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कोरोनावायरस के कहर से फिसले तेल के दाम,क्रूड पांच डॉलर तक गिरा

कोरोनावायरस फैलने के बाद चीन में कई शहरों में पब्लिक ट्रांसपोर्ट बंद है इसी वजह से तेल की मांग घटी है

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चीन में कोरोनावायरस के कहर की वजह से इंटरनेशनल मार्केट में कच्चे तेल के दाम गिरते जा रहे हैं. इस सप्ताह लगातार चार दिनों तक कच्चे तेल के दाम पर दबाव बना रहा. इससे ब्रेंट क्रूड के दाम पांच डॉलर प्रति बैरल टूट गए.

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चीन के कई शहरों में पब्लिक ट्रांसपोर्ट बंद,तेल की मांग घटी

दरअसल चीन दुनिया में कच्चे तेल का दूसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता देश है, जहां कोरोनावायरस का प्रकोप होने के कारण कई शहरों में सार्वजनिक परिवहन बंद कर दिया गया है. लिहाजा, चीन की ओर से कच्चे तेल की मांग में नरमी आने के कारण बीते कारोबारी सप्ताह तेल के दाम पर भारी दबाव बना रहा.

इंटरनेशनल फ्यूचर मार्केट में भी कच्चे तेल के दाम गिरे

अंतरराष्ट्रीय वायदा बाजार इंटरकॉन्टिनेंटल एक्सचेंज (आईसीई) पर शुक्रवार को ब्रेंट क्रूड का मार्च कांट्रेक्ट पिछले सत्र के मुकाबले 2.29 फीसदी की कमजोरी के साथ 60.62 डॉलर प्रति बैरल पर बंद हुआ, जबकि कारोबार के दौरान तेल का दाम 60.26 डॉलर प्रति बैरल तक गिरा, जोकि तीन दिसंबर, 2019 के बाद का सबसे निचला स्तर है, जब ब्रेंट क्रूड का भाव 60.30 डॉलर प्रति बैरल तक गिरा था.

बेंट्र क्रूड का दाम पिछले सप्ताह के मुकाबले तकरीबन सात फीसदी टूटा है, जो कि दिसंबर 2018 के बाद की सबसे बड़ी साप्ताहिक गिरावट है. वहीं, न्यूयार्क मर्केंटाइल एक्सचेंज (नायमैक्स) पर अमेरिकी लाइट क्रूड वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट (डब्ल्यूटीआई) का मार्च कॉन्ट्रेक्ट शुक्रवार को पिछले सत्र के मुकाबले 2.50 फीसदी की नरमी के साथ 54.20 डॉलर प्रति बैरल पर बंद हुआ, जबकि कारोबार के दौरान तेल का दाम 53.88 डॉलर प्रति बैरल तक टूटा. इस प्रकार डब्ल्यूटीआई का भाव इस साल के सबसे उंचे स्तर 65.65 डॉलर प्रति बैरल से 11.77 डॉलर प्रति बैरल टूट चुका है.

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एंजेल ब्रोकिंग के डिप्टी वाइस प्रेसीडेंट (एनर्जी एवं करंसी रिसर्च) अनुज गुप्ता ने बताया कि अमेरिका और चीन के बीच पहले चरण के ट्रेड डील पर हस्ताक्षर के बाद उम्मीद की जा रही थी कि चीन की तरफ से कच्चे तेल की मांग बढ़ेगी, लेकिन इस बीच कोरोनावायरस के प्रकोप के कारण इस उम्मीद पर पानी फिर गया.

उन्होंने कहा कि चीन में इसके कारण परिवहन और कारोबार पर असर पड़ा है, जिससे तेल की मांग कमजोर रहने की आशंकाओं के बीच कीमतों पर दबाव देखा जा रहा है.

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