भारत क्रिप्टोकरेंसी (Crpytocurrency) की देखरेख करने के लिए अपने कैपिटल मार्केट्स रेगुलेटर को नियुक्त करने पर विचार कर रहा है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार, मौजूदा वक्त में चल रहे संसद सत्र में कानून पेश करने की योजना बना रही है.
रिपोर्ट्स के मुताबिक संभावना जताई जा रही है इसके बाद सरकार की तरफ से क्रिप्टो होल्डर्स को इसे अपनी संपत्ति घोषित करने की छूट देगी और किसी भी नए नियमों को पूरा करने के लिए एक समय सीमा दी जाएगी.
एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक मामले की जानकारी रखने वाले लोगों में से एक ने कहा कि सरकार के इस बिल में क्रिप्टोकरेंसी के बजाय ‘Cryptoassets' शब्द का उपयोग करने की संभावना है.
उन्होंने कहा कि अभी इस बारे में कोई जानकारी नहीं है कि इसको केंद्रीय बैंक अपनी डिजिटल करेंसी बना सकेगा.
रिपोर्ट्स के मुताबिक क्रिप्टोकरेंसी के नियमों में किसी भी प्रकार के उल्लंघन करने वालों पर 20 करोड़ रूपए का जुर्माना लगाया जा सकता है, या फिर 1.5 साल की कैद हो सकती है.
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक सरकार छोटे निवेशकों की सुरक्षा के लिए क्रिप्टोकरेंसी में निवेश के लिए न्यूनतम सीमा निर्धारित करने पर भी विचार कर सकती है.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि पिछले हफ्ते सरकार ने एक पुराने बिल पर फिर से काम किया है, जिसमें सभी प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव किया था.
उन्होंने कहा कि देश में बिटक्वाइन को करेंसी के रूप में मान्यता देने का कोई प्रस्ताव नहीं लाया जा रहा है.
भारत में बढ़ी है क्रिप्टो मार्केट
एक क्रिप्टो-एनालिसिस फर्म, Chainalysis की अक्टूबर की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में क्रिप्टो मार्केट जून 2021 तक 641% बढ़ी है.
सरकार अब डिजिटल करेंसीज से होने वाले प्रॉफिट पर टैक्स लगाने के बारे में सोच रही है और व्यापार के अनरेगुलेटेड स्थिति की वजह से वर्चुअल सिक्कों में लेनदेन के लिए कड़े नियम लागू करने की मांग की गई है.
बता दें कि पिछले दिनों प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने डिजिटल करेंसी से संबंधित एक समीक्षा बैठक की थी. इस दौरान हुई चर्चा में कहा गया कि अनरेगुलेटेड क्रिप्टो मार्केट्स को मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवाद के वित्तपोषण के लिए अवसर बनने से रोकने पर भी काम करना होगा.
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