ADVERTISEMENTREMOVE AD

FAQ:EMI मोरेटोरियम बढ़ सकता है, कस्टमर्स के पास अब क्या ऑप्शन हैं?

अगर मोरेटोरियम पीरियड खत्म हो जाता है तो क्या होगा?

Published
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने कोरोना संकट के बाद 1 मार्च को जिस मोरेटोरियम का ऐलान किया था वो 31 अगस्त को खत्म हो गया है. मोरेटोरियम का मतलब ये होता है कि इस अवधि में आपको अपनी EMI यानि किस्त नहीं देनी होती है. मोरेटोरियम की सुविधा पर्सनल और कमर्शियल कर्जदारों दोनों की दी गई थी.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

लेकिन अब जब मोरेटोरियम खत्म हो गया है तो जानना जरूरी है कि कस्टमर्स के पास क्या क्या विकल्प बचते हैं-

क्या RBI मोरेटोरियम 31 अगस्त से आगे बढ़ा सकता है?

RBI ने अभी तक इसके बारे में कोई ऐलान नहीं किया है, इसलिए आधिकारिक रूप से मोरेटोरियम पीरियड खत्म हो गया है. हालांकि केंद्रीय बैंक ने 1 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि RBI सर्कुलर के मुताबिक लोन मोरेटोरियम की अवधि 2 साल तक बढ़ाई जा सकती है. कस्टमर और बिजनेसमैन अपने बैंकों से इसको लेकर बात कर सकते हैं और बैंक केस टू केस के बेसिस पर तय करेंगे.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

अगर मोरेटोरियम पीरियड खत्म हो जाता है तो क्या होगा?

इसका सीधा मतलब है कि जिन्होंने कर्ज लिया हुआ है उनको 1 सितंबर से अपनी किस्त चुकानी होगी. जिन भी लोगों ने मोरेटोरियम का फायदा उठाया होगा अब उनकी महीने की किस्त बढ़ गई होगी. क्यों कि बैंक अब मोरेटोरियम के दौरान जो किस्तें नहीं भरी गईं उस पर भी ब्याज वसूलेंगी.

इसका मतलब है कि अगर कोई व्यक्ति 2000 रुपये की किस्त भरता था और अगर ब्याज दर 8% है तो अब जब वो मोरेटोरियम खत्म होने के बाद किस्त भरना शुरू करेगा तो 6 महीने के 12 हजार रुपये पर भी 8% के हिसाब से ब्याज भी देना होगा. मूल किस्त तो भरनी ही पड़ेगी साथ में इस ब्याज का बोझ अलग से.

अगर कोई EMI पेमेंट नहीं करता है तो क्या होगा?

अगर आप सितंबर महीने में अपनी EMI नहीं भर पाते हैं और मोरेटोरियम पीरियड नहीं बढ़ता है तो आपको क्रेडिट ब्यूरो में रिपोर्ट किया जाएगा. इसके बाद आपके क्रेडिट स्कोर पर बुरा असर होगा. इसके बाद आपको आगे लोन मिलने में दिक्कत आ सकती है.

इसके बाद ऑप्शन क्या बचे हैं?

जुलाई 2020 में RBI ने बैंकों को मंजूरी दी थी कि वो अपने ऐसे कस्टमर्स जिन पर कोरोना संकट का असर हुआ है उनके लोन की एक बार रीस्ट्रक्चरिंग कर दें. इसके बाद अब बैंक के पास दो बड़े विकल्प बचते हैं. कस्टमर्स के लोन की रीस्ट्रक्चरिंग दें या फिर कर्जदार की इनकम देखकर मोरेटोरियम बढ़ा दें.

लोन की रीस्ट्रक्चरिंग के तहत बैंक और कस्टमर में जिन शर्तों पर लोन लिया गया था उसमें बदलाव करना. अगर कोई व्यक्ति आर्थिक संकट से गुजर रहा है और उनकी आय कम हो गई है तो वो अपने लोन चुकाने की अवधि बढ़ा सकता है या फिर किस्तें छोटी करा सकता है.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें
×
×