देश के शेयर बाजारों में गिरावट का दौर जारी है. बुधवार को सेंसेक्स 317.77 अंकों की गिरावट के साथ 29,167.68 पर और निफ्टी 91.05 अंकों या करीब 1 परसेंट की गिरावट के साथ 9,030.45 पर बंद हुआ. गिरावट का ये लगातार तीसरा दिन था.
बीएसई के 19 सेक्टरों में से 18 सेक्टरों में गिरावट रही. सर्वाधिक गिरावट वाले सेक्टरों में प्रमुख रहे : दूरसंचार (2.09 %), उपभोक्ता वस्तुएं (1.94 %), ऑटो (1.58 %), एफएमसीजी (1.51 %).
वहीं, बीएसई के एक सेक्टर रियल्टी में कोई परिवर्तन देखने को नहीं मिला.
बीएसई के मिडकैप और स्मॉलकैप सूचकांकों में भी गिरावट दर्ज की गई. बीएसई का मिडकैप सूचकांक 132.07 अंकों की गिरावट के साथ 13721.45 पर और स्मॉलकैप 126.01 अंकों की गिरावट के साथ 13901.92 पर बंद हुआ.
क्यों आ रही है गिरावट ?
जानकार मानते हैं कि ग्लोबल मार्केट में कमजोरी आने के कारण घरेलू शेयर बाजार पर भी इसका प्रभाव पड़ रहा है. कारणों में ग्लोबल इक्विटिज का महंगा वैल्युशन भी शुमार है. बैंक ऑफ अमेरिका-मेरिल लिच के मार्च के एक सर्वे के मुताबिक ग्लोबल इक्विटिज के वैल्यूशन को ज्यादा आंका जा रहा है. ऐसा वैल्युशन 17 साल में पहली बार देखने को मिला है.
यह सर्वे 10 से 16 मार्च के बीच किया गया. बिना किसी बड़े परिवर्तन के बावजूद बाजार को लगातार बढ़ते दिखाया गया और इक्विटिज को मंहगा. ऐसे में शेयर धारक मुनाफावसूली करने की जुगत में हैं. मार्केट में गिरावट का यह बढ़ा कारण है.
अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप भी एक कारण हैं ?
डॉनल्ड ट्रंप की आर्थिक नीतियों का बाजार पर प्रभाव दिखने लगा है. अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद से ही ब्याज दरों को लेकर तरह-तरह के कयास लग रहे हैं . इसका असर अमेरिकी बाजारों के साथ भारत पर भी पड़ता दिख रहा है.
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