अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दामों में गिरावट के बावजूद 15वें दिन भी पेट्रोल और डीजल के दाम में इजाफा हुआ. केंद्र सरकार भले ही इस पर सेंट्रल एक्साइज कम करने के लिए कोई कदम उठाती नहीं दिख रही लेकिन वह इसे जीएसटी के दायरे में लाने का आश्वासन जरूर दे रही है. पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने सोमवार को कहा कि पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के तहत लाने की उसकी लांग टर्म स्ट्रेटजी है. सरकार ने कई बार यह बात कही है. हालांकि वह देखेगी कि इस रणनीति पर कैसे आगे बढ़ा जा सकता है.
प्रधान ने पत्रकारों से कहा
देश में पेट्रोल-डीजल की कीमतों में तीन वजहों से बढ़ोतरी हुई है- अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम में बढ़ोतरी, डॉलर की तुलना में रुपये के मूल्य में उतार-चढ़ाव और टैक्स की वजह से. अब सरकार इसका कोई स्थायी हल ढूंढ़ना चाहती है. सरकार इस पर एक व्यापक रणनीति बना रही है और इसके तहत पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स को जीएसटी के दायरे में लाया जा सकता है. देखिये चीजें कैसे आगे बढ़ती है.
15वें दिन भी पेट्रोल-डीजल महंगा
इधर, अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम में हाल में आई तेजी नरम पड़ने के बावजूद देश में लगातार 15वें दिन पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ गए. रविवार को दिल्ली में पेट्रोल की कीमत 78.27 रुपये थी. मुंबई में इसकी कीमत 86.08 रुपये पहुंच गई. कोलकाता में पेट्रोल 80.91 रुपये पर पहुंच गया जबकि चेन्नई में इसकी कीमत 81.26 रुपये प्रति लीटर रही. दिल्ली में डीजल की कीमत 69.17 रुपये प्रति लीटर थी जबकि मुंबई में इसके दाम 73.64 रुपये प्रति लीटर पर पहुंच गए.
दाम बढ़ने के बावजूद तेल कंपनियों का मार्जिन घटा
इस बीच, पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ने और कच्चे तेल के दाम में गिरावट के बावजूद तेल मार्केटिंग कंपनियों का मार्जिन घट गया है. अप्रैल से ही प्रति पेट्रोल-डीजल की बिक्री में तेल मार्केटिंग कंपनियों का मार्जिन घट रहा है. ब्लूमबर्ग क्विंट के आंकड़ों के मुताबिक 2018 के पहले तीन महीने तो मार्जिन बढ़ा लेकिन अप्रैल से इसमें गिरावट आने लगी. इसकी एक बड़ी वजह कर्नाटक में चुनाव थे. चुनाव की वजह से सरकार ने दाम में बढ़ोतरी रोक दी थी और इस बीच लगातार 19 दिन तक अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम बढ़ते गए. लेकिन चुनाव की वजह से सरकारी तेल कंपनियां पेट्रोल-डीजल के दाम नहीं बढ़ा सकी और उनका मार्जिन घटता गया.
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