती है.
अर्थशास्त्रियों के मुताबिक, इस समय अर्थव्यवस्था में सबसे ज्यादा मांग और खपत बढ़ाने की जरूरत है. मांग बढ़ने से ही आर्थिक गतिविधियों में तेजी आएगी. इसके लिए पूंजीगत खर्च बढ़ाने के साथ ही आम आदमी की जेब में ज्यादा पैसा होना जरूरी है.
सरकार पूंजीगत खर्च के मोर्चे पर कई ढांचागत योजनाओं पर काम कर रही है. इसके साथ ही आम नौकरीपेशा लोगों को आयकर में राहत दी जानी चाहिए ताकि उनकी जेब में खर्च करने के लिए ज्यादा पैसा बचे.
बेंगलुरु स्थित इंस्टिट्यूट फॉर सोशल एंड इकनॉमिक चेंज के प्रोफेसर डॉ. प्रमोद कुमार ने कहा, ''अर्थव्यवस्था में सुस्ती दूर करने के लिए सरकार को सुधारों को बढ़ाने के साथ ही रोजगार पैदा करने के उपाय करने और पूंजीगत खर्च बढ़ाने की जरूरत है. इससे लोगों की जेब में ज्यादा पैसा आएगा और मांग बढ़ेगी.'' उन्होंने कहा, ‘‘मिडिल क्लास खासकर नौकरीपेशा वाले लोग निश्चित रूप से आयकर में कटौती की उम्मीद कर रहे हैं. इस समय अर्थव्यवस्था में मौजूदा नरमी का कारण मांग में कमी है न कि आपूर्ति. ऐसे में मूल व्यक्तिगत आयकर छूट सीमा को मौजूदा 2.50 लाख रुपये से बढ़ाकर 5 लाख रुपये कर मिडिल क्लास को कर राहत दी जा सकती है.’’
हैदराबाद स्थित इंस्टिट्यूट ऑफ एडवांस्ड स्टडीज इन कम्पलेक्स चॉइसेस (आईएएससीसी) के प्रोफेसर और अर्थशास्त्री अनिल सूद ने भी कहा है,
‘’सैलरी वाले लोगों पर डायरेक्ट टैक्स का बोझ कम किया जाना चाहिए. स्वास्थ्य और परिवहन क्षेत्र में खर्च बढ़ने का बचत पर असर पड़ रहा है इसलिए बचत दर और मांग बढ़ाने के लिए वित्त मंत्री को व्यक्तिगत आयकर में राहत पहुंचानी चाहिए.’’अनिल सूद, अर्थशास्त्री
हालांकि, पिछले बजट में वित्त मंत्री ने करदाताओं को बड़ी राहत देते हुए उनकी पांच लाख रुपये तक की कर योग्य आय होने पर उन्हें आयकर से पूरी तरह छूट दे दी थी, लेकिन आयकर स्लैब में कोई बदलाव नहीं किया था. इस बार विशेषज्ञों का मानना है कि आयकर स्लैब में बदलाव किया जा सकता है और पांच लाख रुपये तक की आय को करमुक्त किया जा सकता है.
कुमार ने यह भी कहा है कि आयकर कानून की धारा 80 सी के तहत जीवन बीमा प्रीमियम, ट्यूशन फीस और दूसरी बचत पर मौजूदा डेढ़ लाख रुपये की सीमा को बढ़ाकर ढाई लाख रुपये करने की जरूरत है. इससे सैलरी वाले तबके की जेब में ज्यादा पैसा बचेगा और अर्थव्यवस्था में मांग बढ़ेगी.
इससे राजकोषीय घाटा पर पड़ने वाले असर के बारे में पूछे जाने पर कुमार ने कहा, ‘‘फिलहाल अर्थव्यवस्था में उपभोक्ता मांग और निवेश में जो नरमी है, उससे निपटने की चुनौती है और इसके लिए मांग बढ़ाना जरूरी है. यह तभी होगा जब लोगों की क्रयशक्ति बढ़ेगी. ऐसे में वित्त मंत्री इस साल राजकोषीय घाटे को कड़ाई से पालन करने में थोड़ी ढील दे सकती हैं और खर्च बढ़ा सकती हैं.’’
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण एक फरवरी को 2020-21 का आम बजट पेश करेंगी. सुस्त पड़ती अर्थव्यवस्था को फिर से तेजी के रास्ते पर लाना उनके सामने बड़ी चुनौती होगी. चालू वित्त वर्ष की सितंबर में खत्म दूसरी तिमाही में आर्थिक वृद्धि दर कम होकर 4.5 फीसदी रह गई. पूरे साल की वृद्धि दर पांच फीसदी रहने का अनुमान है जो कि पिछले 11 साल में सबसे कम होगी.
बजट में मिडिल क्लास को प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (आयुष्मान भारत) की तर्ज पर स्वास्थ्य बीमा का भी लाभ मिल सकता है. फिलहाल इसमें देश के करीब 10.74 करोड़ गरीब परिवारों को सरकारी और निजी अस्पतालों में गंभीर बीमारी के इलाज के लिए 5 लाख रुपये का स्वास्थ्य बीमा मिलता है. श्रमिक संगठन भारतीय मजदूर संघ के महासचिव बृजेश उपाध्याय ने कहा, ‘‘हम लंबे समय से सभी के लिए पेंशन और स्वास्थ्य बीमा सुविधा उपलब्ध कराए जाने की मांग कर रहे हैं. सरकार गरीब तबके के लिए स्वास्थ्य बीमा योजना चला रही है इस बजट में इस योजना का लाभ मिडिल क्लास को भी दिया जा सकता है.’’
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