देशभर के लगभग 19 बैंकों के लगभग 32 लाख डेबिट कार्ड के डीटेल्स चोरी होने की खबरें आ रही हैं. ये कार्ड्स ऐसे एटीएम पर इस्तेमाल किए गए हैं, जहां से मालवेयर (एक प्रकार का सॉफ्टवेयर) के जरिए सूचनाएं चोरी की गई हैं.
जानकारों का कहना है कि देश के वित्तीय आंकड़ों की सुरक्षा में यह अब तक की सबसे बड़ी सेंधमारी है.
नेशनल बैंक आॅफ एग्रीकल्चर एंड रुरल डेवलपमेंट (NABARD) के एक इवेंट में शिरकत करने पहुंचे वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इस मामले पर कहा है कि मंत्रालय ने नुकसान रोकने और जांच के लिए रिपोर्ट मांगी है.
वित्त मंत्री के बयान पर हामी भरते हुए डिपार्टमेंट आॅफ इकोनाॅमिक अफेयर, आर्थिक मामलों के सचिव शक्तिकांत दास ने भी यह जानकारी दी.
वैसे डेबिट कार्ड जिन्हें देश से बाहर हैक किया गया है या दुरुपयोग किया गया है उनके बारे में हमने बैंकों से विस्तृत रिपोर्ट मांगा है. भारतीय रिजर्व बैंक और वित्त मंत्रालय दोनों ही विस्तार से इस मामले की जांच करेंगे.शक्तिकांत दास, सचिव, डिपार्टमेंट आॅफ इकोनाॅमिक अफेयर
बैंकों और भारतीय रिजर्व बैंक की रिपोर्ट्स के आधार पर मंत्रालय कार्रवाई करेगी. सरकार मामले की जड़ तक जाने में साइबर ट्रैकिंग का सहारा भी लेगी.
रिजर्व बैंक और बैंकों की रिपोर्ट के आधार पर हम यह जान सकेंगे कि असल में क्या हुआ है? साइबर ट्रेसिंग से हमें यह पता लगेगा कि इस मामले की शुरुआत कहां से हुई? सरकार निश्चित रूप से इस पर काम करेगी.शक्तिकांत दास, सचिव, डिपार्टमेंट आॅफ इकोनाॅमिक अफेयर
कार्रवाई के लिए रिपोर्ट का इंतजार
मामले की रिपोर्ट आने के बाद फाइनेंशियल स्टेबिलिटी एंड डेवलपमेंट काउंसिल (एफएसडीसी) की बैठक में व्यापक विचार-विमर्श किया जा सकता है. इसके बाद वित्तीय संस्थानों और बैंकों को उचित कार्रवाई करने के बारे में निर्देश दिया जाएगा.
शक्तिकांत दास भारतीय रिजर्व बैंक बोर्ड के सदस्य भी रहे हैं. जून में केंद्रीय बैंक बोर्ड की बैठक में साइबर सुरक्षा के मामले को लेकर विस्तार से चर्चा की गई थी और इस साल बैंकों को साइबर सुरक्षा और संरक्षण के मामले में मजबूत सिस्टम बनाने के निर्देश दिए गए थे.
सरकार के नजर में साइबर सुरक्षा एक बहुत ही अहम सब्जेक्ट है. सरकार में हाई लेवल पर इस विषय पर अक्सर चर्चा होती है.वित्तीय प्रणाली की स्थिरता और साइबर सुरक्षा काफी महत्वपूर्ण है.शक्तिकांत दास, सचिव, डिपार्टमेंट आॅफ इकोनाॅमिक अफेयर
नेशनल पेमेंट काॅरपोरेशन आॅफ इंडिया ने गुरुवार को एक बयान में कहा था कि 19 बैंकों में 32 लाख डेबिट कार्ड फर्जीवाड़े का शिकार हुई हैं.
मामला तब सामने आया जब देश की सबसे बड़ी पब्लिक लोन देने वाली स्टेट बैंक ने एनपीसीआई, वीजा और मास्टर कार्ड जैसी कंपनियों की ओर से फ्रॅाड की आशंका जताने के बाद14 अक्टूबर को 6 लाख डेबिट कार्ड ब्लाॅक कर दिए.
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