कॉफी डे ग्रुप के मालिक वीजी सिद्धार्थ की पिछली साल हुई मौत के मामले में जांच टीम ने प्राइवेट इक्विटी इन्वेस्टर्स और आयकर विभाग को क्लीन चिट दे दी है. सिद्धार्थ 31 जुलाई 2019 को मृत पाए गए थे. उनकी बॉडी कर्नाटक के दक्षिण कन्नड़ जिले में नेत्रवती नदी से बरामद की गई थी. उस दौरान उनकी खुदकुशी की आशंका जताई गई थी और आयकर विभाग पर सिद्धार्थ को परेशान करने का आरोप लगा था.
सीबीआई के पूर्व डिप्टी इंस्पेक्टर जनरल अशोक कुमार मल्होत्रा की अगुवाई में जांच से सामने आया है कि सिद्धार्थ की मैसूर एमालगेमेटेड कॉफी एस्टेट लि. (एमएसीईएल) के ऊपर कॉफी डे एंटरप्राइजे लि. की सब्सिडिएरीज के 3535 करोड़ रुपये बकाया थे.
जांच के मुताबिक, कंसॉलिडेटेड ऑडिटेड फाइनेंशियल स्टेटमेंट्स से यह तो पता चलता है कि इस राशि में से 31 मार्च 2019 तक इन सब्सिडिएरीज का एमएसीईएल पर 842 करोड़ रुपये का बकाया था, मगर बाकी 2693 करोड़ रुपये के बकाये का समाधान नहीं हुआ है.
जांच रिपोर्ट में आयकर विभाग को सिद्धार्थ को परेशान करने के आरोप से क्लीन चिट दी गई है. इसमें कहा गया है, ‘‘संबंधित अवधि के वित्तीय रिकॉर्ड की जांच से नकदी की काफी कमी का पता चलता है. इसका कारण आयकर विभाग द्वारा माइंडट्री के शेयर को कुर्क करना हो सकता है.’’
जांच रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘हम सिद्धार्थ के 27 जुलाई के लेटर में जो बातें थी, उसे मानने के लिए तैयार हैं. उसमें उन्होंने कहा था कि मेरी टीम, ऑडिटर और वरिष्ठ प्रबंधन मेरे लेने-देन से पूरी तरह अनभिज्ञ थे.’’ कथित लेटर में सिद्धार्थ ने कहा था, ‘‘कानून को केवल मुझे जवाबदेह ठहराना चाहिए क्योंकि मैंने अपने परिवार समेत सभी से सूचना छिपाई थी.’’
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