अमेरिकी सरकार ने एच1बी वीजा जारी करने के नियम सख्त कर दिए हैं जिससे यहां खास कर जॉब-वर्क करने वाली भारतीय आईटी कंपनियों के लिए कम वक्त के लिए भारत से कुशल कर्मचारियों को बुलाने में भारी दिक्कतें हो सकती हैं.
ट्रंप सरकार की नई नीति के तहत यह साबित करना होगा कि एक या एक से अधिक स्थानों पर जॉब-वर्क की तरह के काम करने के लिए इस वीजा पर बुलाए जा रहे कर्मचारी का काम खास तरह का है और उसे खास जरूरत के लिए बुलाया गया है.
अमेरिकी सरकार एच1बी वीजा ऐसे कर्मचारियों के लिए जारी करती है जो काफी कुशल होते हैं. उस तरह के हुनरमंद लोगों की अमेरिका में कमी होती है. सरकार ने गुरुवार को सात पेज का एक नीतिगत दस्तावेज जारी किया जिसमें एच1बी वीजा के नए नियम जारी किए गए हैं.
इसके तहत अमेरिका के नागरिकता और आव्रजन विभाग को यह वीजा केवल तीसरे पक्ष के साइट कार्य (कार्यस्थल) की अवधि तक के लिए जारी करने की ही अनुमति होगी. इस तरह इसकी अवधि तीन साल से कम की हो सकती है, जबकि पहले यह एक बार में तीन साल के लिए दिया जाता था. यह नियम लागू हो गया है. इसके लिए ऐसा समय चुना गया है जब 1 अक्तूबर 2018-19 से शुरू होने वाले वित्त वर्ष के लिए एच1बी वीजा के आवेदन 2 अप्रैल से मंगाए जा सकते हैं.
अमेरिका में एच1बी वीजा का एक्सटेंशन ज्यादा मुश्किल होता जा रहा है खास कर तब और भी ज्यादा जब वह अपने पिछले किसी असाइनमेंट में बेंच पर हो.
कभी-कभार अमेरिकी कंपनियां किसी कर्मचारी का कांट्रेक्ट अचानक खत्म कर देती है. ऐसी स्थिति में कर्मचारी के लिए कुछ वक्त के लिए कोई काम नहीं होता है. इससे आईटी कंपनी में बेंच पर होना कहा जाता है. भारत लगातार अमेरिका से एच1बी वीजा नियमों में ढील देने की मांग करता रहा है.
इनपुट - भाषा, पीटीआई
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