देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने और विकास को रफ्तार देने के लिए कई उपाय सुझाए गए हैं. सर्वे में कहा गया है कि इन उपायों से भारत 2024-25 तक पांच ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बन जाएगा.
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- सर्वे के मुताबिक देश में खपत में कमी आ गई है. अब हमें निवेश और बचत पर ध्यान देना होगा. चीन का उदाहरण देकर बताया गया है कि यहां 2017 में भी निवेश और बचत दर जीडीपी के 45 फीसदी तक पहुंच गई थी.
- सर्वे में स्वच्छ भारत मिशन पर फोकस बढ़ाने की सलाह दी गई है. इसमें कहा गया है कि स्वस्थ भारत का मतलब ज्यादा प्रोडक्टविटी और ज्यादा प्रोडक्टविटी का मतलब ज्यादा सेविंग और निवेश.
- भारत के आर्थिक विकास में गैर लचीले श्रम कानूनों को बड़ा रोड़ा बताया गया है. आर्थिक सर्वे का कहना है कि श्रम कानूनों को लचीला बना कर ज्यादा रोजगार पैदा किया जा सकता है. इसमें राजस्थान का उदाहरण दिया गया है कि जहां श्रम कानूनों को डी-रेगुलेट करने की वजह से रोजगार में इजाफा हुआ है.
- सर्वे में बड़े टैक्सपेयर्स को खास सुविधाएं देने की सलाह दी गई है. जैसे उन्हें एयरपोर्ट, फास्ट लेन रोड, टोल बूथ पर खास सुविधाएं मिले. इमिग्रेशन काउंटर पर डिप्लोमेटिक लेन जैसी सुविधाएं दी जाएं. एक दशक तक सबसे ज्यादा टैक्स देने वालों के नाम पर महत्वपूर्ण बिल्डिंग, स्मारकों और सड़कों का नाम रखा जाए. इससे टैक्स देने वालों की तादाद बढ़ेगी.
- सर्वे में सुझाव दिया गया है कि सरकार को उन कंपनियों को बढ़ावा देना चाहिए जहां 100 से ज्यादा लोग काम करते हैं. इस सुझाव के पीछे का तर्क यह है कि रोजगार सृजन और प्रोडक्टिविटी में छोटी फर्मों की हिस्सेदारी लगभग ना के बराबर है. जबकि कुल उत्पादकता में उनकी हिस्सेदारी 90 फीसदी है.
- सर्वे के मुताबिक देश में विकास को रफ्तार देने के लिए पब्लिक डेटा का इस्तेमाल बढ़ाना होगा. डेटा अब तेल जैसा संसाधन बन गया है और इसे सार्वजनिक संपत्ति बनाया जाना चाहिए. जनता का डेटा जनता की ओर से जनता के लिए नया मंत्र होना चाहिए.
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