अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (IMF) ने भारत समेत वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए वृद्धि के अपने अनुमान को संशोधित किया है. इसके साथ ही उसने व्यापार व्यवस्था में सुधार के बुनियादी मुद्दों को भी उठाया है .
IMF के ताजा अनुमान के मुताबिक, 2019 में वैश्विक वृद्धि दर 2.9 फीसदी, 2020 में 3.3 फीसदी और 2021 में 3.4 फीसदी रहेगी.
मुद्राकोष ने भारत के आर्थिक वृद्धि के अनुमान को कम कर 2019 के लिए 4.8 फीसदी कर दिया है. जबकि 2020 और 2021 में इसके क्रमश: 5.8 फीसदी और 6.5 फीसदी रहने का अनुमान जताया है.
विश्व आर्थिक मंच (WEF) के सालाना शिखर सम्मेलन के उद्घाटन से पहले मुद्राकोष की प्रबंध निदेशक क्रिस्टलीना जॉर्जिवा ने कहा कि कोष का नीति निर्माताओं को बस यही सरल सा सुझाव है कि वे वो सब करते रहें जो नतीजे दे सके, जिसे व्यवहार में लाया जा सके. उन्होंने आगाह करते हुए कहा कि अगर वृद्धि में फिर से नरमी आती है तो हर किसी को समन्वित तरीके से फिर से और तत्काल कदम उठाने के लिए तैयार रहना चाहिए.
IMF ने कहा कि हम अभी बदलाव बिंदु पर नहीं पहुंचे हैं यही वजह है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए वृद्धि परिदृश्य को मामूली कम किया जा रहा है.
जॉर्जिवा ने कहा कि व्यापार प्रणाली में सुधार के बुनियादी मुद्दे अभी भी बने हुए हैं और हमने देखा है कि पश्चिम एशिया में कुछ घटनाक्रम हुए हैं.
IMF की मुख्य अर्थशास्त्री गीता गोपीनाथ ने कहा कि अमेरिका-चीन व्यापार समझौते पर मामला आगे बढ़ने के साथ अक्टूबर से जोखिम आंशिक रूप से कम हुए हैं. उन्होंने कहा कि मुख्य रूप से भारत के आर्थिक वृद्धि अनुमान में कमी के कारण दो साल की वृद्धि दर में 0.1 फीसदी और उसके बाद के साल के लिए 0.2 फीसदी की कमी की गई है. इसका मुख्य कारण गैर-बैंकिंग वित्तीय क्षेत्र में समस्या और गांवों में आय वृद्धि में नरमी है.
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