इकनॉमी ने रिकवरी का हाइवे पकड़ लिया है. दो साल में पहली बार जीडीपी ग्रोथ 8 परसेंट के पार निकल गई है. वित्तीय साल 2018-19 की पहली तिमाही में जीडीपी ग्रोथ 8.2 परसेंट रही है.
जीडीपी ग्रोथ में रफ्तार दो पैमानों पर उम्मीद से बेहतर रही है. 2017-18 की पहली तिमाही में ये 5.7 परसेंट थी और आखिरी तिमाही में 7.7 परसेंट थी.
ग्रॉस वैल्यू एडेड के हिसाब से इकनॉमी 8 परसेंट बढ़ी है जबकि पिछले साल ये ग्रोथ 5.6 परसेंट थी. ग्रॉस वैल्यू एडेड को तरजीह दी जाती है और ज्यादा बेहतर माना जाता है क्योंकि इसका कैलकुलेशन में इनडायरेक्ट टैक्स और सब्सिडी अलग कर दी जाती है.
कहां से आई जीडीपी ग्रोथ की रफ्तार
मजबूत ग्रोथ की वजह बेस इफेक्ट की वजह से भी है यानी पिछले साल की पहली तिमाही कमजोर थी उसके मुकाबले ग्रोथ ज्यादा दिख रही है.
दूसरी वजह है आर्थिक हालात थोड़ा बेहतर हुए हैं. कंज्यूमर खपत बढ़ी है जबकि नोटबंदी और जीएसटी के झटके से इकनॉमी उबर रही है.
आंकड़ों के मुताबिक मैन्युफैक्चरिंग और कंस्ट्रक्शन सेक्टर में हालात काफी तेजी से सुधरे हैं. एग्रीकल्चर ने मजबूत ग्रोथ से सरप्राइज किया है.
- मैन्युफैक्चरिंग ग्रोथ पिछले साल के निगेटिव 1.8 परसेंट से 13.5 परसेंट
- कंस्ट्रक्शन सेक्टर की ग्रोथ 1.8 परसेंट से बढ़कर 8.7 परसेंट
- माइनिंग सेक्टर की ग्रोथ 1.7 परसेंट से घटकर 0.1 परसेंट
- एग्रीकल्चर सेक्टर में ग्रोथ 3 परसेंट से बढ़कर 5.3 परसेंट
- फाइनेंशियल सेक्टर की ग्रोथ 8.4 परसेंट से घटकर 6.5 परसेंट
आगे खतरे की आशंका
जानकारों के मुताबिक बेस इफेक्ट, इंटस्ट्री में मजबूती और कॉरपोरेट सेक्टर के सपोर्ट से पहली तिमाही में हालत सुधरी है. लेकिन आने वाली तिमाहियों में रफ्तार बरकरार बनाए रखना मुश्किल होगा.
एक्सिस बैंक के इकनॉमिस्ट सौगत भट्टाचार्य के मुताबिक वित्त वर्ष 2019 की तीसरी तिमाही में गिरकर जीडीपी ग्रोथ 7.2 फीसदी तक आ सकती है.
निवेश में बढ़ोतरी
शहरी कंज्यूमर में खपत बढ़ने और अच्छी पैदावार से ग्रामीण इलाकों में डिमांड बढ़ने के आसार हैं जो ग्रोथ को बढ़ा सकते हैं. लेकिन अभी भी प्राइवेट सेक्टर की तरफ से निवेश की रफ्तार नहीं बढ़ रही है.
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