आम आदमी के लिए राहत की खबर है. 7 महीने बाद रिटेल महंगाई में गिरावट देखने को मिली है. सब्जियों की महंगाई काबू में आना इसका अहम कारण बताया जा रहा है. सांख्यिकी मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, फरवरी में रिटेल महंगाई 6.58 परसेंट पर आ गई है, वहीं जनवरी के महीने में रिटेल महंगाई 7.6 परसेंट थी.
- कंज्यूमर फूड प्राइस महंगाई 13.81% से घटकर 10.81% हुई
- सब्जियों की महंगाई 50.19% से घटकर 31.61% हुई
- फ्यूल और बिजली महंगाई 3.66% से बढ़कर 6.36% हुई
- हाउसिंग महंगाई 4.2 से बढ़कर 4.24% हुई
- अनाजों की महंगाई 5.25% से घटकर 5.23% हुई
- दालों की महंगाई 16.71% से घटकर 16.61% हुई
रिटेल महंगाई में गिरावट की अहम वजह रही खाद्य और सब्जियों की महंगाई में खासी गिरावट. फरवरी में सब्जियों की महंगाई 50.19% से सीधे घटकर 31.61% पर आ गई है. वहीं कंज्यूमर फूड प्राइस महंगाई 13.81% से घटकर 10.81% हो गई है.
महंगाई अभी भी RBI लिमिट से ज्यादा
रिजर्व बैंक की मॉनेटरी पॉलिसी कमिटी ने महंगाई की जो उपरी सीमा तय की है. महंगाई अभी भी उससे ज्यादा ही है. अब मॉनेटरी पॉलिसी की अगली बैठक 3 अप्रैल को होने वाली है, जिस पर फिर से महंगाई पर बात होगी.
RBI ने महंगाई घटने का लगाया था अनुमान
6 फरवरी को हुई मॉनेटरी पॉलिसी की बैठक में आरबीआई ने खुदरा महंगाई दर के अपने आकलन को संशोधित कर 6.5 फीसदी कर दिया था. उसके मुताबिक चालू वित्त वर्ष की आखिरी तिमाही के दौरान खुदरा महंगाई दर 6.5 फीसदी रहेगी. चालू वित्त वर्ष की आखिरी तिमाही में खुदरा महंगाई दर बढ़ कर 7.35 फीसदी दर्ज की गई थी.
महंगाई के दबाव में रेपो रेट में कटौती नहीं
पिछले कुछ महीनों में बढ़ती महंगाई की वजह से आरबीआई ने मौद्रिक नीति में रेपो रेट में कटौती नहीं की थी. क्रेडिट रेटिंग एजेंसी मूडीज ने पिछले वित्त वर्ष के दौरान 4.9 फीसदी ग्रोथ रेट का अनुमान लगाया है. यह सरकार के आकलन पांच फीसदी से कम है. दिसंबर की मॉनेटरी पॉलिसी ऐलान में आरबीआई ने पांच फीसदी के ग्रोथ रेट का अनुमान लगाया था.
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