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ICICI-VIDEOCON लोन मामले में चंदा कोचर पर FIR, धोखाधड़ी के आरोप

वीडियोकॉन के प्रमोटर वेणुगोपाल धूत पर आरोप है कि ICICI Bank से कर्ज लेकर उन्होंने दीपक कोचर की कंपनी में invest किया

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केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने गुरुवार को 3,250 करोड़ रुपये के आईसीआईसीआई बैंक-वीडियोकॉन लोन मामले में अनियमितताओं के आरोप में चंदा कोचर, उनके पति दीपक कोचर और वीडियोकॉन ग्रुप के एमडी पर एफआईआर दर्ज की है. सीबीआई ने आईसीआईसीआई बैंक की पूर्व सीईओ चंदा कोचर के पति दीपक कोचर से जुड़े मामले में मुंबई और औरंगाबाद में वीडियोकॉन के मुख्यालयों पर छापेमारी भी की है. सीबीआई के सूत्रों ने छापेमारी की पुष्टि की है.

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वीडियोकॉन हेडक्वार्टर में गुरुवार को शुरू हुई छापेमारी

सीबीआई सूत्रों को मुताबिक वीडयोकॉन के मुख्यालयों में गुरुवार सुबह तलाशी शुरू हुई थी. साथ ही चंदा कोचर के पति दीपक कोचर के पति की कंपनी Nupower और एक और कंपनी Supreme power में भी छापेमारी की गई है.

वीडियोकॉन के प्रमोटर वेणुगोपाल धूत पर आरोप है कि उन्होंने दीपक कोचर की कंपनी Nupower में करोड़ों रुपये निवेश किए थे. यह निवेश वीडियोकॉन ग्रुप को आईसीआईसीआई बैंक से 2012 में मिले 3250 करोड़ के लोन के बाद हुआ था. चंदा कोचर उस वक्त बैंक की सीईओ थीं.

सीबीआई ने इस मामले में वेणुगोपाल धूत, दीपक कोचर और दूसरे अनाम लोगों को खिलाफ पिछले साल मार्च में पीई (प्रारंभिक जांच) दाखिल किया था. क्रिमिनल जांच के लिए एफआईआर दर्ज होने से पहले पीई दाखिल की जाती है. एजेंसी ने अब पीई को एफआईआर में बदल दिया है.

पहले तो आईसीआईसीआई बैंक इस सौदे में चंदा कोचर की भूमिका स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं था. लेकिन शेयर होल्डरों के दबाव और बोर्ड में ही चंदा कोचर पर उठे सवाल ने बैंक को जांच के लिए एक स्वतंत्र कमेटी बनाने के लिए मजबूर किया.

क्या है वीडियोकॉन मामला ?

दिसंबर 2008 में वीडियोकॉन समूह के मालिक वेणुगोपाल धूत ने आईसीआईसीआई की सीईओ चंदा कोचर के पति दीपक कोचर और उनके दो रिश्तेदारों के साथ मिलकर एक कंपनी बनाई थी. इसके बाद कंपनी को 64 करोड़ का लोन दिया गया. लोन देने वाली कंपनी वेणुगोपाल धूत की थी. जिसे बाद में इस कंपनी का मालिकाना हक महज 9 लाख रुपये में उस ट्रस्ट को सौंप दिया गया, जिसकी कमान चंदा कोचर के पति दीपक कोचर के हाथों में थी.

दीपक कोचर को इस कंपनी का ट्रांसफर वेणुगोपाल द्वारा आईसीआईसीआई बैंक की तरफ से वीडियोकॉन ग्रुप को 3,250 करोड़ रुपये का लोन मिलने के 6 महीने के बाद किया गया. इस लोन का करीब 86 फीसदी (2,810 करोड़ रुपये) राशि को जमा नहीं किया गया. 2017 में वीडियोकॉन के अकाउंट को बैंक ने एनपीए घोषित कर दिया.

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