नोटबंदी से भ्रष्टाचार में कमी होगी? क्या कालेधन पर लगाम लग जाएगी? रियल एस्टेट में फ्लैट की कीमतें गिरती रहेंगी? विकास दर पर क्या असर होगा?
बजट के एक दिन पहले इकोनॉमिक सर्वे-2017 के जरिए भारत सरकार ने इन सभी मुद्दों का पूरी ईमानदारी से जबाव दिया है. इस सर्वे पर गौर करें, तो पता चल जाएगा कि सरकार का नोटबंदी का फैसला लेना या न लेना एक बराबर है.
नोटबंदी का भ्रष्टाचार, कालाधन जैसी चीजों पर कोई असर नहीं पड़ा. अगर अब भी आपको थोड़ी शंका है, तो आइए सबसे पहले सर्वे पर ही नजर डालते हैं.
कालाधन पर लगाम लगी?
जिस समय नोटबंदी लागू की गई थी, उस समय सबसे बड़ी दलील दी जा रही थी कि इससे कालेधन पर जबरदस्त चोट लगेगी. वहीं अब तक जमा कालाधन या तो सरकार के पास आ जाएगा या फिर 'रद्दी बन जाएगा'. लेकिन आर्थिक सर्वे में इसे लेकर जो बात कही गई है, उसे लेकर आपको थोड़ी हैरानी होगी.
सर्वे में कहा गया है कि कालेधन के भंडारण में कमी आई, क्योंकि कुछेक धारक कर परिधि (टैक्स के दायरे में) में आ गए. वहीं जब इसके दूरगामी परिणाम की बात आई, तो सर्वे में कहा गया कि सूत्रीकरण से आलेखांकित (कालाधन) आय का प्रवाह कम होना चाहिए. इसे देखकर आसानी से समझा जा सकता है कि सरकार का सर्वे भी नोटबंदी से कालेधन पर लगाम की बात पर पूरी तरह आश्वस्त नहीं है.
भ्रष्टाचार खत्म करने का वादा?
नोटबंदी को भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के बड़े हथियार के रूप में भी देखा जा रहा था. लेकिन इकोनॉमिक सर्वे में करप्शन के मामले पर भी ढुलमुल सी बातें ही कही गई हैं. सर्वे में कहा गया कि अधिक धनशोधन के कारण बढ़ गई यदि अनुपालन की पहलों में सुधार हो, तो इसमें कमी आ सकती है. यानी करप्शन रोकने के लिए नोटबंदी की जगह अनुपालन की पहलों में सुधार किया जाना चाहिए था.
रियल एस्टेट पर पड़ी तगड़ी मार?
यदि आप रियल एस्टेट कारोबारी हैं, तो नोटबंदी का असर सबसे ज्यादा आप पर ही पड़ा होगा. आर्थिक सर्वे में साफ-साफ कहा गया है कि रियल एस्टेट के मूल्यों में कमी आई, क्योंकि नकदी कमी के चलते संव्यवहारों में बाधा आने के कारण संपदा में गिरावट आई. इसके बाद आने वाले समय पर इसके प्रभाव पर कहा गया है कि मूल्यों में आगे भी गिरावट आ सकती है. क्योंकि रियल एस्टेट में अघोषित आय को निवेश करना कठिन हो गया है, लेकिन जीएसटी लागू करने पर इसमें वृद्धि हो सकती है.
नौकरी और खेती पर भी आया संकट?
इसके अलावा किसी भी देश की तरक्की को आंकने के लिए वहां नौकरियों की संभावनाओं को आधार बनाया जाता है. इस मामले में भी यह आर्थिक सर्वे कई तगड़े झटके देता है. सर्वे में तो इसे उथल-पुथल भी कहा गया है.
सर्वे में लिखा है कि नौकरियां कम हुई, कृषि आयों में गिरावट आई, खास तौर पर नकदी-प्रोत्साहित सेक्टरों में सामाजिक उथल-पुथल. हालांकि इसके दूरगामी परिणाम पर कहा गया है कि पुन: मुद्रीकरण होने पर इसमें स्थिरता आएगी.
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