GST काउंसिल की 31वीं बैठक में एक बार फिर टैक्स में फेरबदल किए गए हैं. सिनेमा टिकट, टीवी और मॉनिटर स्क्रीन, संगमरमर के दाने और पावर बैंक समेत 23 वस्तुओं पर जीएसटी दर में कमी का फैसला किया. इसी के साथ अब जीएसटी का 28 प्रतिशत स्लैब सिर्फ 28 लग्जरी आइटम्स पर ही लागू होगा. बार-बार जीएसटी की दरों में फेरबदल पर वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि अगर फौरन हम दरों को कम कर देते तो उसका असर राजस्व पर पड़ता और उससे केंद्र और राज्य सरकारों के सामाजिक क्षेत्र के खर्चों को कम करना पड़ता. उन्होंने कहा कि सबसे व्यवहारिक रास्ता यही था कि राजस्व बढ़ने का इंतजार किया जाए और दरों को धीरे-धीरे कम किया जाए.
इन चीजों पर टैक्स में मिली छूट
28% से घटकर 18% के टैक्स स्लैब में आई चीजें
28% से घटकर 18% के टैक्स स्लैब में आई चीजें
18% से घटकर 12% के टैक्स स्लैब में आई चीजें
18% से घटकर 5% के टैक्स स्लैब में आई चीज
12% से घटकर 5% के टैक्स स्लैब में आई चीजें
12% से जीरो टैक्स स्लैब में आई चीज
5% से जीरो टैक्स स्लैब में आई चीज
अगला लक्ष्य सीमेंट पर जीएसटी कम करना: अरुण जेटली
जीएसटी काउंसिल की बैठक के बाद वित्त मंत्री करुण जेटली ने कहा, ‘‘ जीएसटी की दरों को तर्कसंगत बनाना एक सतत प्रक्रिया है. 28 प्रतिशत की दर का धीरे-धीरे कम कर दिया जाएगा. अगला लक्ष्य सीमेंट पर जीएसटी में कमी करना है.”
वित्त मंत्री ने बताया कि सिनेमा के 100 रुपये तक के टिकटों पर अब 18 प्रतिशत की बजाय 12 प्रतिशत की दर से और 100 रुपये से ऊपर के टिकट पर 28 प्रतिशत की बजाय 18 फीसदी की जीएसटी लगेगा. वस्तुओं पर जीएसटी की नई दरें एक जनवरी, 2019 से लागू कर दी जाएंगी.
कई सर्विसेज पर भी जीएसटी रेट घटाए गए
- 100 रुपये से महंगे सिनेमा टिकट पर 18 फीसदी जीएसटी लगेगा, पहले 28 फीसदी लगता था
- 100 रुपये से कम के सिनेमा टिकट पर पहले 18 फीसदी जीएसटी लगता था, अब 12 फीसदी लगेगा
- अब धार्मिक हवाई सेवाओं पर सिर्फ 5 फीसदी जीएसटी लगेगा
- लॉटरी और डिजास्टर सेस पर टैक्स स्लैब का फैसला अगली बैठक में होगा.
कॉन्फेडरेशन आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने शनिवार को जीएसटी कॉउन्सिल द्वारा विभिन्न वस्तुओं की जीएसटी दरों में कटौती किये जाने का स्वागत किया. कैट ने कहा कि यह कर ढाँचे को सुधारने और उसमें विसंगतियों को कम करने की दिशा में एक ठोस कदम है. कैट के राष्ट्रीय महामंत्री श्री प्रवीन खंडेलवाल ने कहा की जीएसटी की दरों में कमी होने से एक ओर जहां मैन्युफैचरिंग की लागत में कमी आएगी वहीं दूसरी ओर देश भर में उपभोक्ताओं को भी सस्ती दरों पर चीजें उपलब्ध होंगी.
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