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हयात बंद, होटल इंडस्ट्री के बुरे हाल, 9cr नौकरियों पर खतरा

मुंबई एयरपोर्ट के नजदीक स्थित हयात रीजेंसी होटल बंद, सैलरी देने के पैसे नहीं

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कोरोना महामारी का सभी उद्योगों पर बुरा असर पड़ा है. लेकिन मुंबई का एक फाइव स्टार होटल बंद होने से 'हॉस्पिटैलिटी और टूरिज्म इंडस्ट्री' पर कितना बड़ा खतरा मंडरा रहा है, ये साफ हो गया है.

मशहूर फाइव स्टार होटल चैन एशियन होटल्स (वेस्ट) ने मुंबई के हयात रीजेंसी होटल को बंद करने का फैसला लिया है. होटल ने 7 जून 2021 को जारी किए नोटिस में साफ कर दिया कि उसके पास कर्मचारियों को सैलरी देने के लिए पैसे नही है. जिसके चलते अगले आदेश तक होटल की सभी सेवाएं अस्थायी रूप से स्थगित कर दी गई है.

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इससे एक झटके में हयात रीजेंसी में कार्यरत 150 से ज्यादा कर्मचारियों की नौकरी चली गई है. शिवसेना की यूनियन भारतीय कामगार सेना ने होटल के इस फैसले को इंडस्ट्रियल कोर्ट में चुनौती दी है. कोर्ट ने 28 जून को अगली सुनवाई की तारीख तय करते हुए कर्मचारियों के अधिकारों को सुरक्षित रखा है.  

हालांकि पैरेंट कंपनी एशियन होटल्स (वेस्ट) की हयात चेन में से सिर्फ मुंबई एयरपोर्ट के पास स्थित हयात रीजेंसी को बंद किया गया है. बाकी सभी हयात होटल चालू हैं.

क्यों हुआ हयात बंद ?

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, कोरोना की पहली लहर में होटल को भारी नुकसान झेलना पड़ा था. साल 2020-21 के नौ महीनों में होटल ग्रुप को 109 करोड़ रुपये का घाटा हुआ. ऐसे में एशियन होटल्स (वेस्ट) कंपनी ने स्टॉक एक्सचेंज को सूचित किया कि यस बैंक से लिए 4.32 करोड़ का लोन और ब्याज का भुगतान वो नही कर सकती.

जिसके बाद यस बैंक ने होटल के आर्थिक व्यवहारों पर प्रतिबंध लगाना शुरू कर दिया. एशियन होटल्स (वेस्ट) पर कुल 262 करोड़ का कर्जा है.  

बता दें कि हयात रीजेंसी कॉरपोरेट टूरिस्टों में सबसे पसंदीदा फाइव स्टार होटलों में से एक था. 400 रूम्स के इस होटल में 800 से 1000 कर्मचारी काम करते है. मुंबई एयरपोर्ट से नजदीक में स्थित होने के कारण बिजनेस ट्रिप और मीटिंग्स करनेवाले टूरिस्टों का यहां आना-जाना लगा रहता था. लेकिन महामारी के चलते लॉकडाउन की वजह से पिछले साल भर से होटल बंद पड़ा है.

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कितने बुरे हैं हालात?

होटल एसोसिएशन ऑफ इंडिया (HAI) के मुताबिक, सभी केटेगरी के होटलों में लगभग जीरो रेवेन्यू दर्ज किया गया है. एसोसिएशन का प्राथमिक डेटा दिखाता है कि 40 फीसदी से ज्यादा होटल बंद हो चुके हैं और करीब 70 फीसदी बंद होने की कगार पर हैं.

फेडरेशन ऑफ होटल एंड रेस्टॉरेंट एसोसिएशन्स ऑफ इंडिया (FHRAI) का कहना है कि इंडस्ट्री में 9 करोड़ नौकरियों पर खतरा मंडरा रहा है. FHRAI ने कहा है कि पहली वेव में करीब 50 फीसदी नौकरियां चली गई थीं, जबकि दूसरी वेव में स्थिति और खराब हुई है और 70 फीसदी नौकरियां प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से जा चुकी हैं.  

FHRAI की रिपोर्ट के अनुसार, वित्त वर्ष 2020 में भारतीय होटल उद्योग का कुल रेवेन्यू 1.82 लाख करोड़ था. 2021 में होटल उद्योग का लगभग 75% रेवेन्यू खत्म हो गया है, जो कि करीब 1.3 लाख करोड़ होता है. होटल इंडस्ट्री पर बकाया कुल 60,000 करोड़ रुपये से अधिक का कर्जा है.

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होटल इंडस्ट्री की शिकायतें और मांगें

FHRAI के जॉइंट सेक्रेटरी प्रदीप शेट्टी बताते है की, "देश की कुल GDP का 8 से 9 फीसदी हॉस्पिटैलिटी और टूरिज़म इंडस्ट्री से आता है. अप्रैल 2021 के बाद से इंडस्ट्री को 8-10 प्रतिशत का भी बिजनेस नही हो पाया है. क्योंकि लॉकडाउन में सिर्फ व्यापार करने का हमारा अधिकार छीन लिया गया लेकिन हमारे बैंक-लेंडर्स को कर्जा और ब्याज वसूलने का अधिकार दिया जा रहा है. होटल्स के ऑपरेशन्स, मेंटेनेंस, वेतन और मजदूरी का भुगतान ये हम सभी के सामने बड़ी समस्या है."

ऐसे में FHRAI के प्रतिनिधिमंडल ने राज्य और केंद्र सरकारों के सामने कई मांगे रखी है. जिसमे राज्य सरकार से प्रॉपर्टी टैक्स, लाईसेन्स फीज, बिजली और पानी बिल में राहत और केंद्र सरकार से लोन रीपेमेंट के स्टिमुलस पैकेज, मोरेटोरियम में 3 साल का एक्सटेंशन, कर्मचारियों के लिए बेसिक पेमेंट की मांगें शामिल है. 

शेट्टी का कहना है, "दूसरे कोरोना लहर में वित्तीय घाटे के कारण देश में 40 प्रतिशत होटल और रेस्टॉरेंट स्थायी रूप से बंद हो गए हैं. लगभग 20 प्रतिशत पहले लॉकडाउन के बाद से पूरी तरह से नहीं खुले हैं. बाकी 40 फीसदी घाटे में चल रहे हैं. इसीलिए सरकार से कोई राहत नही मिली तो हमारी इंडस्ट्री को फिर से खड़ा करना नामुमकिन हो जाएगा."

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