सरकार ने नौकरीपेशा लोगों को एक और झटका दिया है. बजट में इनकम टैक्स में रियायत के नाम पर औपचारिकता निभाने वाली सरकार ने अब पीएफ पर ब्याज दर 8.65 फीसदी से घटा कर 8.55 फीसदी कर दी है.
कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) की बैठक में 2017-18 के लिए पीएएफ पर ब्याज दरों की घोषणा हुई, पहले उम्मीद लगाई जा रही थी कि ईपीएफओ 8.65 फीसदी ब्याज दर बरकरार रखेगा. इस ब्याज दर को बनाए रखने के लिए ईपीएफओ ने एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ईटीएफ) में अपने निवेश का एक हिस्सा इसी महीने 2,886 करोड़ रुपये में बेच दिया था. लेकिन वह इस दर को बरकरार नहीं रख सका. 2016-17 में ईपीएफओ ने 8.65 फीसदी की दर से पीएफ पर ब्याज घोषित किया था. जबकि 2015-16 में उसने 8.8% की दर से ब्याज दिया था.
ईपीएफओ ने ईटीएफ में हिस्सेदारी बेचकर इस महीने 1,054 करोड़ रुपये कमाए थे. जो 8.65% की दर से ब्याज देने के लिए काफी मानी जा रही थी.
ईपीएफओ ने अगस्त 2015 से ETF में निवेश करना शुरू किया था. हालांकि अभी तक इस निवेश पर उसे लाभ नहीं मिला है. ईपीएफओ ने ईटीएफ में 44,000 करोड़ रुपये का का निवेश किया है. ईपीएफओ ने ईटीएफ में 16% का रिटर्न हासिल किया है.
ईटीएफ में निवेश बेचने से भी नहीं बनी बात
ईपीएफओ की ओर से पीएफ दरों की घोषणा से पांच करोड़ कर्मचारियों को फायदा होता है. सरकार ने इस साल जब पीपीएफ समेत सभी छोटी सेविंग्स स्कीम में ब्याज दरें घटाई थीं तभी से यह भी कहा जा रहा था कि वह पीएफ की ब्याज दरें घटाई जा सकती हैं.
ईपीएफ अकाउंट में एम्प्लॉयी और एम्प्लॉयर दोनों ही योगदान करते हैं. कर्मचारी अपनी सैलरी (बेसिक सैलरी और डीए) की 12 फीसदी रकम का योगदान हर महीने करता है और इतनी ही रकम हर महीने एम्प्लॉयर की ओर से जमा की जाती है. मासिक वेतन का कुल 24 परसेंट इस ईपीएफ में हर महीने जमा होता है. पीएफ में नॉमिनेशन फैसिलिटी भी दी जाती है. अगर किसी की मौत हो जाए तो पीएफ का पैसा नॉमिनी को मिल जाता है.
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